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भारत की डिजिटल छलांग ; अब 5जी की तैयारी

India is poised at the forefront of the digital revolution with the adoption of 5G and its rapid implementation. A report by GSMA indicates that with extensive government efforts, investment in infrastructure, and policy reforms, half of India’s population is expected to have access to 5G services by 2030. This shift is part of India’s broader vision of becoming a digital-first nation, connecting sectors like healthcare, education, agriculture, and administration with advanced mobile technologies. 5G is set to accelerate economic growth and bridge the digital divide, especially in rural areas

 

-A PIB Feature-

भारत 5जी को अपनाने और तेजी से उसके कार्यान्वयन के साथ डिजिटल क्रांति के शिखर पर खड़ा है। जीएसएमए की एक रिपोर्ट बताती है कि व्यापक सरकारी प्रयासों, बुनियादी ढांचे में निवेश और नीतिगत सुधारों से 2030 तक भारत की आधी आबादी के पास 5जी सुविधा होने का अनुमान है। यह बदलाव भारत के डिजिटल-प्रथम राष्ट्र बनने के समग्र दृष्टिकोण का हिस्सा है, जो स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, कृषि और प्रशासन जैसे क्षेत्रों को उन्नत मोबाइल प्रौद्योगिकी से जोड़ता है। 5जी आर्थिक विकास को गति देने और विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सुविधाओं की कमी को दूर करने के लिए तैयार है।

भारत में 5जी

1.4 अरब से अधिक की आबादी और तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ, भारत की उन्नत, विश्वसनीय और उच्च गति कनेक्टिविटी की मांग कभी इतनी अधिक नहीं रही। 5जी की शुरूआत कई महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करेगी:

  1. आर्थिक विकास: 5जी से 2023 और 2040 के बीच भारत की अर्थव्यवस्था में 36.4 ट्रिलियन रुपये (लगभग $455 बिलियन) का योगदान होने की उम्मीद है, जो 2040 तक इसके सकल घरेलू उत्पाद का 0.6% से अधिक होगा।
  2. क्षेत्रीय परिवर्तन: विनिर्माण, खुदरा, स्वास्थ्य सेवा और कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों को 5जी से लाभ होगा, जिससे नए ऑपरेटिंग मॉडल, बेहतर दक्षता और स्मार्ट सिटी तथा डिजिटल प्रबंधन जैसी नवीन सेवाएं शुरू होंगी।
  3. डिजिटल समावेशन: कवरेज अंतराल में कमी आई है लेकिन विशेष रूप से महिलाओं और निम्न-आय समूहों के बीच उपयोग में बड़ा अंतर बना हुआ है। किफायती, सुलभ और व्यापक 5जी नेटवर्क इस अंतराल को पाट सकता है और वंचित आबादी तक डिजिटल पहुंच बढ़ा सकता है।

5जी तकनीक अल्ट्रा-लो अन्तर्हित, व्यापक मशीन आधारित संचार और तीव्र डेटा गति प्रदान करती है। ये सभी भारत में डिजिटल सेवा वितरण को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकते हैं। ये क्षमताएं भारत के “डिजिटल इंडिया” मिशन के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि देश की डिजिटल क्रांति से प्रत्येक नागरिक को लाभ मिले।

5जी विकास में भारत सरकार की पहल

भारत सरकार ने स्वदेशी विकास, निजी क्षेत्र के साथ सहयोग और नियामक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यापक 5जी नेटवर्क कोा शुरू में सक्षम बनाने के लिए कई पहल की हैं। कुछ प्रमुख पहल निम्नलिखित हैं:

