चमोली की गौचर हवाई पट्टी पर इस बार भी हवाई सेवा की संभावना क्षीण
-गौचर से दिग्पाल गुसांईं-
चमोली की गौचर हवाई पट्टी पर इस बार भी हवाई जहाज सेवा शुरू होने की संभावना न के बराबर है। इस हवाई पट्टी के निर्माण के पीछे सामरिक व पर्यटन विकास का तर्क दिया गया था। लेकिन 23 साल पहले करोड़ों रुपए खर्च कर बनाई गई इस हवाई पट्टी से हवाई जहाज सेवा शुरू न करने से इसके औचित्य पर भी सवाल उठाया जाना लाजिमी है।
कास्तकारों के भारी विरोध के बाद भी क्षेत्र के कास्तकारों की एक मात्र आजीविका का जरिया पनाई सेरे की अति उपजाऊ जमीन पर करोड़ों रुपए खर्च कर वर्ष 2000 में 1450 मीटर लंबी तथा 30 मीटर चौड़ी हवाई पट्टी का निर्माण किया गया था। जमीन अधिग्रहण करते समय शासन प्रशासन ने इस हवाई पट्टी के निर्माण के पीछे सामरिक व पर्यटन विकास का तर्क देकर जबरन जमीन अधिग्रहण किया था। लेकिन ताजुब तो इस बात का है कि निर्माण के 23 साल बीत जाने के बाद भी आज तक इस हवाई पट्टी से हवाई जहाज सेवा शुरू ही नहीं की जा सकी है।
इसी के साथ बनाई गई पिथौरागढ़ की नैनीसैनी हवाई पट्टी से हवाई जहाज सेवा शुरू कर दी गई है। बद्रीनाथ केदारनाथ यात्रा शुरू होने में अब गिनती के दिन शेष रह गए हैं। लेकिन इस हवाई पट्टी से हवाई जहाज सेवा शुरू करने के लिए अभी तक कोई कारगर कदम न उठाए जाने से हवाई जहाज सेवा शुरू होने की संभावना दूर दूर तक नजर नहीं आ रही है। समय समय पर इस हवाई पट्टी के विस्तारीकरण की हवा तैरती रहती है। कई बार इसका सर्वेक्षण भी किया गया। लेकिन तमाम संभावनाओं व सर्वेक्षणों को ताक पर रखकर वर्तमान में हवाई पट्टी की चार दीवारी की ऊंचाई बढ़ाने का कार्य गतिमान है।
हवाई पट्टी के निर्माण के अलावा भी अन्य निर्माण कार्यों पर अब तक करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए हैं। लेकिन नतीजा सिफर रहने से इसके औचित्य पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं।
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मुकेश नेगी, नगर अध्यक्ष सुनील पंवार, पूर्व मंडी समिति अध्यक्ष संदीप नेगी, सेवा निवृत्त प्रधानाचार्य जगदीश कनवासी आदि का कहना है कि जब गौचर हवाई पट्टी से हवाई जहाज सेवा शुरू करनी ही नहीं थी तो क्षेत्र के कास्तकारों की अति उपजाऊ जमीन को कंक्रीट के जंगल में तब्दील कर सरकारी धन के दुरपयोग करने की क्या आवश्यकता थी।