भाषा संस्थान के कार्यक्रमों में नाटकों को भी शामिल करने की मांग
देहरादून, 7 अगस्त ( शास्त्री)। उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल से राज्य के वरिष्ठ रंगकर्मी एस.पी. ममगाई ने भेंट कर उनसे आगामी हिंदी दिवस (14सितम्बर) पर भाषा संस्थान के कार्यक्रमों में नाट्य विधा को भी शामिल करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि भाषा की दृष्टि से गद्य पद्य के साथ नाटक भी एक महत्वपूर्ण विधा है और दृश्य काव्य के नाते नाटक के महत्व को देखते हुए इसे भी उत्तराखंड भाषा संस्थान के कार्यक्रमों का अंग होना चाहिए। उनियाल भाषा विभाग के मंत्री भी हैं।
ममगाई ने कैबिनेट मंत्री से कहा कि हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में कहीं एक सप्ताह तो कहीं एक पखवाड़े तक निबंध लेखन प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, चर्चा परिचर्चा जैसे विविध आयोजन किए जाते हैं किंतु आमतौर पर जीवन के प्रतिबिंब कही जाने वाली विधा नाटक छूट जाती रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस अवसर पर हिंदी के उच्च कोटि के नाटकों का मंचन कर अनुकूल माहौल का सृजन किया जा सकता है।
गौरतलब है कि प्रदेश की नाट्य संस्थाओं के प्रतिनिधि संगठन उत्तर नाट्य संस्था के श्री ममगाई अध्यक्ष हैं और उनका अपनी अलग नाट्य संस्था “मेघदूत” नाट्य संस्था है। बकौल श्री ममगाई, कैबिनेट मंत्री श्री उनियाल ने उनके प्रस्ताव को स्वागतयोग्य बताते हुए इस पर सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड भाषा संस्थान के कार्यक्रमों में नाटकों का समावेश संस्थान की गतिविधियों को बहुआयामी बनाने में मददगार सिद्ध होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि जिस तरह श्री उनियाल ने नाट्य मंचन के प्रति उत्साह दिखाया, उससे इस विधा से जुड़े लोगों में आशा का संचार हुआ है।
श्री ममगाई ने बताया कि मेघदूत नाट्य संस्था को दूरदर्शन द्वारा तुलसीदास रचित रामचरित मानस पर आधारित ” भय बिनु होत न प्रीत” नाटक के मंचन का अवसर मिला है। तुलसीदास जी की विनय पत्रिका पर आधारित गीतों और हनुमान प्रसाद पोद्दार जी द्वारा लिखी मानस की टीकाओं के आधार पर नाटक के संवाद तैयार किए गए हैं। आज के दौर में समाज को शिक्षा देने, समाजविरोधी प्रवृत्ति के दमन के लिए यह नाटक शिक्षा देता है। पौराणिक संदर्भ के साथ आज की परिस्थितियों में समाज को दिशा देने की दृष्टि से यह नाटक अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।