  1. स्वदेशी टेलीकॉम स्टैक: भारतआरएएन परियोजना के तहत भारत ने ओआरएएन-अनुपालक 5जी उपकरण सहित अपना 4जी/5जी टेलीकॉम स्टैक विकसित किया है। यह स्थानीय बुनियादी ढांचा विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता को कम करने में मदद करता है, जिससे वैश्विक दूरसंचार विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होती है।
  2. 5जी टेस्ट बेड: सरकारी वित्त पोषण के माध्यम से, आठ प्रमुख शोध संस्थानों ने अनुसंधान और नवाचार में मदद करने के लिए एक स्वदेशी और पूरी तरह से प्रोग्राम योग्य 5जी टेस्ट बेड बनाया है। यह बुनियादी ढांचा कंपनियों को भविष्य में 5जी और 6जी प्रगति में मदद करते हुए अपने प्रोटोटाइप और सेवाओं को मान्य करेगा।
  3. 5जी प्रयोगशाला: सरकार ने 100 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ देश भर में 100 प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और शहरी प्रबंधन सहित विभिन्न क्षेत्रों में 5जी के इस्तेमाल पर ध्यान देना है।
  4. डिजिटल कम्युनिकेशंस इनोवेशन स्क्वायर (डीसीआईएस) और टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (टीटीडीएफ): ये योजनाएं सामूहिक रूप से टेलीकॉम अनुसंधान एवं विकास में स्टार्टअप और एमएसएमई को स्वदेशी 5जी समाधान विकसित करने के लिए धन और संसाधन प्रदान करते हुए मदद करती हैं। वर्ष 2022 में शुरू किया गया टीटीडीएफ ग्रामीण संचार प्रौद्योगिकी नवाचारों को वित्तपोषित करने के लिए सालाना 500 करोड़ रुपये आवंटित करता है।
  5. स्पेक्ट्रम नीलामी और नीति सुधार: सरकार ने स्पेक्ट्रम की कीमतें कम कर दी हैं, राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) मंजूरी को सुव्यवस्थित कर दिया है और बुनियादी ढांचे की तैनाती को सरल बनाते हुए गतिशक्ति संचार पोर्टल की स्थापना की है। यह नीतिगत वातावरण शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तेज़ और अधिक किफायती नेटवर्क विस्तार को बढ़ावा देता है।

 

A graph of data being measured

भारत में 5जी के लिए आगे की राह

5जी क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन भारत नवीनतम तकनीकों के लिए सहज, निर्बाध और समावेशी परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए कुछ प्रमुख चुनौतियों से निपटने के प्रयास कर रहा है। विशेष रूप से ग्रामीण आबादी के बीच उपयोग में अंतर और उच्च क्षमता वाले नेटवर्क (बैकहॉल) और छोटे-नेटवर्क के बुनियादी ढांचे में निरंतर निवेश की आवश्यकता जैसे विषय 5जी के प्रभाव को अधिकतम करने से जुड़े हैं।

1. 5जी पहुंच और इसके दायरे का विस्तार

    1. ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्र: ग्रामीण, दूरदराज और वंचित क्षेत्रों में 5जी कवरेज को बढ़ाकर ‘5जी इंटेलिजेंट विलेज’ पहल के प्रयासों को जारी रखा जाना है। इससे स्थानीय समुदायों को डिजिटल सेवाओं तक पहुंच प्राप्त होगी और कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा तथा प्रशासन जैसे क्षेत्रों में सुधार होगा।
    2. 5जी अवसंरचना में वृद्धि: वर्तमान में 4.15 लाख से अधिक 5जी साइटों को शुरू करना काफी प्रभावशाली है, लेकिन 5जी बेस स्टेशनों (बीटीएस) का घनत्व बढ़ाने से विशेष रूप से घनी आबादी वाले शहरी केंद्रों और दूरदराज के क्षेत्रों मेंकवरेज, गति और नेटवर्क विश्वसनीयता में वृद्धि होगी।
    3. अति विश्वसनीय कम विलंबता संचार (अल्ट्रा-रिलायबल लो लेटेंसी कम्युनिकेशन ‘यूआरएलएलसी’): इसकी मदद से स्वास्थ्य देखभाल (रिमोट सर्जरी), विनिर्माण (स्मार्ट फैक्ट्री) और यातायात (ऑटोनोमस व्हीकल) जैसे उद्योगों में महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों से लाभ उठाया जा सकता है। इससे आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में काफी बदलाव हो सकता है। यूआरएलएलसी 5जी नेटवर्क से जुड़ा है और उसकी प्रमुख विशेषता यह है कि इसकी मदद से उच्च विश्वसनीयता और तीव्र गति से डॉटा ट्रांसफर किया जाता है। यह 5जी नेटवर्क आर्किटेक्चर एक हिस्सा है, जिसकी मदद से डॉटा ट्रांसफर को बेहतर तरीके से शड्यूल किया जाता है।

