राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 24 अप्रैल को मनाया जाएगा
—-उषा रावत
हमारा देश प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाता है। संविधान के (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज के संस्थागतकरण के साथ जमीनी स्तर पर सत्ता के विकेंद्रीकरण के इतिहास में 24 अप्रैल का दिवस एक निर्णायक क्षण है, जिस दिन इसे लागू किया गया था। पंचायती राज मंत्रालय हर वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाता है, क्योंकि इस दिन 73वां संविधान संशोधन लागू हुआ था। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस को बड़े पैमाने पर एक भव्य आयोजन के रूप में मनाया जाता है और आम तौर पर इसे राष्ट्रीय राजधानी से बाहर आयोजित किया जाता है।
इस वर्ष का राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस एक विशेष महत्व रखता है क्योंकि हम भारत में पंचायती राज के 30 वर्ष पूर्ण होने का उत्सव मना रहे हैं। पंचायतों के संबंध में भाग IX पेश किया गया यह संविधान संशोधन अधिनियम, जमीनी स्तर पर एक प्रभावी स्थानीय शासन का शुभारंभ करने वाली हमारी लोकतांत्रिक राजनीति में एक ऐतिहासिक पहल रहा है।
केंद्र सरकार ने पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) को सर्वोत्तम तरीके से समर्थन देने के अपने प्रयासों में और तीव्रता वृद्धि की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पंचायती राज के मूल उद्देश्यों को सही मायने में हासिल किया जा सके। भारत ने ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं और विकासात्मक गतिविधियों का समर्थन करने के लिए पंचायती राज संस्थानों को वित्तीय संसाधनों के आवंटन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के तौर पर हासिल किया है। केंद्र सरकार पंचायती राज संस्थाओं को सक्षम और सशक्त बनाने, उनकी भूमिका और जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों की क्षमता बढ़ाने और समावेशी विकास, आर्थिक विकास और उपलब्धि को हासिल करने की दिशा में योगदान करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं की दक्षता, कार्यप्रणाली की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व में सुधार के लिए कई पहल कर रही है। नौ विषयों में सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) अर्थात (1) गरीबी मुक्त और बढ़ी हुई आजीविका गांव, (2) स्वस्थ गांव, (3) बच्चों के अनुकूल गांव, (4) जल पर्याप्त गांव, (5) स्वच्छ और हरित गांव, (6) आत्मनिर्भर बुनियादी ढाँचे वाला गाँव, (7) सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण और सामाजिक रूप से सुरक्षित गाँव, (8) सुशासन वाला गाँव और (9) महिला मित्र गाँव।
ईग्रामस्वराज–सरकार ईमार्केटप्लेस एकीकरण
ईग्रामस्वराज (ईजीएस) का शुभारंभ 24 अप्रैल 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर किया गया था, इसे योजना से ऑनलाइन भुगतान तक, पंचायतों के दिन-प्रतिदिन के कामकाज के लिए एकल खिड़की समाधान के रूप में संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। 24 अप्रैल 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा किए गए आह्वान के बाद इस पर तेजी से काम हुआ। आज देश भर में ईग्रामस्वराज शत-प्रतिशत कार्य कर रहा है, 2.3 लाख से अधिक ग्राम पंचायतें और पारंपरिक स्थानीय निकाय पहले से ही ऑनलाइन भुगतान के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं। अब तक इस प्रणाली के माध्यम से 1.35 लाख करोड़ से अधिक भुगतान ऑनलाइन किए जा चुके हैं। इस प्रणाली के माध्यम से खर्च किए गए अनुदान मुख्य रूप से केंद्रीय वित्त आयोग के अनुदान थे और 15वें वित्त आयोग की अनुदान राशि (2.5 लाख करोड़ रुपये) केवल ईग्रामस्वराज एप्लिकेशन के माध्यम से खर्च किए जा रहे हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में, लगभग पूरे भारत में पंचायतों द्वारा 50,000 करोड़ रुपये ऑनलाइन खर्च किए गए। भुगतान सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से सीधे विक्रेता खातों में किए जाते हैं।
