धारा 370 को हटाने पर लगी सुप्रीम कोर्ट की मुहर: अगले साल सितम्बर तक चुनाव कराने होंगे
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर के शासन के लिए अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी। सोमवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसले को पढ़ते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने याचिकाकर्ताओं के उन तर्कों को भी खारिज कर दिया, जिसमें जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छिनने और उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने का विरोध किया गया था।
धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए। इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी।
कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रपति और संसद के पास 370 पर फैसला लेने का अधिकार है. इस तरह 5 अगस्त 2019 का भारत सरकार का फैसला बना रहेगा. इस फैसले को केंद्र सरकार की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है. आइये जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें –
पहला – सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि भारत में विलय के बाद जम्मू कश्मीर संप्रभु राज्य नहीं रहा. कोर्ट ने माना है कि इसकी आंतरिक संप्रभुता नहीं है. साथ ही जहां तक अनुच्छेद 370 का सवाल है, सुप्रीम कोर्ट ने इसे संघवाद की विशेषता बताया है न कि संप्रभुता का.
दूसरा – आर्टिकल 370 परमानेंट है या टेंपररी, इस सवाल के आस पास सुप्रीम कोर्ट में बहुत सी दलीलें रखी गईं थी. याचिकाकर्ताओं का मानना था कि यह एक स्थाई प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी प्रावधान है, इसे परमानेंट प्रावधान नहीं समझा जाना चाहिए.
तीसरा – CJI डीवाई चंद्रचबड़ ने दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की वैधता पर फैसला देने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि इसे याचिकाकर्ताओं ने विस्तार से चुनौती नहीं दी थी.
चौथा – जम्मू कश्मीर 2019 के फैसले के बाद राज्य न रह कर एक केंद्र शासित प्रदेश हो गया जिसकी अपनी विधानसभा होगी. हालांकि अभी तक सरकार ने राज्य में चुनाव को लेकर कोई महत्वपूर्ण घोषणा नहीं की है. अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जम्मू कश्मीर में 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराने की बात कही है. साथ ही कोर्ट ने जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने की बात कही है.
पांच – सवाल यह भी था कि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा या ये भी दोबारा से जम्मू कश्मीर का हिस्सा होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि लद्दाख यूनियन टेरिटरी के तौर पर ही जाना जाएगा.