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आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया!

-Milind Khandekar-

 हमने पिछले हफ़्ते लिखा था कि महंगाई के कारण मंदी आ रही है. रिज़र्व बैंक ने भी अब इस बात पर मुहर लगा दी है. रिज़र्व बैंक ने कहा है कि महंगाई के कारण शहरों में लोग सामान ख़रीद नहीं पा रहे हैं. खपत कम हो रही है, इसलिए ग्रोथ कम हो रही है. फिर भी अर्थव्यवस्था में तेज़ी में लाने का इलाज यानी रेट कट अभी बैंक नहीं कर रहा है. महंगाई कम होने का इंतज़ार है, इसलिए रेट कट फ़रवरी तक होने की संभावना है. कुछ जानकार तो अप्रैल की तारीख़ दे रहे हैं.

रिज़र्व बैंक हर दो महीने में मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग करता है. इस कमेटी में 6 मेंबर होते हैं. तीन रिज़र्व बैंक के और तीन सरकार की तरफ़ से. रिज़र्व बैंक के गवर्नर चेयरमैन होते हैं. टाई होने पर उनके वोट से फ़ैसला होता है.कमेटी तय करती है कि ब्याज दर घटाना है या बढ़ाना. इसका काम है कि ग्रोथ भी होती रहे और महंगाई क़ाबू में रहे. केंद्र सरकार और रिज़र्व बैंक के बीच 2016 में समझौता हुआ है उसके अनुसार महंगाई की दर 4% रहना चाहिए. 2% ऊपर नीचे जा सकती है. यह समझौता 2026 तक है. लगातार नौ महीने तक महंगाई दर इस बैंड से बाहर जाने पर रिज़र्व बैंक को सरकार को लिखित जवाब देना होता है. 2022 में ऐसा हो चुका है जब महंगाई की दर 6% से ज़्यादा रही .अभी अक्टूबर में भी यह दर 6% से ज़्यादा रही है. नवंबर का डेटा इस हफ़्ते आएगा.

पिछले हफ़्ते कमेटी की मीटिंग के बाद रिज़र्व बैंक ने माना कि उसका अनुमान गड़बड़ा गया है. इस वित्त वर्ष में महंगाई अनुमान से ज़्यादा रहेगी और ग्रोथ अनुमान से कम. पहले कहा था कि ग्रोथ 7.2% रहेगी और अब कह रहे हैं 6.6%. महंगाई पहले 4.5% रहने का अनुमान था और अब 4.8%. यही कारण है कि रिज़र्व बैंक ने ग्रोथ बढ़ाने के लिए रेट कट का फ़ैसला टाल दिया. सितंबर की तिमाही में ग्रोथ 5.4% थी. दो साल में सबसे कम ग्रोथ.

इस गणित के गड़बड़ाने का हमारी और आपकी ज़िंदगी पर असर यह होगा कि आमदनी नहीं बढ़ेगी लेकिन खर्चे बढ़ते रहेंगे. इसका असर कंपनियों पर भी पड़ रहा है. लोग ख़र्च नहीं करेंगे तो कंपनियों का माल नहीं बिकेगा. माल नहीं बिकेगा तो प्रॉफिट नहीं बढ़ेगा. इसका असर शेयरों की क़ीमत पर भी पड़ेगा जैसे हमने कंपनियों के ताज़ा रिज़ल्ट के बाद देखा है.

इसमें से निकलने के दो रास्ते हैं. एक तो सरकार अपने ख़र्चे बढ़ाए ताकि अर्थव्यवस्था का पहिया घूमें. वित्त मंत्री ने कहा कि 2019 में भी चुनाव के कारण सरकार के खर्च पर ब्रेक लग गया था. जीडीपी ग्रोथ कम हुई थी वही इस बार फिर हो रहा है. आगे ग्रोथ ठीक हो जाएगी. दूसरा रास्ता है कि रिज़र्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करें. यह रास्ता महंगाई कम होने तक बंद है. ब्याज दरों में कटौती से महंगाई बढ़ने की आशंका बनी रहती है. कुछ जानकार कह रहे हैं कि रेट कट फ़रवरी में होगा तो कुछ अप्रैल की बात कर रहे हैं.तब तक कुर्सी की पेटी बाँध कर रखिए.

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