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विशेषज्ञों ने बताया मुख्यमंत्री को ; अपने ही घरों के पानी में बह रहा है जोशीमठ

—उषा रावत द्वारा 

देहरादून, 2 जनवरी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह घामी ने जोशीमठ में भूधंसाव के कारण इस पौराणिक नगर के अस्तित्व पर मंडराते खतरे को गंभीरता से लेते हुये सोमवार को राज्य सचिवालय में एक उच्च स्तरीय समीक्षा की जिसमें जोशीमठ के लिये उत्पन्न खतरे के कारण एवं बचाव के लिये एक ठोस कार्य योजना पर विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श हुआ।

मुख्यमंत्री धामी ने सोमवार को जोशीमठ शहर में हो रहे भू-धसाव व भू-स्खलन के कारण भवनों में आ रही दरारों एवं उक्त के कारण शहरवासियो ं को हो रही कठिनाईयों के साथ ही इस सम्बन्ध में आपदा प्रबन्धन विभाग द्वारा की जा रही कार्यवाही की अपने सचिवालय परिसर स्थित कार्यालय में समीक्षा की गयी। बैठक में मुख्य सचिव उत्तराखण्ड की उपस्थिति में अपर सचिव, आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विभाग डॉ0 आनन्द श्रीवास्ताव के द्वारा अवगत करवाया गया कि जोशीमठ शहर मुख्यतः पुराने भूस्खलन क्षेत्र के ऊपर बसा है और इस प्रकार के क्षेत्रों में जल निस्तारण की उचित व्यवस्था न होने की स्थिति में जमीन में अन्दर जाने वाले पानी के साथ मिट्टी व अन्य के पानी के साथ बह जाने के कारण कई बार भू-धंसाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि यद्यपि जोशीमठ शहर में 1970 के दश्क से हल्का भू-धसांव हो रहा है, विगत फरवरी-2021 में धौलीगंगा मंे आयी बाढ़ के कारण अलकनन्दा के तट के कटाव के उपरान्त से इस समस्या ने गम्भीर स्वरूप ले लिया है। अवगत करवाया गया कि उक्त भू-धसाव व भू-स्खलन का अध्ययन कर कारणों का पता लगाने तथा उपचार हेतु संस्तुति करने के उद्देश्य से आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विभाग के द्वारा जुलाई, 2022 में एक विशेषज्ञ दल का गठन किया गया था, जिसमें उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के अतिरिक्त भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान, रूड़की, केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रूड़की, भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग, देहरादून तथा वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, देहरादून के वैज्ञानिक सम्मिलित थे

मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि उक्त विशेषज्ञ दल के द्वारा अगस्त 16 से 20, 2022 के मध्य क्षेत्र का सर्वेक्षण कर अपनी आख्या उपलब्ध करावा दी गयी है, और उनके द्वारा की गयी संस्तुतियों मंे (क) वर्षा एवं घरों से निकलने वाले पानी के निस्तारण की व्यवस्था, (ख) अलकनन्दा नदी द्वारा किये जा रहे कटाव को नियंत्रित करने के लिये तटबंध की व्यवस्था, (ग) जोशीमठ शहर से होकर बहने वाले नालों का सुदृढीकरण एवं चैनलाइजेशन तथा (घ) क्षेत्र की कैरीइंग कैपेसिटी के अनुरूप निर्माण कार्यों को नियंत्रित करना।

विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि उक्त विशेषज्ञ समिति द्वारा की गयी संस्तुतियों पर कार्यवाही किए जाने हेतु सचिव, आपदा प्रबन्धन एंव पुनर्वास विभाग की अध्यक्षता में दिनंाक 07.11.2022 को एक बैठक का आयोजन किया गया था और उक्त में समिति द्वारा संस्तुत समस्त उपायों पर कार्यवाही किये जाने हेतु सिंचाई विभाग को निर्देशित किया गया था। उक्त के क्रम में सिंचाई विभाग द्वारा जोशीमठ शहर के स्थिरीकरण हेतु विस्तृत प्रस्ताव बनाये जाने हेतु आमंत्रित किये गये ई0ओ0आई0 के सापेक्ष प्राप्त 06 फर्मों के प्रस्तावों में से दिनंाक 31.12.2022 को उपयुक्त पायी गयी 04 फर्मों को आर0एफ0पी0 बनाने हेतु अधिकृत किया गया है और इन फर्मांे द्वारा उपलब्ध करवाये गये तकनीकी प्रस्तावों पर दिनंाक 20.01.2023 को निर्णय लेते हुये उक्त कार्य हेतु फर्म का चयन किया जायेगा। मुख्यमंत्री द्वारा आवश्यकता होने पर अस्थाई सुरक्षा कार्य किये जाने के साथ ही क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण कर भू-धसावं व भू-स्खलन के कारण असुरक्षित हो गये परिवारों को चिन्हित करते हुये इनके सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास किये जाने हेतु प्रस्ताव तैयार किये जाने हेतु निर्देशित किया गया।

 

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