जीवन की चुनौतियां और युवा वर्ग पर कार्यशाला का आयोजन

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-uttarakhandhi.aaya.in —

देहरादून, 20 सितम्बर। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से अपने नियमित कार्यक्रमों में समय-समय पर पुस्तक वाचन और चर्चा, संगीत, वृत्तचित्र व फिल्म शो,लोक परंपरओं, लोक कलाओं, पर्यावरण, साहित्य, इतिहास तथा अन्य सामाजिक मुद्दों को प्रस्तुत करने की दिशा में प्रयासरत है। इसी क्रम में गत सांय  एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे ‘जीवन की चुनौतियों से संघर्ष : मानसिक स्वास्थ्य और जीवन कौशल’ पर युवा मार्गदर्शक बिमल रतूड़ी द्वरा एक लघु कार्यशाला दून पुस्तकालय के सभागार में आयोजित की गई। यह लघु-कार्यशाला मुख्य रूप से नागरिक और स्वास्थ्य मुद्दों पर केंद्रित जागरूकता श्रृंखला का एक हिस्सा है।

 

इस सामाजिक परिवर्तनकारी कार्यशाला में आज के युवाओं को 21वीं सदी में सफल होने के लिए आवश्यक आवश्यक उपकरणों और ज्ञान के साथ उन्हें सशक्त बनाने के लिए प्रेरित किया गया । इस आकर्षक और इंटरैक्टिव सत्र में युवाओं के सामने आने वाली बहुमुखी चुनौतियों के समाधान के कई सहज व आसान तरीके थे। इनमें परीक्षा में उत्तीर्ण होने से लेकर व्यक्तिगत जुनून, शौक और मूल्यवान जीवन सबक को बढ़ावा देने जैसे विषयों को शामिल किया गया था।

कार्यशाला में युवा मार्गदर्शनक बिमल रतूड़ी ने कहा कि प्रतिभागियों को अपने मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बनाए रखने के लिए व्यावहारिक रणनीतियों को सीखने के दौरान महत्वपूर्ण जीवन कौशल में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त की जा सकती है।कार्यशाल के उद्देश्य के बारे में उन्होंने कहा कि इस तरह की चर्चाओं, गतिविधियों और विशेषज्ञ मार्गदर्शन के संयोजन के माध्यम से, इस कार्यशाला का उद्देश्य युवाओं को जीवन की जटिलताओं से निपटने और आत्मनिर्भर बनने के लिए आवश्यक लचीलेपन और आत्मविश्वास से लबरेज करना है। पूरी तरह आश्वस्त व सफल व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत और व्यावसायिक यात्राओं को जीतने की तरफ हमेशा तत्पर रहता है।

 

हिमालयन एजुकेशन इनिशिएटिव्स के संस्थापक के रूप में बिमल रतूड़ी लगभग 12 वर्षों से अधिक समय से सामाजिक मुद्दों से जुड़े हुए हैं। वह भारत की प्रतिष्ठित फ़ेलोशिप में से एक, “गांधी फ़ेलोशिप” के पूर्व छात्र हैं। वह मानसिक स्वास्थ्य, लिंग और युवा उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करते हुए युवाओं, बच्चों और महिलाओं के साथ काम कर रहे हैं। 2013 में उत्तराखंड केदारनाथ आपदा के बाद, वह आपदाग्रस्त क्षेत्रों में बच्चों के साथ काम कर रहे हैं, जीवन कौशल सिखा रहे हैं और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दे रहे हैं। उनके प्रयासों को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने उन्हें पुरस्कृत किया। उन्हें “दक्षिण एशिया युवा शांति सम्मेलन” के लिए भी चुना गया है।

बिमल रतूड़ी ने पूरे भारत में विभिन्न स्कूलों, डिग्री कॉलेजों, इंजीनियरिंग कॉलेजों और संस्थानों में 300 से अधिक जीवन कौशल पर आधारित कार्यशालाएं और सत्र आयोजित किए हैं। वे डिजिटल मीडिया के माध्यम से युवाओं से जुड़े रहते हैं। युवा वर्ग के विविध पक्षों से जुड़े मुद्दों के फीचर लेखक हैं। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर अक्सर उनकी बातचीत आकाशवाणी पर भी प्रसारित होती हैं।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवावर्ग शामिल हुए। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में अध्ययनरत अनेक युवा पाठकों ने भी इस कार्यशाला में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर हैरी शेट्टी, निकोलस हॉफलैण्ड, सुंदर सिंह बिष्ट सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

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