शिक्षा/साहित्य

उत्तराखंड की किशोरी के लिए टीएमयू के डॉक्टर्स बने फरिश्ते

यह दुर्लभ ऑपरेशन 05 घंटे तक चला, सीनियर्स चिकित्सकों की टीम ने जन्म से फैली पित्ते की नली को छोटी आंत के साथ जोड़ दिया, पेशेंट की जांच करने पर पता चला कि पेशेंट में जन्मजात पित्ते की नली के फेल जाने से थैली बन गई थी,किशोरी के चेहरे पर है अब मुस्कान

–प्रो. श्याम सुंदर भाटिया

उत्तराखंड की किशोरी के लिए तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर के सर्जरी विभाग के डॉक्टर्स की टीम किसी फरिश्तों से कम नहीं है। चिकित्सकों की इस टीम ने की किशोरी के पित्ते की नली और अग्नाशय का दुर्लभ ऑपरेशन किया है। मेडिकल में इसे कॉलीडोकल सिस्ट जन्मजात एवम् पेनक्रियाटाइटिस कहते हैं। इन कारणों से पेशेंट को जॉन्डिस भी था। यह एक दुर्लभ बीमारी है। यह ऑपरेशन 05 घंटे तक चला, जिसमें जन्म से फैली पित्ते की नली को काटकर छोटी आंत के साथ जोड़ दिया गया। पेशेंट अब स्वस्थ है। किशोरी अब खाना भी खा रही है। इस दुर्लभ ऑपरेशन में सर्जरी विभाग के एचओडी प्रो. एनके सिंह के संग- संग जीआई सर्जन प्रो. सीके झकमोला और प्रो. आरके कौल आदि शामिल रहे हैं ।

प्रो. एनके सिंह 2015 से टीएमयू में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रो. सिंह को 24 साल का लंबा अनुभव है। वह अब तक 15,000 से अधिक सर्जरी कर चुके हैं। टीएमयू में सर्जरी की टीम दूरबीन और चीरे के ऑपरेशन में पारंगत हैं। एडवांस लैप्रोस्कोपी सर्जरी और एडवांस जीआई सर्जरी में भी टीएमयू के डॉक्टर्स एक्सपर्ट हैं। इससे पहले भी प्रो. सिंह  इस प्रकार के रेअर ऑपरेशन को अंजाम दे चुके हैं, जिसमें पेशेंट के अग्नाशय के चारों ओर फुटबॉल के आकार की थैली बन गई थी। पेशेंट को पीलिया और भूख न लगने की समस्या बनी रहती थी। उल्लेखनीय है, प्रो. सीके झकमोला एंडवांस गेस्टो सर्जरी के विशेषज्ञ हैं। किशोरी की सर्जरी को सफल बनाने में उनकी भूमिका काफी अहम रही है।

 

काशीपुर की रहने वाली 13 वर्ष की किशोरी निकुंज को छह माह से पीलिया और अग्नाशय में सूजन की शिकायत थी। अग्नाशय में सूजन के कारण पेशेंट प्रोपर तरीके से खा पी नहीं रही थी। इसके अलावा बुखार से भी छुटकारा नहीं मिल पा रहा था। बार-बार सूजन के अटैक के कारण निकुंज बहुत ही कमजोर ही गई थी। घरवालों ने बहुत से डॉक्टरों से इलाज कराया, लेकिन कहीं से कोई लाभ नहीं मिला। परिवार वाले पेशेंट को दिल्ली के जीबी पन्त हाॅस्पिटल भी लेकर गए, लेकिन वहां पर भी निराशा मिली। दिल में उम्मीद की आखिरी किरण लेकर परिजन निकुंज को तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में पहुंचे। टीएमयू में जब सर्जरी विभाग के एचओडी प्रो. एनके सिंह ने पेशेंट की जांच करने पर पता चला कि पेशेंट में जन्मजात पित्ते की नली के फेल जाने से थैली बन गई थी। पीलिया के कारण पेशेंट में खून की मात्रा अति अल्प थी। अतः पहले पेशेंट को खून की दिया गया और इलाज के जरिए उसे स्थिर किया गया। इसके बाद मरीज का ऑपरेशन किया गया।

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