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चीन की नापाक हरकतें

अजय दीक्षित
यह चीन की परेशानी का ही नतीजा है कि भारतीय नौसेना के आसियान देशों के साथ दक्षिण चीन सागर में हुए युद्धाभ्यास की वह बड़े पैमाने पर निगरानी करता रहा। उल्लेखनीय है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के निरंकुश व्यवहार पर अंकुश लगाने के लिये गत सात व आठ मई को दक्षिण चीन सागर में भारत ने आसियान देशों की नौसेनाओं के साथ युद्ध अभ्यास किया। जिसमें भारतीय नौसेना के अलावा आसियान देश फिलीपींस, इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, ब्रुनेई और वियतनाम की नौसेनाएं शामिल हुई थीं। बताया जाता है कि चीन न केवल फाइटर जेट व खुफिया वॉरशिप से जासूसी कर रहा था बल्कि चीनी समुद्री मिलिशिया जहाज भी युद्धाभ्यास की जगह से करीब पचास किलोमीटर की दूरी पर देखे गये। दुनिया को भरमाने के लिये यूं तो चीन ने मिलिशिया जहाजों को व्यापारिक जहाजों के रूप में पंजीकृत कर रखा है, लेकिन असल में ये पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की नेवी विंग के इशारे पर समुद्र में अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।

उल्लेखनीय है कि जिस तरह चीन दक्षिण एशिया में छोटे देशों के साथ मिलकर भारत की घेराबंदी करता रहा है, उसी की तर्ज पर भारत भी आसियान देशों के साथ मिलकर रणनीतिक साझेदारी को मूर्त रूप दे रहा है। जिससे परेशान होकर चीन युद्धाभ्यास की निगरानी कर रहा था। हालांकि, चीनी युद्धपोत अभ्यास स्थल के ज्यादा करीब नहीं आये, जिसके चलते किसी टकराव की आशंका टल गई। खबरों के मुताबिक, चीनी युद्धक जहाज व एयरक्राफ्ट दक्षिण चीन सागर में मौजूद थे। दरअसल, हाल के दिनों में हिंद प्रशांत व चीन सागर में चीन की आक्रामक गतिविधियां तेज हुई हैं। इतना ही नहीं, तमाम आसियान देशों से समुद्री सीमा को लेकर उसका विवाद चल रहा है। यहां तक कि फिलीपींस चीन के खिलाफ समुद्री सीमा विवाद के मामले में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय गया और अपनी संप्रभुता को लेकर मुकदमा जीता भी । इसके अलावा वियतनाम आदि कई पड़ोसी देशों से चीन का सीमा विवाद बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि वियतनाम के विशिष्ट आर्थिक जोन में इस ड्रिल को अंजाम दिया गया। हालांकि, चीन के किसी हस्तक्षेप को टालने के लिये चीनी जहाजों पर सतर्कतापूर्वक नजर रखी जा रही थी।

इससे पूर्व भारत के गाइडेड मिसाइल विध्वंसक लैस आईएनएस दिल्ली और स्टील्थ फिगेट आईएनएस सतपुड़ा ने भी अभ्यास में भागीदारी सिंगापुर के नौसेनिक अड्डे पर की थी। बहरहाल, भारत ने कूटनीतिक बढ़त लेने के इरादे से उन देशों से करीबी संबंध बनाये हैं, जिनके चीन के साथ रिश्ते। खराब चल रहे हैं। इतना ही नहीं, कई देशों के साथ युद्ध से जुड़े अभ्यास कार्यक्रम भी चलाये गये हैं। जिसका मकसद युद्धक विमानों तथा पनडुब्बियों का कुशल संचालन करना है। यहां तक कि भारत कई आसियान देशों को हथियार भी बेचने लगा है। पिछले दिनों फिलीपींस के साथ भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों से जुड़े सिस्टम का सौदा किया था। फिलीपींस के साथ यह सौदा 375 मिलियन डॉलर का बताया जाता है। ऐसा ही सौदा वियतनाम व इंडोनेशिया के साथ भी होने की उम्मीद है। भारत ने चीन के साथ सीमा विवाद के चलते सुरक्षात्मक रणनीति के तहत आसियान देशों के साथ करीबी रिश्ते स्थापित किये हैं।

दरअसल, आसियान देशों के साथ इस समुद्री युद्धाभ्यास का मकसद उन टकरावों को टालना था, जिनके अचानक समुद्र में घटने की आशंका रहती है। इसके जरिये आपसी भरोसे को बढ़ाने तथा दुर्घटनाओं की आशंकाओं को कम करना भी था। ऐसा चीन द्वारा लगातार विवादों को हवा देने के चलते अपरिहार्य हो गया था। भारत की सीमाओं का अतिक्रमण करने की कोशिशों में लगे चीन को अहसास कराना भी जरूरी था कि हम भी उसके खिलाफ दूसरे मोर्चे तैयार कर सकते हैं ।

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