2. स्वदेशी 5जी विकास को बढ़ावा देना

  1. भारत 5जी स्टैक: भारत आरएएन और ओआरएएन-अनुरूप उपकरणों सहित 5जी अवसंरचना के स्वदेशी विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाना है। घरेलू निर्माताओं और स्टार्टअप्स को मदद देने से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी कंपनियों तथा संगठनों पर निर्भरता कम होगी। भारत आरएएन दूरसंचार क्षेत्र में एक ऐसी तकनीक है जिससे नवाचार, संपर्क और आर्थिक वृद्धि में मदद मिल सकती है। ओआरएएन से आशय ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क से है।
  2. उद्योग और शिक्षा जगत के साथ सहयोग: उद्योग जगत के दिग्गजों, स्टार्टअप्स, शिक्षा जगत और शोध संस्थानों के साथ सहयोग कर नवाचार और विकास करना, जो कृषि, लॉजिस्टिक्स और स्वास्थ्य सेवा सहित विभिन्न क्षेत्रों में 5जी के लाभों को अधिकतम कर सकें।
  3. 5जी प्रयोगशालाएं और उत्कृष्टता केंद्र: पूरे देश में 5जी प्रयोगशालाएं की स्थापना को जारी रखा जाना चाहिए। इन प्रयोगशालाओं को न केवल परीक्षण के क्षेत्र में मदद करनी चाहिए, बल्कि शहरी नियोजन, सार्वजनिक सुरक्षा और संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देने वाले मामलों सहित वास्तविक उपयोग में नवाचार को बढ़ावा देना चाहिए।

3. नीति और विनियामक संवर्द्धन

  1. स्पेक्ट्रम आवंटन और नीलामी: 5जी और अगले चरण के संचार के लिए स्पेक्ट्रम की ज़रूरतों का नियमित रूप से आकलन कर, यह सुनिश्चित किया जाए कि स्पेक्ट्रम का आवंटन कुशलतापूर्वक और किफायती तरीके से किया गया है। इससे नीलामी प्रक्रिया और स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण और राइट्स ऑफ़ वे के बारे में नीतियों की समीक्षा से गति बनी रहेगी।
  2. 5जी तैयार, आधारभूत ढांचा संबंधी नीति: 5जी बुनियादी ढांचे के विकास में मदद देने के लिए नीतियों को सुव्यवस्थित करना जारी रखें। इस दिशा में राइट ऑफ़ वे अनुमतियों तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना और 5जी अपनाने के लिए अनुकूल विनियामक वातावरण बनाना महत्वपूर्ण होगा।
  3. डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: 5जी की शुरूआत के साथ, मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता बेहत जरूरी हो जाएगी। भारत को मजबूत एन्क्रिप्शन तकनीक (जैसे क्वांटम एन्क्रिप्शन एल्गोरिदम पहल) और 5जी नेटवर्क पर उपयोगकर्ता डेटा और संचार की सुरक्षा से संबंद्ध नीतियों को विकसित करने में निवेश करना चाहिए।

4. स्टार्टअप्स और एमएसएमई को सशक्त बनाना

  1. वित्तपोषण और सहायता: 5जी और 6जी प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास को और बढ़ावा देने के लिए दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) जैसी पहलों का विस्तार जरूरी है। दूरसंचार क्षेत्र से जुड़े विषयों से जुड़े स्टार्टअप और एमएसएमई के लिए बढ़ा हुआ समर्थन भारत की ज़रूरतों के अनुरूप अभिनव उत्पादों और सेवाओं के सृजन में मदद कर सकता है।
  2. एमएसएमई प्रमाणन सहायता: एमएसएमई प्रमाणन सहायता योजना छोटे व्यवसायों को वैश्विक बाजारों तक पहुंच बनाने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसी योजनाओं का विस्तार करने से 5जी से संबंधित उत्पादों के लिए घरेलू विनिर्माण और निर्यात क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।

