गौचर मेले की पांचवीं सांस्कृतिक संध्या गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के नाम रही
-गौचर से दिग्पाल गुसाईं –
गौचर मेले की पांचवीं सांस्कृतिक संध्या गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के नाम रही। उन्होंने सर स्लाली रामदेई, जै मां सूणा वी बुनू च फ्योंली ज्वान ह़्वैगी आदि तमाम गानों से दर्शकों को उत्तराखंड की संस्कृति से रूबरू कराया। उनके रसीले गानों ने मेले की पांचवीं सांस्कृतिक संध्या को यादगार बना दिया।
पांचवीं सांस्कृतिक संध्या पर जब गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी मंच पर आए तो भारी संख्या में उमड़ी भीड़ ने तालियों से उनका स्वागत किया। उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत देवी देवताओं की आराधना से की। इसके पश्चात उन्होंने सुदी त इनी क्वे नि देखदू सुरक खिड़की खोलिकी गाना गाकर युवाओं का खूब मनोरंजन किया। इसके पश्चात अनिल बिष्ट,प्रेम बल्लभ,व राकेश मंद्रवाल ने मेरी सुनीता रेशमी बांदे हाय तेरो मिजाज गाने पर खूब तालियां बटोरी, इसके पश्चात नरेंद्र सिंह नेगी व अंजनी खरे ने पर्यावरण पर आधारित सर स्याली रामदेई गाने से पर्यावरण का संदेश दिया। इसके बाद अंजनी मनयारी व अंजनी खरे ने जै मु सूणा वी बुनू च फ्योंली ज्वान ह़्वैगी गाने पर नौजवान थिरक उठे, इसके बाद नरेंद्र नेगी व उनके पुत्र ने मेरे को पहाड़ी मत बोलो मैं देहरादून वाला हूं गाने से पलायन की दशा व दिशा पर प्रहार किया। प्रेम बल्लभ व सैलेन्द्र ने तितरी फंसे चखुली फंसे तू क्यों फंसे कागा गाने पर खूब तालियां बटोरी,इसके पश्चात नरेंद्र नेगी ने त्वी त छई मेरी सौंजड़या,सुतरा की दौंली मुखड़ी दिखैदे गोरी छै कि सौंली, आदि गानों से दर्शकों कख खूब मनोरंजन किया। कार्यक्रम का संचालन गणेश खुगसाल ने किया। इससे पूर्व विवेक नौटियाल,निखिल एंड पार्टी,जय मां नंदा भगवती महिला समिति नंदानगर घाट ने भी अपने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। इस मौके पर पर्वतीय पत्रकार एशोसिएसन के संरछक दिग्पाल गुसांईं, तहसील उपाध्यक्ष खुशाल सिंह असवाल, अरुण मैठाणी, देवेंद्र गुसांईं, अनिल राणा के अलावा व्यापार संघ अध्यक्ष राकेश लिंगवाल के नेतृत्व में व्यापारियों ने भी नरेंद्र सिंह नेगी को अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया। देर रात तक चले इस कार्यक्रम का जिलाधिकारी हिमांशु खुराना, मेलाधिकारी उपजिलाधिकारी कर्णप्रयाग संतोष कुमार पाण्डेय, तहसीलदार सुरेंद्र सिंह देव, पुलिस क्षेत्राधिकारी अमित कुमार सैनी,चौकी प्रभारी मानवेन्द्र गुसांईं के अलावा कई गणमान्य नागरिक ने सांस्कृतिक संध्या का आनंद लिया।