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अदालतों पर दोगुना हुआ मुकदमों का बोझ: जजों की कमी से न्यायार्थियों  को नहीं मिल रहा समय से न्याय

4.3 crore out of 5 crore cases, i.e more than 85% of cases, are pending in district courts as of December 2022 in India. The government itself is the biggest litigant, having 50% of the pending cases being sponsored by the state. India has the largest number of pending court cases in the world.

uttarakhandhimalaya.in —-

उत्तराखंड के न्यायालयों में पिछले 8 वर्षों में लम्बित केसों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गयी है। 31 दिसम्बर 2022 को उत्तराखंड के न्यायालयों में 3 लाख 53 हजार 206 केस लम्बित थे जिसमें 44,512 केस हाईकोर्ट में तथा 30,869 केस अधीनस्थ न्यायालयों में लम्बित थे।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार 31 दिसम्बर 2022 को उच्च न्यायालय में कुल 44,512 केस लम्बित थे इसमें 25635 सिविल तथा 18,877 क्रिमनल केस शामिल थे। उत्तराखंड के जिलों के अधीनस्थ न्यायालयों में कुल 3,08,694 केस लम्बित थे इसमें 37872 केस सिविल तथा 270822 केस क्रिमनल (अपराधिक) शामिल थे।

नदीम को पूर्व में उपलब्ध कराये गये विवरणों के अनुसार 31 दिसम्बर 2014 को कुल 1,68,431 केस लम्बित थे जिसमें 110 प्रतिशत की वृद्धि होकर 31 दिसम्बर 2022 को लम्बित केसों की संख्या 3,53,206 हो गयी। उत्तराखंड के उच्च न्यायालय में 31 दिसम्बर 2014 को 23105 केस लम्बित थे जिनमें 93 प्रतिशत की वृद्धि होकर 44,512 केस हो गये।

नदीम को उपलब्ध विवरणों के अनुसार लम्बित केसों में वृद्धि दर एक समान नहीं रही है। कुछ वर्षों में इसमें वृद्धि हुई है तथा कुछ वर्षों में कमी भी हुई है। जहां वर्ष 2014 के अंत में 1,68,431 केस 2015 में 113 प्रतिशत ,93,298 वर्ष 2016 में 132 प्रतिशत 2,22,952 वर्ष 2017 में 143 प्रतिशत 240040 वर्ष 2018 में 158 प्रतिशत 2,66,387 वर्ष 2019 में कम होकर 2014 की तुलना में 137 प्रतिशत 2,30,688 वर्ष 2020 में 171 प्रतिशत 2,87,273 वर्ष 2021 में 195 प्रतिशत 3,28,167 तथा 2022 में 2014 की तुलना में 210 प्रतिशत 3,53,206 हो गये हैं।

उच्च न्यायालय में लम्बित केसों में वृद्धि दर अधीनस्थ न्यायालयों की अपेक्षा कम रही है। उच्च न्यायालय मेें 2014 के अंत में कुल 23,105 केस लम्बित थे जो 2015 में 115 प्रतिशत 26,680 वर्ष 2016 में 139 प्रतिशत 32,004 वर्ष 2017 में कम होकर 130 प्रतिशत 30,022 वर्ष 2018 में 147 प्रतिशत 34,049 वर्ष 2019 में 153 प्रतिशत 35407 वर्ष 2020 में 164 प्रतिशत 37,923 वर्ष 2021 में 177 प्रतिशत 40,963 तथा वर्ष 2022 में 193 प्रतिशत 44512 हो गये है।

न्यायालयों में लम्बित केसों में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण जजों की कमी माना जाता है। उत्तराखंड में उच्च न्यायालय में 11 स्वीकृत पद है जबकि 06 जज ही कार्यरत हैं जबकि अधीनस्थ न्यायालयों में सिविल जज (जू.डि.) के 108 में से 24 पद रिक्त हैं जबकि सिविल जज (सी.डि.) के 89 में से 4 पद रिक्त हैं तथा उच्च न्यायिक सेवा (जिला जज आदि) के 102 में से 3 पद रिक्त है।

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