पंचायतों द्वारा जहां ऑनलाइन खर्च किया जा रहा था, वहीं ऑफलाइन टेंडर आदि परंपरागत तरीके से खरीद की जा रही थी। इसलिए, पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) के प्रयास और देश भर में कई पंचायतों द्वारा अनुरोध किए जाने पर यह निर्णय लिया गया कि खरीद प्रक्रिया भी ईग्रामस्वराज की एक विशेषता बन जाएगी। इसलिए, पंचायती राज मंत्रालय और जीईएम (गवर्नमेंट ईमार्केटप्लेस) ने ईग्रामस्वराज और जीईएम को एकीकृत करने के लिए सहयोग किया और ईग्रामस्वराज और गवर्नमेंट ईमार्केटप्लेस (जीईएम) अनुप्रयोगों के बीच तकनीकी एकीकरण की पहल की गई। इसका उद्देश्य पंचायतों को सीधे ईग्रामस्वराज प्लेटफॉर्म का लाभ उठाते हुए जीईएम के माध्यम से अपने सामान और सेवाओं की खरीद करने में सक्षम बनाना है। यह पहल जीईएम के माध्यम से ऑनलाइन खरीद के लाभों को शासन के सबसे निचले स्तर तक ले जाएगी और केवल केंद्र/राज्य सरकार के मंत्रालयों और विभागों तक ही सीमित नहीं रहेगी। पंचायतें पहले से ही ईग्राम स्वराज का उपयोग करने की आदि हैं, इसलिए जीईएम के माध्यम से खरीदी उनके ऑनलाइन कार्य और फंड प्रबंधन का विस्तार होगा।
ईग्रामस्वराज – गवर्नमेंट ईमार्केटप्लेस इंटीग्रेशन की मुख्य विशेषताएं:
- लगभग 60,000 के जीईएम के मौजूदा उपयोगकर्ता आधार को चरणबद्ध तरीके से 3 लाख से अधिक तक बढ़ाने की परिकल्पना की गई है।
- प्रक्रिया को डिजिटल बनाकर पंचायतों द्वारा खरीद में पारदर्शिता लाना, पंचायतों द्वारा उठाई गई एक प्रमुख मांग है।
- स्थानीय विक्रेताओं (मालिकों, स्वयं सहायता समूहों, सहकारी समितियों आदि) को जीईएम पर पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करना क्योंकि पंचायतें बड़े पैमाने पर ऐसे विक्रेताओं से खरीद करती हैं। साथ ही ऐसे वेंडर्स द्वारा ऑनलाइन बिक्री करने से उनके लिए नए बाजार खुल सकते हैं।
- जीईएम के उपयोग के आधार पर खरीद के रूप में लेखापरीक्षा आपत्तियों का शमन सामान्य वित्तीय नियमों (जीएफआर) का पालन करेगा।
- मनमाने तरीके से ठेके देने पर रोक लगेगी, अनुपालक वेंडरों को समय पर भुगतान मिलेगा।
- पंचायतें मानकीकृत और प्रतिस्पर्धी दरों पर गुणवत्ता सुनिश्चित सामान की घर पर डिलीवरी तक पहुंच बनाएगी।
- पंचायती राज मंत्रालय प्रमुख क्षमता निर्माण कर रहा है, इसके अंतर्गत केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर कई बार प्रशिक्षण आयोजित किया गया है। जीईएम ने पंचायत उपयोगकर्ताओं की सहायता के लिए सभी राज्यों में व्यापार सुविधाकर्ताओं को प्रशिक्षित और नियुक्त किया है।
स्वामित्व योजना
स्वामित्व (ग्रामीण क्षेत्रों में गांवों का सर्वेक्षण और सुधार प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण) एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे 24 अप्रैल 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर शुरू किया था। स्वामित्व योजना का उद्देश्य गाँव के बसे हुए क्षेत्र के ग्रामीण परिवारों के मालिकों को “अधिकारों के रिकॉर्ड”/संपत्ति कार्ड प्रदान करना है। इस योजना में विविध पहलुओं को शामिल किया गया है। इनमें संपत्तियों के मुद्रीकरण को सुगम बनाना और बैंक ऋणों को सक्षम बनाना; संपत्ति संबंधी विवादों को कम करना; व्यापक ग्राम स्तरीय योजना शामिल हैं। यह पंचायतों के सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल को और बढ़ाएगा, जिससे वे आत्मनिर्भर बनेंगे। इस योजना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विकलांग, अल्पसंख्यक, महिला और अन्य कमजोर समूहों सहित समाज के प्रत्येक वर्ग को शामिल किया गया है।
31 मार्च 2023 तक 2.39 लाख गाँवों में ड्रोन सर्वेक्षण का काम पूरा हो चुका है, जो 3.72 लाख गाँवों के कुल लक्ष्य का 63% है। ड्रोन सर्वेक्षण मध्य प्रदेश राज्य, लक्षद्वीप, दिल्ली और केन्द्र शासित प्रदेश, दादरा नगर हवेली और दमन और दीव क्षेत्रों में पूरा हो गया है। उत्तराखंड, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और गोवा के बाद हरियाणा के लाभार्थियों के संपत्ति कार्ड तैयार किए गए हैं। राज्यों और सर्वे ऑफ इंडिया के बीच समन्वय के साथ लगभग 74,000 गांवों के लिए 1.24 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड तैयार करने की उपलब्धि हासिल की गई है।