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हर की दून ट्रैक पर शोधार्थियों ने किया ईको-टूरिज्म, कृषि तथा प्रवास पर विस्तृत अध्ययन

 

पोखरी, 14 जुलाई (राणा)। ज्योग्राफिकल सोसाइटी ऑफ सेंट्रल हिमालय और भूगोल विभाग मिजोरम केंद्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में 6 दिवसीय सुपिन बेसिन घाटी की हर की दून ट्रैक पर भौगोलिक शोध अध्ययन किया गया।

भौगोलिक शोध भ्रमण समन्वयक वरिष्ठ प्रोफेसर डॉक्टर वी.पी सती के नेतृत्व में जी.एस.सी. एच. की सचिव डॉक्टर किरण त्रिपाठी, भूगोल विभाग पी.जी.कालेज नागनाथ पोखरी के भुगोल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर राजेश भट्ट , देहरादून से डॉक्टर मंजू भंडारी ने इस 6 दिवसीय भौगोलिक शोध अध्ययन में सांस्कृतिक, ईको-टूरिज्म, कृषि तथा प्रवास पर विस्तृत एवं गहन अध्ययन किया।

गढ़वाल विश्वविद्यालय से सेवानिवृत प्रोफेसर कमलेश कुमार के मार्गदर्शन से भौगोलिक शोध अध्ययन किया गया। प्रोफेसर वी.पी.सती ने बताया कि सुपिन बेसन की सांस्कृतिक संपदा ने विकास पर अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी है और अभी भी यहां पर विकास की पर्याप्त और अपार संभावनाएं हैं। यमुना बेसिन,टोंस बेसिन, सुपिन बेसिन मे सड़क यातायात से सांस्कृतिक प्रभाव एवं शिक्षा विकास पर प्रभाव पड़ा है‌। जिसे सुनियोजित किये जाने की आवश्यकता है।

डॉ0 किरन त्रिपाठी ने कृषि कार्य पर अध्ययन कर यमुना एवं टोंस बेसिन में टमाटर,आलू, सेब द्वारा रोजगार के विभिन्न पहलुओं पर आंकड़े एकत्रित किए।

पर्यटन पर डॉ0 राजेश भट्ट ने सांस्कृतिक, प्राकृतिक एवं धार्मिक पहलुओं का अध्ययन एवं आंकड़े एकत्रित किए तथा उच्च हिमालय इको क्षेत्रों में इको – टूरिस्म की पर्याप्त सम्भावना बतायी।डॉ0 मंजू नेगी ने प्रवास के विभिन्न पहलुओं के आंकड़े एकत्रित किया तथा शिक्षा प्रवास का मुख्य कारण बताया है ।

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