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भारत और बेल्जियम के खगोल विशेषज्ञों ने अंतरिक्ष विज्ञान में सहयोग के लाभों पर प्रकाश डाला

-uttarakhandhimalaya.in —-

भारत और बेल्जियम के विशेषज्ञों के साथ-साथ अमेरिका, कनाडा, पोलैंड, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, इथोपिया और केन्या के विशेषज्ञों ने खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी के लिए बेल्गो-इंडियन नेटवर्क (बीना) की अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में अंतरिक्ष विज्ञान में प्रेरक गतिविधियों में वैज्ञानिक सहयोग के लाभों पर प्रकाश डाला, जिसका आयोजन आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) द्वारा किया गया, जो  विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत आने वाला एक स्वायत्त संस्थान है।

बेल्जियम के राजदूत श्री डिडिएर वेंडरहासेल्ट ने ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी (जीईएचयू) के भीमताल, नैनीताल, परिसर में 22-24 मार्च तक चली बीना कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में कहा कि “बेल्जियम विज्ञान नीति कार्यालय (बीईएलएसपीओ) तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) साइबर सुरक्षा, जैव विज्ञान, समुद्री विज्ञान, ब्लैक होल, जलवायु परिवर्तन और कई अन्य प्रेरक परियोजनाओं पर मिलकर काम करते हैं और  इस  कार्यशाला  ने  भारत-बेल्जियम सहयोग की वैज्ञानिक क्षमता पर बल देगी।”

श्री एस के वार्ष्णेय, डीएसटी के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रमुख ने जोर देकर कहा कि अनुसंधान के लिए नेटवर्किंग बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विभिन्न संभावनाओं से आने वाली आम चुनौतियों से निपटने में सहयोग के लिए नेटवर्किंग पहला कदम है।

प्रोफेसर दीपांकर बनर्जी, एरीज के निदेशक ने भारत-बेल्जियम सौर अंतरिक्ष मिशन और आदित्य एल-1, सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन के संदर्भ में रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि हमें विभिन्न संस्थानों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा युवाओं को आकर्षित करने की आवश्यकता है।

बेल्जियम की रॉयल वेधशाला के डॉ पीटर डी कैट (आरओबी; बीना के बेल्जियन पीआई) ने बीना कार्यशाला की उत्पत्ति और इसकी गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया और बीना के भारतीय पीआई, डॉ संतोष जोशी ने बीना की तीसरी कार्यशाला के वैज्ञानिक कार्यक्रमों और नेटवर्किंग गतिविधियों का अवलोकन किया।

कार्यशाला का आयोजन जीईएचयू के भीमताल परिसर में एरीज और जीईएचयू के बीच समझौता ज्ञापन के भाग के रूप में किया गया । इस अवसर पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, प्रो. नरपिंदर सिंह, कुलपति, ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय, जो कि देश के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में शामिल है, और प्रोफेसर जे. कुमार, प्रो-चांसलर, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी ने बेल्जियम के राजदूत से बेल्जियम के शीर्ष संस्थानों के साथ सहयोग में आगे बढ़ने वाले रास्तों पर विचार-विमर्श किया।

बीना एक नेटवर्क है जो बेल्जियम और भारतीय संस्थानों के बीच अंतरिक्ष अनुसंधान में सहयोग को बढ़ावा देता है। इस द्विपक्षीय सहयोग की पहल 2014 में एरीज के डॉ संतोष जोशी (बीना के भारतीय पीआई) और बेल्जियम की रॉयल वेधशाला (आरओबी) के डॉ पीटर डी कैट (बीना के बेल्जियम पीआई) द्वारा की गई थी। इस परियोजना के परिणामों को एरीज, नैनीताल, उत्तराखंड की देवस्थल वेधशाला में देखा जा सकता है, जिसने दो इंडो-बेल्जियन दूरबीनों की मेजबानी की है: 3.6-मीटर देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (डीओटी) और हाल ही में उद्घाटन किए गए 4.0-मीटर इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (आईएलएमटी)।

बीना सहयोग ने देश में भारत-बेल्जियम अवलोकन सुविधाओं को मजबूती प्रदान की है अर्थात् 3.6-मीटर डीओटी और 4.0-मीटर आईएलएमटी, भारत में सबसे बड़े आकार के ऑप्टिकल टेलीस्कोप। इस सहयोग की उत्पादकता भावी पीढ़ी के लिए वैज्ञानिक प्रकाशनों और जनशक्ति प्रशिक्षण दोनों के लिए सराहनीय रही है।

2014 से, अंतर्राष्ट्रीय प्रभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी, भारत सरकार) और बेल्जियम विज्ञान नीति कार्यालय (बीएलएसपीओ, बेल्जियम सरकार) दोनों ओर कार्य यात्राओं और कार्यशालाओं के आयोजन के लिए धन उपलब्ध कराते हुए बीना का लगातार समर्थन कर रहे हैं। अब तक, दो बीना कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं। पहली कार्यशाला का आयोजन 2016 में एरीज द्वारा नैनीताल में ‘3.6-मीटर टीओटी और 4.0-मीटर आईएलएमटी दूरबीनों के साथ इंस्ट्रूमेंटेशन एंड साइंस’  विषय पर किया गया था। जबकि दूसरी कार्यशाला का आयोजन 2018 में बेल्जियम में ‘बीना, एक विस्तारित अंतरराष्ट्रीय सहयोग के रूप में’ विषय पर आरओबी द्वारा किया गया था और डॉट से प्राप्त टिप्पणियों के साथ पहले परिणाम प्रस्तुत किए गए थे।

कार्यशाला के हिस्से के रूप में, बीना प्रतिभागियों ने आस-पास के स्कूलों-कॉलेजों में युवा छात्रों के लिए 14 लोकप्रिय वार्ताएं आयोजित की जिनमें (भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय नैनीताल, मोहन लाल साह बाल विद्या मंदिर नैनीताल, सेंट मैरी कॉन्वेंट कॉलेज नैनीताल, सेंट जोसेफ कॉलेज नैनीताल, बिड़ला विद्या मंदिर नैनीताल, जवाहर नवोदय विद्यालय रुद्रपुर, हिमालयन प्रोग्रेसिव स्कूल किच्छा, हेर्मान जीमाइनर स्कूल भीमताल, लेक्स इंटरनेशनल स्कूल भीमताल और सैनिक स्कूल घोड़ाखाल), कॉलेज और विश्वविद्यालय (बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंसेज भीमताल, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी भीमताल, एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी और कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल) शामिल थे।

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