5. 5जी अनुप्रयोग और उपयोग संबंधी मामले

  1. स्मार्ट शहर और बुनियादी ढांचा: उन्नत आईओटी एकीकरण, बेहतर यातायात प्रबंधन और स्मार्ट उपयोगिताओं के साथ स्मार्ट शहर बनाने में 5जी की क्षमताओं का लाभ उठाएँ। शहरों के लिए डिजिटल ट्विन जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ शहरी नवाचार को बढ़ावा देने के लिए उच्च गति, कम विलंबता कनेक्टिविटी से लाभ उठा सकती हैं।
  2. स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा: 5जी द्वारा संचालित टेलीमेडिसिन और डिजिटल लर्निंग समाधानों को अपनाने पर जोर दिया जाए। दूरदराज के क्षेत्रों में निदान, सर्जरी और परामर्श के साथ-साथ बेहतर ई-लर्निंग अनुभव प्रदान करने के लिए खास तौर पर 5जी का उपयोग करें।
  3. जन सुरक्षा और प्रशासन: स्मार्ट पुलिसिंग, आपदा प्रबंधन और प्रशासन के लिए 5जी के उपयोग को बढ़ावा दें। 5जी-सक्षम वास्तविक समय डेटा विश्लेषण निर्णय लेने, सार्वजनिक सुरक्षा और संसाधन प्रबंधन में सुधार कर सकता है।

66जी में परिवर्तन

  1. 6जी के लिए तैयारी करें: 6जी अनुसंधान पर भारत का ध्यान, 6जी उत्कृष्टता केंद्र जैसी पहलों और 6जी प्रौद्योगिकी के तीव्र शोध प्रस्‍तावों के साथ जारी रहना चाहिए। जिस समय तक भारत में 5जी सर्वव्यापी हो जाएगा, तब तक भारत 6जी के विकास और इसे शुरू करने के लिए अच्छी स्थिति में होगा।
  2. क्वांटम संचार और सुरक्षा: 5जी युग में सुरक्षित संचार के महत्व को देखते हुए, अत्याधिक सुरक्षित संचार के लिए क्वांटम एन्क्रिप्शन पर ध्यान केंद्रित करना भारत को दूरसंचार के भविष्य के लिए तैयार करेगा। क्वांटम एन्क्रिप्शन एल्गोरिदम पर शोध भारत को वैश्विक दूरसंचार तंत्र में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त भी देगा।

7. जन जागरूकता और डिजिटल समावेशन

  1. जागरूकता अभियान: 5जी के लाभों, उपयोग और भविष्य में दैनिक जीवन पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय अभियान शुरू करें। गोपनीयता, डेटा सुरक्षा और पहुंच से जुड़े विषयों पर विचार-विमर्श करने से यह सुनिश्चित होगा कि 5जी को अपनाना सहज और समावेशी हो।
  2. समावेशिता पर ध्यान: भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इंटरनेट और संचार के साधनों के उपयोग में अंतर को दूर कर यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाए कि 5जी का लाभ समाज के सभी क्षेत्रों, विशेष रूप से ग्रामीण आबादी, महिलाओं और वंचित समुदायों तक पहुंचे। ‘5जी इंटेलिजेंट विलेज’ जैसी पहल यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है कि पूरे देश को डिजिटल परिवर्तन से लाभ मिले।
  3. विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना: शिक्षा, उद्योग और सरकार के बीच अधिक सहयोग महत्वपूर्ण है। भारत 5जी गठबंधन जैसी पहल, एमएसएमई और स्टार्टअप को परीक्षण सुविधाओं तक पहुंचने और 5जी अनुसंधान और विकास में भाग लेने की अनुमति देती है, जो एक समावेशी 5जी प्रणाली के लिए एक बेहतर मिसाल कायम करती है।

भारत 5जी तकनीक द्वारा प्रदान किए गए अवसरों का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है। बुनियादी ढांचे के विस्तार, स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास, सहयोग को बढ़ावा देना और 5जी सेवाओं तक समावेशी पहुंच सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करके, भारत दूरसंचार में डिजिटल क्रांति का नेतृत्व करना जारी रख सकता है। जिस रफ्तार से देश 6जी की ओर बढ़ रहा है, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह प्रयास दूरसंचार क्षेत्र में निरंतर विकास, नवाचार और वैश्विक स्तर पर भारत को अग्रणी स्थिति में रखने में सुनिश्चित करेगा।

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