अगला संवत् कैसा होगा?
Milind Khandekar |
शेयर बाज़ार विक्रम संवत् से चलता है. दीपावली के तुरंत बाद इस कैलेंडर का नया साल शुरू होता है.गुजरात में यही कैलंडर प्रचलन में है. यह अंग्रेज़ी कैलेंडर से 57 साल आगे है. अभी संवत् 2081 शुरू हुआ है. पिछले संवत् में बाज़ार में निफ़्टी ने 24% रिटर्न दिया है. इस बार सिंगल डिजिट रिटर्न की उम्मीद है क्योंकि इकनॉमी के मोर्चे पर खबरें अब तक अच्छी नहीं रही है . त्योहार होने के कारण कुछ अच्छी ख़बर ज़रूर आयी है जैसे अक्टूबर में गाड़ियों की बिक्री बढ़ गई है. गुड्स एंड सर्विस टैक्स के कलेक्शन में भी बढ़ोतरी हुई है.UPI लेनदेन में रिकॉर्ड उछाल आया है. बाज़ार उम्मीद कर रहा है कि यह रफ़्तार आगे भी बनी रहेगी.
इकनॉमी में मंदी का डर काफ़ी महीनों से मंडरा रहा है. रिज़र्व बैंक ने महंगाई क़ाबू में करने के लिए ब्याज दर बढ़ाकर रखी है. इसका असर सामान और सर्विसेज़ की खपत पर पड़ने लगा है. FMCG फ़ास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स की खपत कमजोर है. यह इकनॉमिक गतिविधियों का पैमाना माना जाता है क्योंकि साबुन, टूथपेस्ट, शैंपू जैसी चीजें लोग ख़रीदते ही है आमदनी कम हो या ज़्यादा. यह खपत इस बार शहरी क्षेत्रों में कम हो रही है. Nestle के CEO ने तो यहाँ तक कह दिया कि मिडिल क्लास सिकुड़ रहा है. महंगाई का असर खपत पर पड़ रहा है. Nestle और हिंदुस्तान Unilever जैसी कंपनियों के सामान की बिक्री सितंबर की तिमाही में पिछले साल के मुक़ाबले 1 2% तक बढ़ी है यानी जस की तस है लगभग.
यही हाल गाड़ियों की बिक्री का रहा है. सितंबर में ख़त्म छह महीने में गाड़ियों की बिक्री पिछले साल के मुक़ाबले मामूली रूप से बढ़ी है. सिर्फ़ .5% बढ़ोतरी हुई है. सामान की खपत कमजोर होने का असर कंपनियों की आय पर पड़ा है. शेयर बाज़ार में लिस्ट 197 कंपनियों के रिज़ल्ट्स में प्रोफ़िट बढ़ने की दर पहले कम हुई है. इस पर विदेशी निवेशकों ने भारत को छोड़कर चीन का रास्ता पकड़ लिया है. चीन के शेयर भारत के मुक़ाबले सस्ते दामों पर मिल रहे हैं. इस कारण शेयर बाज़ार पर भी ब्रेक लग गया है.
अगला संवत् कैसा रहेगा? यह इस बात पर बहुत निर्भर है कि रिज़र्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कब करता है. अभी नज़र दिसंबर पर टिकी हुई है लेकिन महंगाई कम नहीं होती है तो देरी हो सकती है. इस देरी का असर इकनॉमी पर पड़ेगा. ना नई नौकरी आएँगी ना ही आमदनी बढ़ेगी.