नैनीताल और हरिद्वार संसदीय क्षेत्र -कांग्रेस की उलझन जल्द होगी दूर
-दिनेश शास्त्री-
उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में से तीन पर भाजपा तथा कांग्रेस के प्रत्याशियों की तस्वीर साफ हो चुकी है। भाजपा तो पांचों सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी लेकिन कांग्रेस नैनीताल और हरिद्वार सीट को लेकर उलझन में है। आज दिल्ली में इस बाबत बैठक होनी थी लेकिन पार्टी सूत्र बताते हैं कि अब फैसला शनिवार को होगा।
कांग्रेस में हरिद्वार सीट को लेकर ज्यादा उलझन है और उसी अनुपात में संग्राम भी। दावेदारों की छंटनी के बाद यहां मुख्यत: दो बड़े नामों में से एक पर निर्णय होना है। नैनीताल सीट पर भी दावेदार तो कई हैं, पहले नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने इच्छा जताई थी तो पार्टी नेताओं ने उन्हें अल्मोड़ा सुरक्षित सीट पर धकेलना चाहा जबकि यशपाल आर्य सामान्य सीट से चुनाव जीत कर अपना आभामंडल सिद्ध करना चाहते थे किंतु अब वे किनारे हो गए हैं।
ब्लूटिया और उपाध्याय तथा दो एक अन्य नामों को छांटने के बाद वहां पूर्व सांसद डा. महेंद्र पाल पर पार्टी दांव लगा सकती है। जहां तक हरिद्वार सीट की बात है तो यहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के आग्रह ने पेंच फंसा रखा है। पहले तो हरदा खुद चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, बाद में उन्होंने अपने को बेटे के टिकट पर केंद्रित कर दिया। इस सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भी दौड़ में हैं। इस कारण पार्टी को ज्यादा मंथन करना पड़ रहा है।
राजनीतिक भविष्य की दृष्टि से 2024 का चुनाव निसंदेह बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए खींचतान होना स्वाभाविक है। हरदा प्रकट तौर पर कह चुके हैं कि जब असम, मध्यप्रदेश और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों को टिकट दिया जा सकता है तो उनके बेटे को क्यों नहीं? हरदा की जिद का अपना महत्व है जबकि प्रदेश अध्यक्ष का दावा अपनी जगह मजबूत है।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि शनिवार को तमाम अटकलों पर विराम लग जायेगा। जानकार तो हरदा के पक्ष में अनुमान जता रहे हैं। देखते रहिए किसकी लॉटरी खुलती है।