इगास-बग्वाल पर्व पर उत्तराखंड में राजकीय अवकाश घोषित
देहरादून, 25 अक्टूबर।उत्तराखण्ड के लोकपर्व ईगास-बग्वाल को लेकर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने राजकीय अवकाश की घोषणा की है। पहाड़ी क्षेत्रों में इगास पर्व को दिवाली की ही तरह और उतने ही उत्साह से मनाया जाता है। इस पर्व के बारे में अलग अलग धारनाएं हैँ।
पहाड़ों में इस पर्व पर वर्षों से चली आ रही परंपरा को निभाया जाता है। देवभूमि में इस दौरान भैलो खेलने का रिवाज है जोकि खुशियों को एक दूसरे के साथ बांटने का माध्यम है। इस दिन रक्षा बंधन पर हाथ पर बंधे रक्षासूत्र को बछड़े की पूंछ पर बांधकर मन्नत पूरी होने के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है।
यह दूसरा मौक़ा होगा जब उत्तराखण्ड में लोकपर्व ईगास को लेकर अवकाश घोषित किया गया हो। इससे पूर्व पिछले वर्ष भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा ईगास बग्वाल पर राजकीय अवकाश की घोषणा की गई थी।
कुछ क्षेत्रों में मान्यता है कि पांच पांडवों में से एक महाबली भीम मुख्य दिवाली पर्व पर परिवार से बाहर थे। जब वह 11 दिन बाद घर लौटे तो उनके लिए उनको माता कुंती ने एक और दिवाली का आयोजन किया। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि वीर भड़ माधो सिंह भंडारी जब तिब्बत के रण को जीत कर लौटा तो उनके विजय अभियान और सुरक्षित घर वापसी पर त्योहार का अयोजन किया गया। उत्तराखंड में एक पहाड़ों में दिवाली को बग्वाल कहा जाता है और जौनसार बावर से लेकर पिथौरागढ़ तक बग्वाल के विभिन्न मुहूर्त और स्वरूप हैँ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ईगास बग्वाल उत्तराखण्ड वासियों के लिए एक विशेष स्थान रखती है। यह हमारी लोक संस्कृति का प्रतीक है। हम सब का प्रयास होना चाहिए कि अपनी सांस्कृतिक विरासत और परंपरा को जीवित रखें। नई पीढ़ी हमारी लोक संस्कृति और पारम्परिक त्योहारों से जुड़ी रहे, ये हमारा उद्देश्य है।