लोकसभा चुनाव : भाजपा के नये चेहरों ने उड़ाई मौजूदा सांसदों की नींद
हालिया विधानसभा चुनावों की तरह भाजपा उत्तराखंड में कर सकती है नये चेहरों का प्रयोग : मौजूदा सांसदों के साथ एंटी इनकम्बन्सी का है डर
-राजेन्द्र शिवाली-
कोटद्वार, 1 मार्च। भारत निर्वाचन आयोग लोकसभा चुनाव का बिगुल अब कभी भी बजा सकता है, इसलिए सत्तारूढ़ भाजपा भी आज कल में कभी भी 100 से अधिक प्रत्याशियों की पहली सूचि जारी कर सकती है।इस पहली सूचि में उत्तराखंड की पाँचों सीटों के प्रत्याशी भी हो सकते हैं। इसलिए टिकटार्थियों ने पूरा ध्यान दिल्ली पर केंद्रित कर रखा है। उत्तराखण्ड के अधिकतर मौजूदा सांसदों को टिकट की जंग में कड़ी टक्कर मिल रही है। निशंक, तीरथ, राज्यलक्षमी, अजय टम्टा को टिकट के लिए जबदस्त अंदरूनी प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के अंदरूनी सर्वे के बाद कुछ मंत्री समेत सांसदों के टिकट कटने की संभावना बनी हुयी है।गुरुवार की देर रात तक हुए मंथन के बाद पौड़ी, हरिद्वार, टिहरी, नैनीताल व अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ के सांसदों का टिकट खतरे में नजर आ रहा है।
दिल्ली से छन कर आ रही चर्चाओं के अनुसार मौजूदा सांसदों में से अधिकांश को झटका लग सकता है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का तीन साल का वनवास खत्म होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, मौजूदा सांसद अपने सम्पर्कों के जरिये फिसलती बाजी को थामने की पूरी कोशिश में जुटे हुए हैं। भाजपा संसदीय बोर्ड की गुरुवार की रात हुयी बैठक के बाद अब कभी भी प्रदेश के पांचों लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होने की उम्मीद है। उम्मीदवारों के चयन में पीएम मोदी की फाइनल रिपोर्ट की विशेष भूमिका रहेगी। गौरतलब है कि दिल्ली में बीएल संतोष,अमित शाह व जेपी नड्डा के साथ सीएम धामी, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, प्रदेश प्रभारी दुष्यन्त गौतम, संगठन महामंत्री अजेय दावेदारों के नाम पर फाइनल मंथन कर चुके हैं। यूं तो प्रदेश चुनाव समिति ने 55 दावेदारों की सूची दिल्ली भेजी थी। लेकिन अब टिकट की जंग चुनींदा नामों के बीच ही सिमट कर रह गयी है।
पौड़ी लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद व पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत का टिकट सर्वाधिक खतरे में बताया जा रहा है। इस सीट पर निवर्तमान राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को टिकट मिलने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन भाजपा के अंदरूनी श्रोत कहते हैँ कि इस क्षेत्र से दो ब्राह्मण कैसे सांसद बनाये जा सकते हैं? हाल ही में महेन्द्र भट्ट इसी क्षेत्र से राज्यसभा भेजे गये हैँ। अनिल बलूनी ने अन्य सांसदों के मुकाबले जनहित के काम तो किए हैं और हाई कमान में उनकी अच्छी पैठ भी है लेकिन जमीन पर उनका उनका जनाधार नहीं है। वह एक बार कोटद्वार से चुनाव हार चुके हैँ।
बलूनी के अलावा इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और एडमिरल ओमप्रकाश राणा की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है। जातीय संतुलन दोनों की दावेदारी को मजबूत करती है। साथ ही भाजपा को त्रिवेंद्र रावत जैसे महत्वपूर्ण नेता का पुनर्वास भी करना है। 2021 में सीएम की कुर्सी से रातों रात हटा दिए गए त्रिवेंद्र को विधानसभा का टिकट नहीं दिया गया था। 2022 विधानसभा चुनाव से पूर्व त्रिवेंद्र का हाईकमान को चुनाव नहीं लड़ने सम्बन्धी एक पत्र भी जारी हुआ था । इसके बाद राज्यसभा के आये दोनों मौकों पर पार्टी हाईकमान ने जून 2022 में कल्पना सैनी और अब महेंद्र भट्ट को टिकट देकर त्रिवेंद्र समर्थकों को निराश कर दिया था।
