मुख्यमंत्री घस्यारी योजना के घटिया शाइलेज ने पशुपालकों को घोर संकट में डाल दिया
-गौचर से दिग्पाल गुसाईं –
मुख्यमंत्री घस्यारी योजना के तहत मिलने वाले हरी घास शाइलेज की घटिया गुणवत्ता ने पशुपालकों को घोर संकट में डाल दिया है। पशुपालकों का कहना है कि इस घास को जानवर खा ही नहीं रहे हैं इससे दूध का उत्पादन भी घट गया है।

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शाह के हाथों देहरादून में इस योजना का उद्घाटन करवाया गया था।तब समझा जा रहा था कि दो रुपए किलो मिलने वाली इस हरी घास शाइलेज से पशुपालकों को लाभ पहुंचेगा लेकिन जिस प्रकार से इस घटिया गुणवत्ता शाइलेज का आवंटन पशुपालकों को किया जा रहा उससे पशुपालकों को लाभ की जगह नुक़सान झेलना पड़ रहा है। उत्तराखंड के सेलाकुई में निर्मित होने वाले इस शाइलेज की गुणवत्ता की शिकायत पशुपालन शुरू से ही करते रहे हैं। लेकिन ताजुब तो इस बात का है आज तक इस शिकायत की कोई सुनवाई नहीं हुई है। पिछले दिनों सरकार ने कुछ दिनों तक पंजाब। राज्य से शाइलेज मंगवाया था इसकी सभी ने प्रशंसा की थी। लेकिन अब फिर से राज्य में निर्मित होने वाले शाइलेज की सप्लाई की जाने लगी है जिसकी गुणवत्ता इतनी खराब है कि इसे जानवर खा ही नहीं रहे हैं। जिससे पशुपालकों को भारी नुक़सान झेलना पड़ रहा है। प्रगतिशील पशुपालक उमेश रतूड़ी, रमेश डिमरी, विजया गुसाईं, गगनदीप, राकेश बिष्ट आदि का कहना है कि राज्य में निर्मित होने वाले शाइलेज की गुणवत्ता इतनी खराब है कि पशु खा ही नहीं रहे हैं।इन लोगों का कहना है कि इस शाइलेज घास में मक्का है ही नहीं। इसकी जांच की जानी चाहिए।