भैया दूज पर उत्तराखंड ज्योतिष रत्न डॉ. घिल्डियाल ने किया भ्रम दूर

Spread the love
–दिनेश शास्त्री —

भाई दूज का त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल तिथियों को लेकर उलझन की स्थिति बनी हुई है, जिससे लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि भैया दूज किस दिन मनाएं।  दूज कब मना सकते हैं। 26 या 27 अक्टूबर को?

ज्योतिष रत्न आचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल
दीपावली से लगातार मंत्रों एवं यंत्रों की सिद्धि हेतु साधना रत चल रहे उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने स्पष्ट किया है कि शास्त्र के अनुसार भैया दूज का त्यौहार मध्यान्ह व्यापिनी द्वितीय तिथि में ही मनाया जाना चाहिए, उसका कारण स्पष्ट करते हुए वह बताते हैं कि शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि यम द्वितीया यानी भैया दूज के दिन यमराज अपनी बहन के घर दोपहर के समय आए थे और बहन की पूजा स्वीकार करके उनके घर भोजन किया था। वरदान में यमराज ने यमुना से कहा था कि यम द्वितीया यानी भैया दूज के दिन जो भाई बहनों के घर आकर बहनों की पूजा स्वीकार करेंगे और उनके हाथों से बना भोजन करेंगे तो उनको अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। इसलिए यम द्वितीया भाई दूज में दोपहर के समय द्वितीया का अधिक महत्व है।
भाई दूज में इनकी करें पूजा:
आचार्य चंडी प्रसाद बताते हैं कि शास्त्रों में बताया गया है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि, जिस दिन दोपहर के समय होती है, उसी दिन भाई दूज का त्योहार मनाना चाहिए। इसी दिन यमराज, यमदूत और चित्रगुप्त की पूजा करनी चाहिए और इनके नाम से अर्घ्य और दीपदान भी करना चाहिए। लेकिन अगर दोनों दिन दोपहर में द्वितीया तिथि हो तब पहले दिन ही द्वितीया तिथि में यम द्वितीया यानी भैया दूज का पर्व मनाना चाहिए।
26 अक्टूबर को ही मनाएं भाई दूज का पर्व:
इस साल भाई दूज पर यही स्थिति बनी हुई है कि दो दिन यानी 26 और 27 अक्टूबर को कार्तिक कृष्ण द्वितीया तिथि लग रही है। 26 अक्टूबर को दिन में 02 बजकर 43 मिनट से भैया दूज का पर्व मनाना शुभ रहेगा, जो 27 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 18 मिनट से 03 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसे में 26 अक्टूबर को ही भैया दूज का पर्व मनाना शास्त्र के अनुकूल रहेगा।
27 अक्टूबर को यह है पूजा का शुभ मुहूर्त:
ज्योतिष शास्त्र के निर्णय सिंधु कहलाने वाले आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल लोगों का सरल मार्गदर्शन करते हुए बताते हैं कि  देश, काल और परिस्थिति के अनुसार उदया तिथि के हिसाब से भी त्योहार को मनाया जाता है। ऐसे में जहां पर लोग उदया तिथि को मानते हैं, वहां पर 27 अक्टूबर को भी भाई दूज की पूजा कर सकते हैं। परंतु 27 अक्टूबर को जो लोग भैया दूज का पर्व मनाएंगे, उनके लिए शुभ मुहूर्त 11 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक ही रहेगा। इस तरह इस साल रक्षा बंधन की तरह भैया दूज का त्योहार भी दो दिन मनाया जाएगा। लोग अपनी परंपरा और लोकाचार के अनुसार, 26 और 27 अक्टूबर में से जिस दिन चाहें सुझाए गए समय के अनुसार भैया दूज का पर्व मना सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल समय-समय पर चाहे त्योहारों का मसला हो अथवा सौरमंडल में ग्रहों की हलचल हो जनमानस का निशुल्क समय पर मार्गदर्शन करके सनातन धर्म परंपरा का बखूबी संरक्षण कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!