Front Page

मास्टर प्लान के नाम पर मलबे में बदल दिया बदरीनाथ धाम: प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की गुहार

–By Jay Singh Rawat

देहरादून, 19 मई। बदरीनाथ धाम का मास्टर प्लान एक बार फिर विवादों में आ गया है। धाम के पंडा समाज कोे भवनों के ध्वस्तीकरण और अपर्याप्त मुआवजे को लेकर नाराजगी तो थी ही लेकिन अब भारी मशीनों से अंधाधंुध खुदाई से बाजार और पंचभैया मोहल्ले के धसने की नौबत आने की शिकायत सीधे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के दरबार तक चली गयी है। मकानों-दुकानों के बड़े पैमाने पर ध्वस्तीकरण के कारण बदरनाथ धाम में मलबे के ढेरों में गुम होता नजर आ

Advocate Rajendra Kotiyal, the former State information commissioner

रहा है।

पूर्व राज्य सूचना आयुक्त और हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र कोटियाल ने आज शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेज कर शिकायत की है कि बदरीनाथ धाम में अलकनन्दा नदी की ओर से भारी मशीनों द्वारा बेतहासा और अवैज्ञानिक खुदाई किये जाने से बाजार और पंचभैया मोहल्ले के धंसने की नौबत आ गयी है। इस नयी समस्या को छिपाने का प्रयास प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। कोटियाल ने शिकायत की है कि धाम की पौराणिक महत्व की क्रूम और प्रह्लाद धाराएं बंद हो चुकी हैं तथा बाजार के धंसने की नौबत आ गयी। जिस पर आज प्रशासन ने दो तरफ दीवारें खड़ी कर स्थिति को छिपाने का प्रयास किया है। पूछने पर प्रशासन का कहना है कि दीवारबंदी यात्रियों की सुरक्षा को लेकर की गयी है।

राजेन्द्र कोटियाल ने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि कुबेर गली स्थित पूरा पंचभैया मोहल्ला धंसने की कगार पर आ गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध करने के साथ ही कहा है कि अगर बदरीनाथ धाम में धार्मिक महत्व की जलधाराएं ही नहीं रहेंगी तो इससे धाम के महत्व और गरिमा पर आंच आयेगी। अगर निर्माण कार्य इसी तरह जारी रहा तो बदरीनाथ मंदिर भी खतरे की जद में आ जायेगा। पवित्र धाम में ध्वस्त इमारतों का मंजर एक डरावना दृष्य उत्पन्न कर रहा है। चारों तरफ ध्वस्त भवनों का मलबा ही मलबा नजर आ रहा है।


यही नहीं एडोवकेट कोटियाल, जो कि स्वयं पंडा समाज से हैं, ने शिकायत की है कि बदरीनाथ में मास्टर प्लान के नाम पर मनमानी की जा रही है। बिना अर्जित किये और बिना मुआवजा दिये भवनों और दुकानों को तोड़ा जा रहा है। इस संबंध में राज्य मानवाधिकार आयोग से शिकायत करने पर आयोग ने सज्ञंान लेकर प्रशासन को नोटिस भी जारी कर दिया है।
राजेन्द्र कोटियाल द्वारा मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाये जाने के बाद चमोली का प्रशासन अचानक हरकत में आ गया है। प्रशासन के अला अफसर बदरीनाथ में डेरा डाले हुये हैं। शनिवार को मुख्य सचिव संधू के बदरीनाथ पहुंचने की संभावना है। शुक्रवार को पंडा समाज के लोगों से भी अफसरों ने वार्ता की।

इससे पहले 1974 में भी बसंत कुमार बिड़ला की पुत्री के नाम पर बने बिड़ला ग्रुप के जयश्री ट्रस्ट ने भी बदरीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कर उसे नया स्वरूप देने का प्रयास किया था। उस समय सीमेंट कंकरीट का प्लेटफार्म बनने के बाद 22 फुट ऊंची दीवार भी बन गयी थी और आगरा से मंदिर के लिये लाल बालू के पत्थर भी पहुंच गये थे। लेकिन चिपको नेता चण्डी प्रसाद भट्ट एवं गौरा देवी तथा ब्लाक प्रमुख गोविन्द सिंह रावत आदि के नेतृत्व में चले स्थानीय लोगों के आन्दोलन के कारण उत्तर प्रदेश की तत्कालीन हेमवती नन्दन बहुगुणा सरकार ने निर्माण कार्य रुकवा दिया था। इस सम्बन्ध में 13 जुलाइ 1974 को उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री बहुगुणा ने अपने वरिष्ठ सहयोगी एवं वित्तमंत्री नारायण दत्त तिवारी की अध्यक्षता में हाइपावर कमेटी की घोषणा की थी। इस कमेटी में भूगर्व विभाग के विशेषज्ञों के साथ ही भारतीय पुरातत्व विभाग के तत्कालीन महानिदेशक एम.एन. देशपांडे भी सदस्य थे।

कमेटी की सिफारिश पर सरकार ने निर्माण कार्य पर पूर्णतः रोक लगवा दी थी। तिवारी कमेटी ने बदरीनाथ धाम की भूगर्वीय और भूभौतिकीय एवं जलवायु संबंधी तमाम परिस्थितियों का अध्ययन कर बदरीनाथ में अनावश्यक निर्माण से परहेज करने की सिफारिश की थी। लेकिन बदरीनाथ के इतिहास भूगोल से अनविज्ञ उत्तराखण्ड की मौजूदा सरकार ने मास्टर प्लान बनाने में इस सरकारी विशेषज्ञ कमेटी की सिफारिशों की तक अनदेखी कर दी। यह क्षेत्र एवलांच के खतरे वाला भी है जहां हर चौथे-पांचवें साल भयंकर एवलांच भारी नुकसान करते रहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!