धर्म/संस्कृति

पिंडर घाटी में मेलों की श्रंखला में बज्वाण के मलियाल तोक में भव्य मेले का आयोजन

-रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट-
थराली, 17 अप्रैल। पिंडर घाटी में 1 गते बैसाख से आयोजित मेलों की श्रंखला के तहत बुधवार को थराली विकास खंड के माल बज्वाण के मलियाल तोक में एक भव्य मेले का आयोजन हुआ। जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की।इस दौरान मलिया देवता सहित अन्य देवी-देवताओं के पश्वा अवतारित हुए और उन्होंने नाचते हुए श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया।

एक गते बैसाख से पंती,कुलसारी,मींग,असेड आदि स्थानों पर मेलों का आयोजन हो चुका हैं।इसी श्रंखला के तहत बुधवार को माल बज्वाण के मलियाल तोक में एक भव्य मेले का आयोजन किया गया। मान्यता के अनुसार गढ़वाल में गौरखा राज के दौरान एक गौरखा सैनिक युद्ध में घायल अवस्था में भटकते हुए माल बज्वाण क्षेत्र में पहुचां था। यहां पर मलियाल थोक में ग्रामीणों के द्वारा उपचार के दौरान ही उसकी मृत्यु हो गई। कालांतर में मृत्य गौरखा सैनिक मलियाल सहित आसपास के गांव के ग्रामीणों को भूत बनकर डराने लगा। जिससे क्षेत्रीय ग्रामीणों बेहद परेशान रहने लगें महिलाओं का जंगलों में आना जाना भी मुश्किल हो गया। इससे परेशान मलियाल थोक के 7 गांवों के ग्रामीणों ने पूजारीयों से पूछताछ की तो गौरखा सैनिक के भूत बनने की बात सामने आई और उपाय के तहत उसका मंदिर स्थापित कर साल में एक बार उसके नाम से पूजा करने का उपाय बताया गया। जिसके बाद मलियाल तोक में उस का मंदिर स्थापित कर उसे मलियाल दानू देवता नाम दिया गया और साल में एक बार उसे बैसाख में नचाने की परंपरा शुरू हो गई।आज भी जब बैसाखी मेलों की श्रंखला के तहत मलिया तोक में मलिया कौथीग होता है तो उसका पश्वा मुंह में सैनिक का मुखार एवं हाथ में तलवार लेकर नाचता है। बताया जाता हैं कि मुखार एवं तलवार उसी मृत्क गौरखा सैनिक के हैं। जिससे ग्रामीणों ने आजतक भी सम्भाल कर रखें हैं।इसे केवल मलिया कौथीग के दिन ही लाया जाता हैं शेष सालभर यह एक घर में रखे रहते हैं। इस क्षेत्र में मलियाल देवता को बेहद श्रद्धा के साथ पूजा जाता हैं।
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मलियाल दानू का नाचने वाला पश्वा एक साल वृद्ध एवं एक साल युवा होता है।इस का मंतव्य हैं कि मलियाल दानू की युवा अवस्था एवं वृद्ध अवस्था की पूजा की जाती है।इस बार मलियाल का पश्वा वृद्ध व्यक्ति नाचा।
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बुधवार को आयोजित मेले के सफल संचालन में आयोजन कमेटी के अध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत, सचिव सुजान सिंह रावत, बलवंत सिंह रावत,कलम सिंह कनवासी सहित मलियाल थोक के सात गांवों के प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने सक्रिय भूमिका निभाई।

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