इधर एडमिरल राणा की दावेदारी की मजबूती के पीछे उनकी सैन्य पृष्ठभूमि मानी जा रही है। इस सैन्य बाहुल्य क्षेत्र से मेजर जनरल रैंक के भुवन चंद्र खंडूरी कई बार प्रतिनिधित्व करते रहे हैँ। वह केंद्र में मंत्री भी रहे। ओमप्रकाश राणा भी रियर एडमिरल रैंक से रिटायर हुए हैं जो कि मेजर जर्नल रैंक ही है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि देश के लिए ब्रह्मोश मिसाइल है। एडमिरल राणा की देखरेख और तकनिकी मार्गदर्शन में भारत को यह ब्रह्मास्त्र हासिल हुआ है। इसी करण 2019 के चुनाव में अंतिम क्षणों तक टिकट बंटवारे में उनका नाम चल रहा था। रक्षा राज्य मंत्री रहते हुए देश की सुरक्षा के लिए जितना काम अजय भट्ट भी नहीं कर सके उससे कहीं महत्वपूर्ण योगदान एडमिरल ओमप्रकाश राणा का है। अजय भट्ट केवल कुर्सी पर अपनी शोभा बढ़ाते रहे। एडमिरल राणा के अलावा इस सीट पर ऋतु खंडूरी के नाम की भी चर्चा है।
हरिद्वार लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद व पूर्व सीएम निशंक के साथ पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक, पूर्व विधायक यतीश्वरानंद के नाम की भी चर्चा है। अगर गत विधानसभा चुनाव नतीजों पर गौर करें तो भाजपा के लिए इस बार नैनीताल और हरिद्वार सबसे चुनौतीपूर्ण हैं । लेकिन निशंक का अपने क्षेत्र की जनता से निरंतर सम्पर्क बना रहा और उन्होंने केंद्र महत्वपूर्ण मंत्री होते हुए भी राज्य मंत्री अजय भट्ट की तरह स्वयं को जनता का हाक़िम नहीं समझा। बीते कुछ समय से त्रिवेंद्र पौड़ी लोकसभा क्षेत्र में भी सक्रिय नजर आए। लेकिन अब उनकी दावेदारी से हरिद्वार सांसद निशंक को नयी जंग में उलझना पड़ रहा है। अगर भाजपा हाईकमान हरिद्वार में किसी मैदानी नेता पर दांव खेलेगी तो यतीश्वरानंद को लोकसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है।
टिहरी सीट पर भी एंटी इनकम्बन्सी का खतरा बना हुआ है इसलिए मौजूदा सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह का टिकट भी खतरे में है। इस सीट पर जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण व दीप्ति रावत, नेहा जोशी को टिकट की दौड़ में शामिल माना जा रहा है। क्या पत कहीं अनिल बलूनी टिकट पर हाथ न मार ले ! बलूनी का कहीं न कहीं पुनर्वास होना है।
इस लोकसभा सीट पर भाजपा सांसद अजय टम्टा टिकट बचाने के लिए पूरा जोर लगाए हुए है। यहां धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य भी दावेदार हैं । लेकिन उनकी निष्ठा सदैव किसी पार्टी के बजाय कुर्सी के प्रति रही है। उनके पति गिरधारी लाल साहू उर्फ़ पप्पू साहू के अनेक विवाद उनके राजनीतिक मार्ग में बाधक माने जाते हैँ। लेकिन अगर भाजपा संसदीय बोर्ड टिहरी व पिथौरागढ़-अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर एक ही। महिला को टिकट देता है तो यहां से फकीर राम टम्टा को अजय टम्टा की जगह मैदान में उतारा जा सकता है।
नैनीताल उधमसिंह नगर सीट पर रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट के केंद्र में मंत्री होने के बावजूद उनका टिकट सुरक्षित नहीं है। उसका पहला करण एंटी इनकम्बन्सी और मंत्री रहते हुए आम आदमी से नाता टूटना माना जा रहा है तो दूसरा करण गत विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र के विधान सभा क्षेत्रों में भाजपा का खराब प्रदर्शन माना जा रहा है। कांग्रेस हरिद्वार और नैनीताल सीट पर स्वयं को सबसे मजबूत मान कर चल रही है। इस सीट पर पूर्व मंत्री अरविंद पांडेय व राजेश शुक्ला के नाम भी हैं। अजय भट्ट से क्षेत्र के लोगों की मुख्य शिकायत उनके व्यवहार से रही है।