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देश के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में 10 अंकों की गिरावट

भारत 2020 तक 100/लाख जीवित जन्म के राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) लक्ष्य को हासिल करने और 2030 तक निश्चित रूप से 70 प्रति लाख जीवित जन्म के एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त करने के मार्ग पर अग्रसर

मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में महत्वपूर्ण गिरावट आई, प्रति लाख 2014-16 में 130 से घटकर 2018-20 में 97 जीवित प्रसव हो रहे हैं।  भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) द्वारा एमएमआर पर जारी विशेष बुलेटिन के अनुसार, भारत में मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में 6 अंकों का शानदार सुधार हुआ है और अब यह प्रति लाख/97 जीवित प्रसव पर है। मातृ मृत्यु दर(एमएमआर) को प्रति 100,000 जीवित प्रसव पर एक निश्चित समय अवधि के दौरान मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है।

नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देश ने एमएमआर में प्रगतिशील तरीके से कमी देखी है। यह 2014-2016 में 130, 2015-17 में 122, 2016-18 में 113, 2017-19 में 103 और 2018-20 में 97 रहा है, जिस तरह से यह नीचे दर्शाया गया है:

चित्र 1: 2013 -2020 से एमएमआर दर में महत्वपूर्ण गिरावट

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003U5TZ.png

इस लगातार गिरावट से भारत 2020 तक 100/लाख जीवित जन्म के राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) लक्ष्य को हासिल करने और 2030 तक निश्चित रूप से 70 प्रति लाख जीवित जन्म के एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त करने के मार्ग पर अग्रसर है। सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) हासिल करने राज्‍यों की संख्‍या अब 5 से बढ़कर 7 हो गई हैं। इन राज्‍यों के नाम है- केरल (30), महाराष्ट्र (38), तेलंगाना (56), तमिलनाडु (58), आंध्र प्रदेश (58), झारखंड (61) और गुजरात (70)। अब 9 राज्य ऐसे हैं जिन्होंने एनएचपी द्वारा निर्धारित एमएमआर के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है जिनमें इन 7 राज्‍यों के अलावा कर्नाटक (83) और हरियाणा (96) राज्‍य शामिल हो गए हैं।

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