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पिंडर पर लकड़ी का पुल बनाते समय नदी में गिरने से पूर्व फ़ौजी की मौत ; 2013 की आपदा की यादें फिर हुयीं ताजा

 

हरमल गांव जहां से बुधवार को पूर्व फौजी लकड़ी का अस्थाई पुल बनाते समय बहा. All Photos -Harendra Bisht

रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट
थराली/देवाल, 30 नवंबर। उत्तराखंड में 2013 में आये जल सैलाब की एक बार फिर से पिंडर घाटी के नागरिकों के सामने यादें ताजा हो गई हैं। इसका कारण बुधवार की दोपहर को पिंडर नदी में आर-पार जाने के लिए भुत लकड़ी के अस्थाई पुल के निर्माण के दौरान एक 60 पूर्व फौजी की पिंडर में बह जाना है।

दरअसल 2013 के जल सैलाब के कारण पिंडर घाटी में जनहानि तो नही हुई थी किंतु पिंडर नदी, कैल नदी एवं प्राणमती नदी ने व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक सम्पतियों को भारी नुक्सान पहुंचाया था। उस समय 15 से 17 जून तक इस कदर जल सैलाब आया कि उसने पिंडर नदी के ऊपर  करोड़ों रुपयों की लागत से नारायणबगड़, चेपड़ो,ओडर, बोरागाड़ एवं हरमल कैल नदी पर बने सुपलीगाड़ को अपने साथ बहा ले गया। जबकि एक दर्जन से अधिक मोटर पुलों एवं झूला पुलों को भी काफी अधिक नुकसान पहुंचाया।

 

आपदा के 10 सालों के बाद नारायणबगड़, चेपड़ो, बोरागाड़ पुलों के स्थान पर तो नए पुल बन गए हैं, किंतु ओडर, हरमल व सुपलीगाड़ पुलों का पुनर्निर्माण का कार्य शुरू नही हो पाए हैं। हरमल झूला पुल बहने का एक बड़ी आवादी पर सीधा प्रभाव पड़ रहा हैं। हरमल गांव के उस पार रामपुर, तोरती गांव हैं, तो इस ओर हरमल, झलिया के साथ ही कुमाऊं क्षेत्र के कई गांव लगे हैं जिनकी आपसी नाते रिश्तेदारी पिंडर के इस एवं उस ओर हैं,और शुभ एवं अशुभ कार्यों में लोगों को आना जाना पड़ता है।

झूला पुल के अभाव में ग्रामीणों को 15से 20 किमी तक अतिरिक्त पैदल सफर करना पड़ता हैं। बरसात एवं नदी में पानी अधिक होने पर मजबूरी में ग्रामीणों को यह दूरी तय करनी पड़ती हैं। किंतु पिंडर में शीतकाल पानी कम होने पर पिछले 9 सालों से हरमल से रामपुर गांव के बीच श्रमदान के जरिए लकड़ी का पुल डाल कर 4- 5 माह के लिए आवागमन की दूरी कम की जाती है।

बुधवार को जब हरमल, रामपुर एवं अन्य गांव के ग्रामीण श्रमदान के जरिए हरमल – रामपुर के बीच नदी में लकड़ी का पुल बनाने का प्रयास कर रहे थे कि अचानक से हरमल गांव के पूर्व फौजी 60 वर्षीय पूरन सिंह गड़िया पुत्र मेथन सिंह गड़िया की नदी में जा गिरने से उसकी मौत हो गई।
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पिछले साल 2022 में भी इसी स्थान से नदी पर करने के दौरान मां , बेटे की नदी पर बहने से दर्दनाक मौत हो गई थी। दरअसल पिछले वर्ष 2 दिसंबर को रामपुर गांव की हेमा देवी पत्नी प्रताप राम एवं उसका पुत्र प्रवीन कुमार कुमाऊं रिस्तेदारी से रामपुर जा रहें थे।उसी दौरान ग्रामीणों के द्वारा श्रमदान के जरिए ग्रामीणों के द्वारा इसी स्थान पर नदी में दो लठ्ठे डाले गए थे, तो वें संतुलन बिगड़ने के कारण नदी में समा गए और उनकी मौत हो गई।
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हरमल झूला पुल 2013 की आपदा बह गया था। इसके बाद वहां पर इलेक्ट्रिक ट्राली स्थापित की गई किंतु 2018 में इस का एक अपटमैंट बह गया। जबतक इसकी मरम्मत की जाती तब तक उसका दूसरा अपटमैंट बह गया।2021,2022 एवं अब इसी साल जनवरी में नई ट्राली की स्थापना के लिए 14 लाख 71 हजार का आगणन भेजा गया हैं। इसके अलावा इस वर्ष अक्टूबर माह में रामपुर से हरमल के लिए राज्य योजना में 3 किमी मोटर सड़क एवं पिंडर पर मोटर सड़क की स्वीकृति सरकार के द्वारा दी गई हैं।अभी ग्रामीणों ने अनापत्ति प्रमाण पत्र विभाग में जमा नही किया हैं। जैसे ही प्रमाण पत्र मिल जाता हैं विभाग आगे की कार्रवाई शुरू कर देगा।
दिनेश मोहन गुप्ता
अधिशासी अभियंता
निर्माण खंड लोनिवि थराली
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हरमल हादसे पर थराली विधानसभा क्षेत्र के विधायक भूपाल राम टम्टा ने गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा रामपुर – हरमल स्वीकृति मोटर सड़क एवं पुल पर जल्द निर्माण कार्य शुरू हो इसके लिए वे हरसंभव प्रयास करेंगे ताकि 2022 एवं अब इस स्थान पर बुधवार को हुई दुःख घटना से बचा जा सके।

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