हमारी बिरासत के मिस्तरी
Masonary is like art of writing. Great authors and poets choose words of their choice and fit in the scheme of verse or prose which give beauty and strength to the text. (This is my quote only -GPB)
-गोविंद प्रसाद बहुगुणा –
गाब के पत्थर भी ऐसे व्यक्तित्व होते हैं जो दिखाई नहीं देते सिर्फ याद रहते हैं जैसे हमारे इस मकान के मिस्त्री हजारु और श्यामा जी थे , मुझे उनकी शक्ल सूरत अभी तक याद है उन्होंने ही हमारा पुश्तैनी मकान बनाया था ,तब मैं पैदा भी नहीं हुआ था ।
जिन्होने अपनी आखों से किसी मिस्त्री को इमारत की दीवारों की चिनाई मिटटी- पत्थर से करते हुए देखा होगा उन्हें पता होगा कि “गाब का पत्थर” किसे कहते हैं और इसका क्या महत्व होता है I पत्थर के चपटे, छोटे- छोटे टुकड़ों से चिनी गई दीवार जिसमें आनुपातिक ढंग से यत्र-तत्र बड़े- छोटे पत्थर लगाए जाते हैं, को “क़त्ल कि चिनाई” कहते हैं -वास्तु शिल्प की यह अनूठी कला आपको पहाड़ी क्षेत्रों में बने पुराने रईसी मकानों में दिखाई देगी ।
गाब के पत्थरों का दीवार के स्थायित्व और सौष्ठव में बड़ा महत्वपूर्ण योगदान होता है I “गाब” उस पत्थर को कहते हैं जो gap को भरता है, छिद्रों को ढकता है और पत्थर और मिटटी को इकट्ठा बांधकर रखता है I लेकिन गाब के पत्थर दीवार में बहार से दिखाई नहीं देते, वे शिल्प शरीर के अत्यंत गोपनीय अंग होते हैं ।
ऐसे ही गाब के पत्थरों कि भांति मनुष्य भी प्रयुक्त होते हैं । किसी भी महापुरुष के जीवन को आप उठा कर देख लीजिये, आप पाएंगे कि उनकी महानता, भव्यता और लोकप्रियता के निर्माण में उनकी पत्नी,पट्ट शिष्य अथवा निजी सहायक कि बहुत बड़ी भूमिका होती है । गांधी वह गांधी न होते अगर उनके जीवन में महादेव भाई न आते । गांधी की महानता में कम से कम ६० परसेंट योगदान महादेव है का है , फिर उनकी पत्नी कस्तूरबा का है या फिर मीरा बहिन का है , ये गांधी भवन के “गाब’ थे ।
इसी तरह एलिसा आइंस्टीन यद्यपि आइंस्टीन के जीवन में बहुत बाद में आयी लेकिन जितना समय वह जीवित रही, वह उनकी सहधर्मिणी से ज्यादा उनकी चौकीदार, धोबिन, कुक ,उनके संरक्षिका ,उनकी ऑउउंटेंट और जाने क्या- क्या रही , एक मिनट के लिए आइंस्टीन को किसी बात की चिंता के लिए मौका नहीं दिया I और तीसरा व्यक्ति था बोसवेल जो अंग्रेजी साहित्य के महान साहित्य्कार ,शब्दकोष निर्माता और आलोचक डॉ सैमुएल जॉनसन के शिष्य थे जिन्होने डॉ जॉनसन की जीवन कथा लिखी ।
पट्ट शिष्य जेम्स बॉसवेल ने अपने गुरु डॉ जॉनसन के जीवन की छोटी- बड़ी घटनाओं और कृतियों का अभिलेखन इस पुस्तक में इतनी सुंदरता से किया कि प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक और आलोचक हेरोल्ड ब्लूम को कहना पड़ा कि अंग्रेजी साहित्य इससे बढ़िया जीवनकथा अब तक नहीं लिखी गयी I ये तीनों व्यक्ति बड़े भागयशाली थे जिनको ऐसे ‘गाब” के पत्थर मिले।
GPB