ब्लॉग

वैज्ञानिकों ने कोवैक्सिन सहायता के लिए एलम-इमिडाजोक्विनोलिन सहायक टीका तैयार किया

वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि कोवैक्सिन, जो कि एक निष्क्रिय होल-वायरियन टीका है, सार्स-सीओवी-2 व चिंता पैदा करने वाले वेरिएंट्स, जो कि टीकाकरण के बाद कम से कम 6 महीने तक बने रहते हैं, के लिए मजबूत प्रतिरक्षा मेमोरी और मेमोरी टी कोशिकाओं को प्रेरित करता है, जो कि वेरिएंट्स के खिलाफ मजबूती से प्रतिक्रिया कर सकते हैं।

बीबीवी152/कोवैक्सीन टीका एक एएसपी614जीएलवाई वैरिएंट्स पर आधारित है और एलम (फिटकरी) के लिए सोखने वाले टोल की तरह वाले रिसेप्टर (टीएलआर) 7/8 एगोनिस्ट मॉलिक्यूल (अणु) (इमिडाजोक्विनोलिन) के साथ तैयार किया गया है। यह भारत में निर्मित पहला एलम-इमिडाजोक्विनोलिन सहायक टीका है और डब्ल्यूएचओ ने इसे बड़े पैमाने पर आपातकालीन उपयोग के लिए मान्यता प्रदान की है। हालांकि, टीका प्रभावकारिता के लिए नैदानिक परीक्षण डेटा उपलब्ध थे, इसके बावजूद विशेष रूप से साक्ष्य-आधारित नीति निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण सवाल के जवाब नहीं मिल पाए थे। इनमें कई सवाल शामिल हैं, जैसे कि क्या टीका प्रतिरक्षा मेमोरी को प्रेरित करता है, टीका-प्रेरित मेमोरी कितने समय तक बनी रहती है और क्या ये मेमोरी प्रतिक्रियाएं सार्स-सीओवी-2 वेरिएंट्स के खिलाफ खुद को बनाए रखने में सक्षम हैं।

फरीदाबाद स्थित टीएचएसटीआई, नई दिल्ली स्थित एम्स, फरीदाबाद स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली स्थित एलएनजेपी अस्पताल, एलजेआई, एलए जोला, डॉ. निमेश गुप्ता और नई दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई) स्थित समूह के साथ एक बहु-संस्थागत सहभागिता में टीका की दोनों खुराक लेने वाले 97 सार्स-सीओवी-2 से अप्रभावित व्यक्तियों की जांच की, जिन्होंने दोनों खुराक लेने की 6 महीने की अवधि पूरा कर लिया था। वैक्सीन-प्रेरित प्रतिक्रियाओं की तुलना हल्के तौर पर कोविड-19 से पीड़ित 99 व्यक्तियों में प्रतिरक्षा मेमोरी के साथ की गई।

विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड की ओर से आईआरएचपीए-कोविड-19 विशेष कॉल के तहत समर्थित अध्ययन में पाया गया कि टीका वायरस के संक्रमण की तरह ही वायरस के स्पाइक, आरबीडी और न्यूक्लियोप्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन करती है। विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का एक वैधानिक निकाय है। हालांकि, बाध्यकारी और तटस्थ एंटीबॉडी, दोनों के विश्लेषण से चिंता पैदा करने वाले डेल्टा (भारत), बीटा (दक्षिण अफ्रीका), और अल्फा (ब्रिटेन) वेरिएंट्स की कम पहचान का पता चला।

इस अध्ययन से इसकी जानकारी प्राप्त हुई कि यह टीका मेमोरी बी कोशिकाओं को प्रेरित करने में सक्षम है। उन्होंने इसे संतोषजनक पाया गया, क्योंकि एंटीबॉडी समय के साथ कम हो सकती हैं, लेकिन ये मेमोरी बी कोशिकाएं जब भी जरूरी हो, वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन कर सकती हैं।

wps5

योजना 2 : यह योजना 2-खुराक कोवैक्सिन® प्राप्त करने वाले लोगों के रक्त के नमूने में सार्ससीओवी-2 विशिष्ट मेमोरी बी कोशिकाओं को मापने की रणनीति का प्रतिनिधित्व करती है

इस टीम ने यह भी पाया कि टीके ने सार्स-सीओवी-2-विशिष्ट टी कोशिकाओं के उत्पादन की क्षमता दिखाई है। साथ ही, एंटीबॉडी के विपरीत महत्वपूर्ण रूप से टी कोशिकाओं की प्रभावशीलता को वेरिएंट्स के खिलाफ अच्छी तरह से संरक्षित किया गया था। इसके अलावा ये वायरस-विशिष्ट टी कोशिकाएं केंद्रीय मेमोरी हिस्से में मौजूद थीं और टीकाकरण के बाद 6 महीने तक बनी रहीं।

सार्स-सीओवी-2 वेरिएंट टीके की ओर से उत्पन्न एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, टी सेल प्रतिक्रियाएं वेरिएंट्स के खिलाफ मजबूती से प्रतिक्रिया करने के लिए उपलब्ध होंगी। जर्नल नेचर माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित यह अध्ययन कोवैक्सिन® के भविष्य के अनुप्रयोग पर साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!