राष्ट्रीय बालिका दिवस 2025 : भारत के भविष्य को सशक्त बनाना
National Girl Child Day serves as a vital reminder of the importance of empowering girls and fostering an environment of equality and opportunity. Through various initiatives, policies, and awareness campaigns, the government is actively working to eliminate gender disparities, promote education, and ensure the health and well-being of girls across the nation. These efforts not only uplift individual lives but also contribute to building a more inclusive and progressive society. Recognizing the potential of every girl child is a step toward shaping a brighter and more equitable future for all.
भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय बालिका दिवस, लड़कियों के अधिकारों, शिक्षा और कल्याण पर फोकस करने के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण अवसर है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 2008 में शुरू किए गए इस दिवस का मक़सद, लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए जागरूकता बढ़ाना और एक ऐसा वातावरण तैयार करना है, जहां वे लिंग भेदभाव की बाधाओं के बग़ैर आगे बढ़ सकें।
राष्ट्रीय बालिका दिवस, लड़कियों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने का एक अवसर है, कि उन्हें लिंगभेद से मुक्त होकर, समान अवसर और सहायता प्रदान की जाए। यह दिन लड़कियों द्वारा सामना की जाने वाली असमानताओं को उजागर करने, उनके लिए शिक्षा को बढ़ावा देने और समाज को लड़कियों को समान मानने और उनका सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित करने का भी प्रयास करता है। इसका मुख्य फोकस लड़कियों के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को बदलने, कन्या भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों को संबोधित करने, घटते लिंग अनुपात के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लड़कियों के लिए अधिक समावेशी और न्यायसंगत वातावरण को बढ़ावा देने पर है।
बालिकाओँ के विकास के लिए पहल
लड़कियों का समग्र विकास सुनिश्चित करना, न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत भलाई के लिए, बल्कि समाज की सामूहिक उन्नति के लिए भी ज़रुरी है। खासकर, एक अधिक न्यायसंगत भविष्य के निर्माण के लिए, लड़कियों के अधिकारों और अवसरों को पहचानना तथा उनका समर्थन करना बेहद ज़रुरी है।
इसके अलावा, बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनकी सुरक्षा के लिए कानूनी उपायों में कई प्रमुख पहल शामिल हैं। बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 का उद्देश्य इसमें शामिल लोगों को दंडित करके बाल विवाह की प्रथा को खत्म करना है। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012, बाल दुर्व्यवहार को संबोधित करता है। इसके कार्यान्वयन को और मज़बूती से लागू करने के लिए साल 2020 में इसके नियमों में भी बदलाव किए गए। किशोर न्याय अधिनियम, 2015 जरूरतमंद बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। मिशन वात्सल्य, लापता बच्चों की सहायता के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन और ट्रैक चाइल्ड पोर्टल जैसी सेवाओं के साथ बाल विकास और सुरक्षा पर केंद्रित है। ट्रैक चाइल्ड पोर्टल साल 2012 से कार्यरत है। यह पोर्टल पुलिस स्टेशनों में रिपोर्ट किए गए ‘लापता’ बच्चों का मिलान, उन ‘पाए गए’ बच्चों के साथ करने की सुविधा प्रदान करता है, जो बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) में रह रहे हैं। पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना, कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों की मदद करती है। इसके अलावा, एनआईएमएचएएनएस और ई-संपर्क कार्यक्रम के सहयोग से मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा देखभाल भी प्रदान की जाती है। कुल मिलाकर ये सभी प्रयास एक साथ मिलकर भारत में लड़कियों के अधिकारों और कल्याण पर ज़ोर देते हुए एक सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देते हैं।
राष्ट्रीय बालिका दिवस लड़कियों को सशक्त बनाने और समानता तथा अवसर के माहौल को बढ़ावा देने के महत्व के बारे में हमें याद दिलाता है। विभिन्न पहलों, नीतियों और जागरूकता अभियानों के ज़रिए, सरकार लैंगिक असमानताओं को खत्म करने, शिक्षा को बढ़ावा देने और देश भर में लड़कियों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए तेज़ी से काम कर रही है। ये प्रयास न केवल व्यक्तिगत जीवन का उत्थान करते हैं, बल्कि एक अधिक समावेशी और प्रगतिशील समाज के निर्माण में भी योगदान देते हैं। प्रत्येक बालिका की क्षमता को पहचानना, सभी के लिए एक उज्जवल और अधिक न्यायसंगत भविष्य को आकार देने की दिशा में एक कदम है।