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त्रिपुरा के किण्वित बांस की कोंपल (बैम्बू शूट) में मोटापा-रोधी गुण पाए गए

Extract from a traditional fermented bamboo shoot variety of Tripura, popularly called called ‘Melye-amiley’ has anti-obesity effects and offers a solution to weight management and metabolic health, according to a new study. It reduces lipid accumulation and increases fatty acid β-oxidation. The techniques of fermentation have been as old as human civilization that have passed through generations, mainly used to preserve food, enhance nutritional quality and also to enhance taste and flavour. Based on the environment, availability of food materials and traditional knowledge of the community, the techniques and the products vary.

                                                   चित्र : मोटापा-रोधी प्रभाव में ‘मेली-एमिली’ की प्रस्तावित क्रियाविधि का निरूपण।

 

एक नए शोध में पता चला है कि त्रिपुरा की पारंपरिक किण्वित बांस की किस्म ‘मेली-एमिली  की कोंपल (बैम्बू शूट) से प्राप्त अर्क में मोटापा-रोधी प्रभाव होता है और यह वजन नियंत्रण तथा चयापचय स्वास्थ्य के लिए एक बेहतर समाधान प्रदान करता है। यह लिपिड संचय को कम करता है और फैटी एसिड बीटा-ऑक्सीकरण को बढ़ाता है।

किण्वन की तकनीकें मानव सभ्यता जितनी पुरानी हैं और पीढ़ियों से चली आ रही हैं। इनका इस्तेमाल मुख्य रूप से भोजन को संरक्षित करने, पोषण की गुणवत्ता, स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए किया जाता है। पर्यावरण, खाद्य सामग्री की उपलब्धता और समुदाय के पारंपरिक ज्ञान के आधार पर तकनीक और उत्पाद अलग-अलग होते हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) के प्रोफेसर मोजीबुर आर. खान के नेतृत्व में किए गए एक शोध में उत्तर पूर्वी क्षेत्र के पारंपरिक किण्वित बांस की टहनियों की विभिन्न किस्मों के मोटापा-रोधी प्रभावों की जांच की गई।

इन विट्रो सेल कल्चर अध्ययनों के आधार पर टीम ने पाया है कि त्रिपुरा की एक पारंपरिक किण्वित बांस की किस्म, जिसे ‘ मेली-एमिली ‘ कहा जाता हैइंट्रासेल्युलर लिपिड संचय को कम कर सकती है। इस प्रक्रिया में लिपोलिटिक ( एचएसएलएलपीएल, और एजीटीएल) और फैट ब्राउनिंग रेगुलेटर जीन (यूसीपी1, पीआरडीएम16, और पीजीसी1-अल्फा ) में वृद्धि शामिल थी।

इस शोध से पता चलता है कि मेली-एमिली के अर्क के उपचार से एएमपीके सिग्नलिंग मार्ग के माध्यम से थर्मोजेनिक प्रोटीन व्यक्तिकरण में बढोतरी होती है। यह प्रक्रिया माइटोकॉन्ड्रियल बायोजेनेसिस को उत्तेजित करती है और फैटी एसिड बीटा-ऑक्सीकरण को बढ़ाती है, जो वजन प्रबंधन और चयापचय स्वास्थ्य के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण प्रदान करती है। ये निष्कर्ष दर्शाते हैं कि किण्वित बांस की टहनी का अर्क सफेद एडीपोसाइट्स में ऊर्जा खपत बढ़ाकर मोटापा-रोधी प्रभाव डालता है। यह अध्ययन हाल ही में प्रतिष्ठित पत्रिका ‘ फूड फ्रंटियर्स में प्रकाशित हुआ है।

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