पर्यावरणराजनीति

कांग्रेस ने FSI  की वनाग्नि की रिपोर्ट झुटलाने पर उत्तराखंड के वन विभाग को घेरा 

By- Usha Rawat
देहरादून, 27 दिसंबर. भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग द्वारा जारी ” भारत की वन स्थिति रिपोर्ट 2023 ” में उल्लिखित  देश की वनाग्नि की  स्थिति को लेकर उत्तराखंड के वन विभाग द्वारा सवाल उठाये जाने को उत्तराखंड कांग्रेस ने हास्यास्पद बताते विभाग पर सच्चाई छिपाने का आरोप लगाया है.
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने  ताजा वन स्थिति रिपोर्ट पर उत्तराखंड के वन मंत्री की टिप्पणी इज प्रतक्रिया देते हुए कहा कि  उत्तराखंड के वन विभाग का हाल नाच न जाने आंगन टेढ़ा वाला हो रहा है। गरिमा ने बताया कि पिछले दिनों केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा देहरादून में ही रिपोर्ट जारी की गई थी जिसमें उत्तराखंड को देश में सर्वाधिक वनअग्नि संवेदनशील  प्रदेश बताया गया था। परंतु उत्तराखंड का वन विभाग ने FSI  द्वारा जारी 52 प्रतिशत आंकड़ों को फाल्स अलर्ट बता दिया है।

 गरिमा ने कहा  कि भारतीय वन सर्वेक्षण  विभाग ने अपनी रिपोर्ट में जो दावा किया है, उसके मुताबिक उत्तराखंड देश में वनाग्नि के लिहाज से पहले नंबर पर है और अब उत्तराखंड का वन विभाग एवं वन मंत्री अपनी ही केंद्र सरकार के द्वारा किए गए सर्वे पर सवाल उठा रहे हैं।
दसौनी ने कहा कि भारतीय वन सर्वेक्षण  की रिपोर्ट में उत्तराखंड की वनाग्नि को लेकर जो आंकड़े दिए गए, उससे उत्तराखंड वन विभाग में हड़कंच मचा हुआ है. क्योंकि forest survey of india यानी एफएसआई ने अपनी रिपोर्ट में साल 2023-24 में उत्तराखंड को सबसे ज्यादा वनाग्नि की घटनाओं वाला राज्य बताया है। एफएसआई के आंकड़ों से हैरान उत्तराखंड वन विभाग “भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023” पर अपने तर्क दे रहा है,और उत्तराखंड के वन मंत्री ने भारतीय वन सर्वेक्षण के 52 प्रतिशत आंकड़ों को फाल्स अलर्ट करार दिया है। इसी कारण उत्तराखंड सरकार और केंद्र का बड़ा संस्थान आमने-सामने आता दिख रहा है।
  दसोनी ने कहा कि इस सर्वेक्षण से सबक लेते हुए वन विभाग में आमूल चूल परिवर्तन की जरूरत है और भविष्य में जानलेवा घटनाएं न हो ,वनग्नि से कम से कम संपत्ति का नुकसान हो इस और विभाग का ध्यान होना चाहिए परंतु सर्वेक्षण में जारी हुए आंकड़ों को झूठला देने से समस्या जस की तस् बनी रहेगी।
It can be observed from the above table that the number of detections in Very High Risk class followed by High Risk, Moderate Risk, Low Risk, and No Risk classes per unit area of each class in each State/UT is in the same order in all the States. In Himachal Pradesh, 68.97 % of the total SNPP-VIIRS detections of last 5 years fall under 15.25 % of the total geographical area (GA), which consists of Very High Risk class, High Risk class and Moderate Risk class. Similarly, in Jammu & Kashmir, 79.01 % of the detections fall under 19.74 % of the Digitized Boundary Area and in Uttarakhand, 81.63 % of the detections fall under 34.59 % of the GA. No Very High class and High-Risk class has been observed in Ladakh. It is also observed that number of detections per unit area in the Very High Risk and High Risk class in Uttarakhand is 3.49 per km2 as compared to 2.05 per km2 in Himachal Pradesh.

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दसौनी ने कहा  कि दरअसल, हाल ही में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून में ही भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 यानी India State of Forest Report 2023 का विमोचन किया था. इस दौरान उन्होंने इस रिपोर्ट को देशभर में वनों के लिए तैयार होने वाली योजनाओं के लिए बेहद खास बताया, लेकिन जिस रिपोर्ट की भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री तारीफ कर रहे थे, उसी रिपोर्ट को उत्तराखंड में चुनौती दी जा रही है।

                      Garima Mahra Dasauni, Chief spokes person of Uttarakhand Congress.
दसौनी ने कहा कि यह हतप्रभ करने वाला तथ्य है कि जो उत्तराखंड 71 % वन आच्छादित है और पूरे उत्तरी भारत के लिए ऑक्सीजन कवर देने का काम करता है उसके प्रति उत्तराखंड का वन विभाग बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है। वन मंत्री सुबोध उनियाल और उनके विभागीय अधिकारियों का इस तरह से रिपोर्ट को पूरी तरह से नकार देना तो यही बतलाता है कि वह अभी भी हकीकत का सामना नहीं करना चाहते हैं, जबकि आंकड़े चीख चीख कर कह रहे हैं कि उत्तराखंड की वन संपदा को बचाएं जाने की जरूरत है।
गरिमा ने कहा फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया ने आखिरकार अपनी रिपोर्ट में साल दर साल जंगलों की आग को लेकर  रिपोर्ट दी है।उत्तराखंड में नवंबर 2023 से जून 2024 तक 21033 आग लगने के अलर्ट जारी हुए इस साल उत्तराखंड में वानग्नि के देश में सबसे ज्यादा मामले रिकॉर्ड हुए, जबकि साल 2022-23 में उत्तराखंड इस मामले में देश में 13 नंबर पर था।
इससे पहले साल 2021-22 में उत्तराखंड देश में वनाग्नि अलर्ट को लेकर 7वें स्थान पर था। प्रदेश में सबसे ज्यादा पौड़ी और नैनीताल जिले में वनाग्नि को लेकर चिंताजनक स्थिति दिखाई दी. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया सैटेलाइट तकनीक के आधार पर राज्यों को जारी करता है अलर्ट.
उत्तराखंड पिछले साल की तुलना में 12 स्थान ऊपर जाकर देश में वनाग्नि की घटना वाला पहला राज्य बन गया है। जो कि देखा जाए तो बहुत ही चिंतनीय और अलार्मिंग स्थित है।

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