यूसैक और उत्तराँचल विश्वविद्यालय के बीच अकादमिक अनुबंध विद्यार्थियों को शोध एवं अनुसंधान,पी एच डी तथा आर एंड डी प्रोग्राम में मिलेगी
देहरादून, 12 दिसंबर ( उ हि )। मैदान से लेकर सुदूर पहाड़ तक के विद्यार्थियों को अन्तरिक्ष विज्ञान की निजी और देश-प्रदेश की तरक्की में उपयोगिता की जानकारी पहंचाने के उद्ेश्य से उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र (यूसैक) की महत्वपूर्ण मुहिम के तहत सोमवार को यूसैक और उत्तरांचल विश्व विद्यालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुये। इस समझौते का लाभ विद्यार्थियों के साथ ही सामान्य विद्यार्थी भी ज्ञानर्जन के लिये उठा सकेंगे। यूसैक की इस पहल का लाभ कुछ अन्य विश्व विद्यालयों के छात्र भी उठा रहे हैं।
इसी कड़ी में सोमवार को उत्तराँचल विश्वविद्यालय एवं उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र के बीच अकादमिक अनुबंध करने सुअवसर प्राप्त हुआ । यूसैक की ओर से प्रोफेसर महेन्द्र प्रताप सिंह बिष्ट के साथ डा० प्रियदर्शी उपाध्याय वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं श्री राम मेहता प्रशासनिक अधिकारी तथा उत्तरांचल विश्वविद्यालय की ओर से प्रो० धरम बुद्धी,कुलपति डा० अजय सिंह , अधिष्ठाता शोध एवं विकास तथा श्री एस सी शर्मा जी, कुलसचिव, व डा० राजेश सिंह विभागाध्यक्ष इनोवेशन, की गरिमापूर्ण उपस्थिति में विश्वविद्यालय के चांसलर चेम्बर में सम्पन्न हुई। इस अनुबंध के पश्चात् दोनों संस्थाओं के बीच शोध एवं अनुसंधान कार्य, विज्ञान का प्रसार, सेमिनार, पी एच डी कार्य में निर्देशन, तथा रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोग्राम को साझा किया जा सकता है । यह अनुबंध आगामी तीन वर्षों के लिए मान्य है और भविष्य में अच्छा परिणाम मिला तो अनुबंध को आगे भी बढ़ाया जा सकता है ।
इस अवसर पर यूसैक के निदेशक प्रोफेसर महेन्द्र प्रताप सिंह बिष्ट ने कहा कि किसी भी संस्थान के खुलने का उद्देश्य तब तक अधूरा है जब तक उसके द्वारा किये जा रहे शोध कार्य का लाभ परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से क्षेत्र व राष्ट्रीय स्तर पर न पहुँचे। और उस ज्ञान का प्रसार आम नागरिकों तक न पहुँचे। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र के वैज्ञानिकों की सहायता से हमनें प्रदेश के सुदूर पहाड़ी अंचल में रहने वाले विद्यार्थियों से लेकर मैदानी क्षेत्रों में पढ़ने वाले छात्रों तक अन्तरिक्ष विज्ञान की उपयोगिता को उनके निजी जीवन से लेकर प्रदेश एवं देश के विकास में किस प्रकार उपयोग में लाया जा सकता है, का भरसक प्रयास किया । मुझे लगता है कि सही माने में विज्ञान को जन जन तक पहुँचाने तथा अपनी नयी पीढ़ी को लाभान्वित करने का यह एक अति महत्वपूर्ण कदम है ।