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पेरिस पैरालंपिक तीरंदाजी में भारत के पहले स्वर्ण पदक विजेता, हरविंदर सिंह

 

हरियाणा के कैथल में 25 फरवरी, 1991 को जन्मे हरविंदर सिंह ने पेरिस 2024 पैरालंपिक में तीरंदाजी में पहले स्वर्ण पदक विजेता बनकर इतिहास रच दिया है। पुरुषों की व्यक्तिगत रिकर्व ओपन स्पर्धा में हरविंदर ने फाइनल में पोलैंड के लुकास सिसजेक को हराया। उन्होंने सीधे सेटों में मैच जीता और चार बार लक्ष्य के केंद्र पर निशाना साधा। प्रतिष्ठित इनवैलिड्स स्थल पर मौजूद दर्शकों ने तालियाँ बजाकर हरविंदर सिंह के सटीक निशानों पर उनका उत्साहवर्धन किया।

 

 

प्रारंभिक जीवन और तीरंदाजी में करियर

हरविंदर का जन्म हरियाणा के अजीत नगर गांव में हुआ और यहीं से खेल जगत में उनका सफर भी शुरु हुआ। मात्र डेढ़ वर्ष की आयु में ही उन्हें डेंगू हो गया और उपचार के दुष्प्रभावों

 

 

के कारण उनके पैरों में स्थायी दिव्यांगता आ गई। शुरुआत में असफलता के बावजूद, हरविंदर को लंदन 2012 पैरालंपिक प्रतिस्पर्धाएं देखने के बाद तीरंदाजी के प्रति अपने जुनून का आभास हुआ। उन्होंने साल 2017 में पैरा तीरंदाजी विश्व चैम्पियनशिप में अपना अंतर्राष्ट्रीय पदार्पण किया, जिसमें वे 7वें स्थान पर रहे।

उनको पहली बड़ी सफलता 2018 में मिली जब उन्होंने जकार्ता एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीता और भारत के शीर्ष पैरा-तीरंदाजों में अपनी जगह पक्की की।कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान हरविंदर के पिता ने अपने खेत को तीरंदाजी रेंज में बदला जिससे उन्हें प्रशिक्षण जारी रखने के लिए आवश्यक स्थान और सहायता मिली।

सफलता का स्वर्णिम सफ़र

पेरिस में हरविंदर की सफलता न केवल उनकी एक व्यक्तिगत उपलब्धि थी, बल्कि तीरंदाजी के खेल में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी थी। टोक्यो 2020 पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद हरविंदर ने अपने पदक का रंग बदलने का संकल्प लिया! यह स्वर्ण पदक हरविंदर के तीरंदाजी करियर में एक और बड़ा कदम है, इससे पहले उन्होंने 2022 में एशियाई पैरा खेलों में कांस्य पदक और 2023 एशियाई पैरा चैंपियनशिप में पुरुष टीम स्पर्धा में रजत पदक जीता था।

तीरंदाजी में हरविंदर की उपलब्धियां उनकी शैक्षणिक गतिविधियों के पूरक हैं। वह वर्तमान में पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला में अर्थशास्त्र में पीएचडी की तैयारी कर रहे हैं। यह मैदान के अंदर और बाहर उनके समर्पण को दर्शाता है।

सरकार की सहायता और प्रशिक्षण

हरविंदर की सफलता को सरकार की प्रमुख पहलों से समर्थन मिला है जिसमें उपकरण, प्रशिक्षण और प्रतियोगिता व्यय के लिए वित्तीय सहायता शामिल हैं। वह सोनीपत स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) केंद्र में प्रशिक्षण लेते रहे हैं, जहां उन्हें भोजन और आवास सहित पूरी सहायता दी गई है। वह टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) के भी लाभार्थी हैं, जो उन्हें प्रतियोगिताओं के दौरान अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करती है ।

इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज

पेरिस 2024 पैरालंपिक में हरविंदर सिंह की ऐतिहासिक जीत भारतीय पैरा-तीरंदाजी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।  तीरंदाजी में साधारण शुरुआत से भारत के पहले पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता का मुकाम हासिल करने वाले हरविंदर देश भर के महत्वाकांक्षी एथलीटों के लिए भी प्रेरक उदाहरण बन  गए हैं ।

 

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