ब्रह्माण्ड में बाइनरी ब्लैक होल सिस्टम से एक्स-रे में आयरन लाइन्स की खोज, ये उनके गुणों का अनुमान लगाने में मदद कर सकती हैं
A study led by astronomers at the Indian Institute of Astrophysics (IIA) an autonomous institute of the Department of Science and Technology, has detected the Fe K spectral lines of ionized Iron atoms from the well-known binary Active Galactic Nucleus system 4C+37.11 using data from the Chandra Space Telescope. They concluded that this emission arises from both the accretion disk and the collisionally ionized plasma surrounding the pair of supermassive black holes in this object. The centers of all galaxies are known to host supermassive black holes (SMBHs), which have masses between a million to a billion times that of the sun. It is not easy to understand how the gas surrounding these black holes moves in its gravitational field, but X-ray observations offer a way to study the inner parts of these objects. However, radiation coming from the central SMBHs plays a critical role in illuminating the circumnuclear environment, which gives rise to various emission and absorption spectral lines. One of the most important is the Fe K emission line in the X-ray spectra from Iron atoms. These lines serve as important diagnostic tools for probing the physical conditions of the gas surrounding black holes, such as the temperature, density, and ionization state.
पृथ्वी से 750 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर रेडियो आकाशगंगा 4C+37.11 में एक प्रसिद्ध बाइनरी ब्लैक होल सिस्टम से एक्स-रे में आयरन लाइन्स की खोज की गई है, जिससे सिस्टम के गुणों के अध्ययन का मार्ग आसान हुआ है। ऐसा पहली बार हुआ है कि एक्स-रे को बाइनरी सिस्टम में पाया गया है। इसमें दो खगोलीय पिंडों की एक प्रणाली जो द्रव्यमान के एक सामान्य केंद्र की परिक्रमा करती है और गुरुत्वाकर्षण से बंधी होती है। ये रेखाएं ब्लैक होल के गुणों को समझने में मदद कर सकती हैं।
सभी आकाशगंगाओं के केंद्रों में सुपरमैसिव ब्लैक होल (एसएमबीएच) पाए जाते हैं, जिनका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से दस लाख से एक अरब गुना अधिक होता है। यह समझना आसान नहीं है कि इन ब्लैक होल के आसपास की गैस अपने गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में कैसे चलती है, लेकिन एक्स-रे अवलोकन इन वस्तुओं के आंतरिक भागों का अध्ययन करने का एक तरीका प्रदान करते हैं। हालांकि, केंद्रीय एसएमबीएच से आने वाला विकिरण परिभ्रमणीय वातावरण को रोशन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो विभिन्न उत्सर्जन और अवशोषण वर्णक्रमीय रेखाओं को जन्म देता है। सबसे महत्वपूर्ण में से एक आयरन परमाणुओं से एक्स-रे स्पेक्ट्रा में एफईके उत्सर्जन रेखा है। ये रेखाएं ब्लैक होल के आसपास की गैस की भौतिक स्थितियों, जैसे तापमान, घनत्व और आयनीकरण अवस्था की जांच के लिए महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में काम करती हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के खगोलविदों द्वारा किए गए एक अध्ययन में चंद्रा स्पेस टेलीस्कोप से प्राप्त डेटा का उपयोग करके प्रसिद्ध बाइनरी एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियस सिस्टम 4C+37.11 से आयनित आयरन परमाणुओं की एफईके वर्णक्रमीय रेखाओं का पता लगाया गया है। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि यह उत्सर्जन इस पिंड में सुपरमैसिव ब्लैक होल की जोड़ी के आसपास अभिवृद्धि डिस्क और टकराव से आयनित प्लाज्मा दोनों से उत्पन्न होता है।
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान में रामानुजम फेलो और इस काम के बारे में प्रकाशित पेपर के प्रमुख लेखक शांतनु मोंडल ने कहा – “हमने 4C+37.11 को देखने का निर्णय लिया, जो एक ऐसी ही आकर्षक और अनोखी खगोलीय वस्तु है। यह पृथ्वी से लगभग 750 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित बाइनरी एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लिआई (बीएजीएन) में से एक है और यह अपनी तरह की एक बहुत अच्छी तरह से अध्ययन की गई प्रणाली है।” इस 2004 में खोजी गई प्रणाली में दो एसएमबीएच नाभिक शामिल हैं जो केवल 23 प्रकाश वर्ष की दूरी पर अलग हैं। इन दो एसएमबीएच की निकटता 4C+37.11 को ऐसे चरम वातावरण में गतिशीलता और अंतःक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए एक दुर्लभ और मूल्यवान मामला बनाती है।
आईआईए की मौसमी दास और अध्ययन की सह-लेखिका ने कहा – “हालांकि एफई के की उत्सर्जन रेखाएं कई नज़दीकी एसएमबीएच से पाई गई हैं। लेकिन इस एसएमबीएच बाइनरी सिस्टम में कभी नहीं पाई गई। ऐसी वर्णक्रमीय रेखा एसएमबीएच के विलय के बारे में तथ्य प्रकट कर सकती है, जिसके बारे में यह भी ज्ञात है कि विलय के अंतिम क्षणों में गुरुत्वाकर्षण तरंगें भी उत्पन्न होती हैं।”
शांतनु मोंडल ने कहा – “हमने चंद्रा से प्राप्त अभिलेखीय डेटा का उपयोग करके 4C+37.11 का अध्ययन किया और पहली बार दो एफई के की रेखाएं खोजीं। मॉडलिंग के माध्यम से हम अनुमान लगा सकते हैं कि यह रेखा उत्सर्जन सुपरमैसिव ब्लैक होल्स के चारों ओर अभिवृद्धि डिस्क और उनके आसपास टकराव से आयनित प्लाज्मा के संयुक्त प्रभावों से उत्पन्न होता है।” टीम ने बाइनरी एसएमबीएच के कुल द्रव्यमान को सूर्य के 15 बिलियन गुना के रूप में भी निर्धारित किया, जो 0.8 से कम के मध्यम या निम्न स्पिन के साथ घूमता है।
मौसमी दास ने कहा, “हमारे अध्ययन से पता चलता है कि बाइनरी सुपरमैसिव ब्लैक होल से एफई के की लाइन उत्सर्जन का पता लगाना व्यक्तिगत ब्लैक होल के द्रव्यमान और उनके स्पिन का अनुमान लगाने के साथ-साथ उत्सर्जन क्षेत्रों और उनके आसपास के पदार्थों के व्यवहार और चरम स्थितियों में विकिरण का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है।”
आईआईए के शांतनु मोंडल और मौसमी दास, एनआईएसईआर के अनिकेत नाथ, नॉर्वे की रुबिनूर खातून, यूएसए की करिश्मा बंसल और न्यू मैक्सिको विश्वविद्यालय, यूएसए के ग्रेग बी. टेलर द्वारा किए गए अध्ययन के परिणाम एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (एएंडए) पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।