शिवपुराण का श्रवण करने बामनाथ पहुंच रहे हजारों श्रद्धालु

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पोखरी, 18 जुलाई (उहि)। चमोली जिले  के पोखरी ब्लॉक  की निगोल घाटी  के प्राचीन शिव धाम वामनाथ में सावन महीने के पहले सोमवार को बामेश्वर महादेव पर जलाभिषेक के लिए प्रातः काल से ही भक्तों का तांता लगा रहा।  इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने शिव महापुराण  का श्रवण लाभ भी अर्जित किया। बामनाथ में शिव पुराण का आज तीसरा दिन था। कथा सुनने  सांकरी, सेम, नैल ,कंडे समेत दर्जनों गांवों के लोग उमड़ रहे हैं।

सेकड़ों सालों से सांकरी गांव स्थित बामेश्वर के इस शिवलिंग में दर्जनों गांवों के लोग जलाभिषेक करते आ रहे हैं। शिवलिंग के पृष्ठ में पांडवों के शस्त्र पिटारे में रखे गए हैं जिन्हें पाण्डव लीला केलिए ही बाहर निकाला जाता है।

सप्तदिवसिय महा शिव पुराण के तीसरे दिन  कथा  वाचिका कृष्णप्रिया ने कहा कि तमाम कष्टों, दुखों के निवारण का एक मात्र उपाय देवों के देव महादेव की मन से नियमित पूजा-अर्चना कर किया जा सकता हैं। इससे कष्टों के निवारण के साथ ही सुख, समृद्धि को प्राप्त किया जा सकता है।

पोखरी ब्लाक के सांकरी गांव में स्थित विख्यात बामेश्वर मंदिर में बद्रीनाथ क्षेत्र के विधायक राजेंद्र भंडारी, जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी एवं क्षेत्रीय शिव भक्तों के सहयोग से आयोजित श्री शिव महापुराण का 7 दिवसीय आयोजन चल रहा हैं। इस दौरान महापुराण तृतीय दिवस पर कथा का वाचन करते हुए कथा वाचिका कृष्णप्रिया के द्वारा भगवान भोलेनाथ के भोलेपन की कथाओं की तमाम स्मृतियों को सुनने हुए कहा कि वें भगवान भोलेनाथ इतने भोले हैं कि वें इस कलयुग में केवल जल चढ़ाने से ही प्रशन्न हों कर भक्त की मनोकामनाओं को पूरी कर देते हैं।

उन्होंने कहा कि जिस भी भक्त ने सच्चे मन से शिव से प्रार्थना की उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि भोल शंकर ही एक मात्र ऐसी शक्ति हैं जिसकी दानव एवं देवता दोनों पूजा करते हैं और जानते हुए भी वें देवताओं की तरह ही दानवों को आशीर्वाद देने से कभी पीछे नही हटे।
कथा वाचिका ने शिवलिंग पर जलाभिषेक के महत्व को समझाते हुए कहा कि श्रावण मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथन के बाद जो विष निकला उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की। लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया। इसी से उनका नाम नीलकंठ महादेव पड़ा। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी- देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का खास महत्व है।

कृष्ण प्रिया ने कहा कि भगवान शिव और भगवान विष्णु में कोई अंतर नहीं है। कुछ लोग भगवान शिव को नहीं मानते वे ये नहीं जानते कि शिवभक्ति किये बिना भगवान विष्णु या राम की कृपा प्राप्त करना असम्भव हैं। शिव आदि देवता हैं। सृष्टि के आरंभ और अंत शिव ही हैं। हम सभी में भगवान शिव का ही वास है। शिव शक्ति के बिना हम शव हैं। कथा वाचन के बाद कथा वाचिका कृष्णप्रियि के सानिध्य में रसभरे शिव भजनों से मंदिर परिसर गूंज उठा। जिससे शिव भक्त झूमने लगे।

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