राष्ट्रीयसुरक्षा

भारतीय वायु सेना की 44 स्क्वाड्रन “रणनीतिक एयरलिफ्ट” के अग्रदूतों ने हीरक जयंती मनाई

No. 44 Squadron is a unit of the Indian Air Force assigned to Maintenance Command. The Squadron participates in operations involving air, land and air-drop of troops, equipment, supplies, and support or augments special operations forces, when appropriate.
–uttarakhandhimalaya.in —
नयी दिल्ली, 22 अप्रैल। भारतीय वायु सेना की 44 स्क्वाड्रन इस वर्ष चंडीगढ़ में अपनी हीरक जयंती मना रही है।  इस स्क्वाड्रन का समृद्ध और गौरवशाली इतिहास आधुनिक भारत के सैन्य इतिहास और सैन्य कूटनीति का बहुरूपदर्शक है। इसका इतिहास धैर्य, साहस, समर्पण और व्यावसायिकता की गाथाओं से समृद्ध है।

इस स्क्वाड्रन की स्थापना 06 अप्रैल, 1961 को की गई थी और यह एएन-12 वायुयान से लैस थी। इसने 1985 तक एएन-12 का संचालन किया। मार्च 1985 में आईएल-76 विमान को भारत में लाया गया, जिसे औपचारिक रूप से 16 जून, 1985 को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। यह विमान आज भी सेवारत है। वर्ष 2021 में कोविड महामारी के कारण हीरक जयंती समारोह स्थगित करना पड़ा था।

भारतीय वायुसेना में रणनीतिक एयरलिफ्ट की अग्रदूत यह स्क्वाड्रन देश में प्रमुख सैन्य मानवीय सहायता और आपदा राहत पहल का हिस्सा रही है। इसने न केवल भारतीय वायुसेना और राष्ट्र को एक सामरिक बल से रणनीतिक बल के रूप में विकसित होते देखा है, बल्कि इससे जुड़ी अन्य सेवाओं की सैन्य शक्ति में भी वृद्धि हुई है। स्क्वाड्रन ने “वसुधैव कुटुम्बकम” की देश की मान्यता को ध्यान में रखते हुए, कठिनाई के समय, देश के नागरिकों के साथ-साथ विश्व के लोगों को भी सहायता प्रदान की है।

स्क्वाड्रन इष्टम यत्नेन साध्यते के अपने आदर्श वाक्य पर कायम है, इसका अर्थ है दृढ़ता के माध्यम से लक्ष्यों को प्राप्त करें। वर्ष 1985 में स्क्वाड्रन का नाम बदलकर माइटी जेट्स कर दिया गया।

भारतीय वायुसेना द्वारा की गई एयरलिफ्ट गतिविधियों में 44 स्क्वाड्रन अग्रणी रही है। यह स्क्वाड्रन सौंपे गए किसी भी कार्य को करने के लिए हमेशा तत्पर रहती है।है।

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