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दयारा बुग्याल मेंअंडूड़ी महोत्सव “बटर फेस्टिवल” का विरोध ; अन्यत्र कहीं आयोजित करने की मांग

 

The villagers of Barsu raised a question mark on the upcoming Anduri Mahotsav “Butter Festival” proposed by Raithal village on August 16-17 and put the district administration and the concerned Forest Department and Tourism Department in the dock for organizing it. The villagers of Barsu village also submitted a memorandum to the District Magistrate, Divisional Forest Officer, and Tourism Department, demanding to work on the previously approved ski lift scheme in Bharanala and to organize the proposed butter festival at any place other than Dayara Bugyal.

–uttarakhandhimalaya.in —

उत्तरकाशी, 10 अगस्त ।  बार्सू के ग्रामीणों द्वारा रैथल गांव द्वारा आगामी 16- 17 अगस्त को प्रस्तावित अंडूड़ी महोत्सव “बटर फेस्टिवल” पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर इसके आयोजन मे जिला प्रशासन व सम्बन्धित वन विभाग व पर्यटन विभाग को भी कटघरे मे खड़ा किया है। बार्सू गांव के ग्रामीणों द्वारा जिलाधिकारी , प्रभागीय वनाधिकारी व पर्यटन विभाग को भी ज्ञापन देकर भरनाला मे पूर्व मे स्वीकृत स्की लिफ्ट योजना पर कार्य करने व प्रस्तावित बटर फेस्टिवल को  दयारा बुग्याल से अन्यत्र किसी भी स्थान पर आयोजित किये जाने हेतु यथोचित कार्यवाही करने की मांग की।

आज बार्सू गाँव के ग्रामीणों द्वारा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर वास्तुस्थिति से अवगत कराया कि दयारा बुग्याल मे आगामी 16- 17 अगस्त को बटर फेस्टिवल के नाम पर प्रशासन की निगरानी मे हजारों लोगों का मजमा लगने वाला है। ये हम नहीं पर्यटन व वन विभाग से संदर्भित समाचार पत्रों मे जारी रजिस्ट्रेशन की संख्या से उजागर हुआ है। सोशल मीडिया मे तैर रहे कार्यक्रम के पोस्टर व प्रचार प्रसार से संज्ञान मे आया है कि यहाँ सूबे के मुख्यमंत्री, पर्यटन मंत्री सहित स्थानीय प्रशासन खुद कार्यक्रम की अगुवाई करेंगे और लोक कलाकारो के माध्यम से अधिक से अधिक भीड़ जमा होने की पूरी कोशिश जारी है। लेकिन इससे इतर सोचने वाली बात ये है कि जहां उत्तराखंड के सभी उच्च बुग्याली क्षेत्रों में वर्ष 2018 के  उच्च न्यायालय के आदेशानुसार कैंपिंग और अधिक मानव गतिविधियों पर रोक लगी है, वहां इस तरह का भव्य आयोजन आखिर क्यों? उत्तराखंड हाईकोर्ट के वर्ष 2018 के आदेश अनुसार उत्तराखंड के बुग्याली क्षेत्रों के किसी भी बुग्याल में ना टेंट लगा सकते है, और न ही रात्रि को रुक सकते है, फिर भी इस आयोजन मे आने वाली भीड़ के लिए बड़े स्तर पर कैंपिंग और टेंट लगाए जाने प्रस्तावित है, VIP मेहमानों के लिए बड़े टेंट की सुविधा से लेकर मंत्री और मुख्यमंत्री के लिए हेलीपेड भी बनाये जाने है।

ग्रामीणों कहना है कि पिछले वर्ष भी इस आयोजन मे हजारों लोगों ने शिरकत कर यहाँ गन्दगी का जो अम्बार लगाया उसके निशान आज भी जिंदा है, क्या उत्तराखंड सरकार और स्थानीय प्रशासन ऐसे आयोजनों को बढ़ावा देकर उच्च बुग्याली क्षेत्र के परिस्थितिकी तंत्र को चुनौती दे रहे है? क्या इन बुग्यालों में पर्यावरण की कोई परवाह नही है ? पहले भी इस तरह के कार्यक्रमों से इस बुग्याल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है, जिसकी दुर्दशा के लिए हमारी सरकार स्वयं ही जिम्मेदार है। जब वर्ष 2018 मे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कैम्पिंग पर रोक लगाई गई है तो जिला प्रशासन किस नियम के तहत इस तरह के कार्यक्रमों की अनुमति प्रदान कर रहा है।

            Memorandum addressed to the Chief Minister was handed over to DM Uttarkashi by villagers of Barsu

ग्रामीणों  सवाल किया कि  क्या ऐसे कार्यक्रमो से इस खूबसूरत बुग्याल दयारा में हजारों लोगों के मजमे से यहाँ का पर्यावरण और पारिस्थिकी तंत्र प्रभावित नही होगा? ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि यूपी शासनकाल मे पर्यटन विभाग द्वारा करवाए गये राइट्स सर्वे रिपोर्ट के आधार पर दयारा बुग्याल छानियों मे स्थानीय लोगों के मौसमी प्रवास के साथ पर्यटकों को आवसीय सुविधायें उपलब्ध न करवाए जाने के सुझाव दिये गये है, जिसके अनुसार बुग्याल संरक्षण एवं पर्यावरण के हित को ध्यान मे रखते हुए ग्राम बार्सू एवं पाला के लोगों ने अपनी छानियों मे मौसमी प्रवास करना छोड़ दिया था। इसलिए इस मेले का आयोजन भी बुग्याल संरक्षण हित मे यहाँ नहीं होना चाहिए।

जनपद उत्तरकाशी के उच्च हिमालयी क्षेत्र मे स्थित दयारा बुग्याल अपने रमणिक मखमली बुग्याल और नेसर्गिक सुंदरता के लिए देश विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसके विकास के लिए स्थानीय ग्रामीण लम्बे समय से संघर्षरत है। पूर्व मे स्थानीय सरकारों द्वारा भी यहाँ पर पर्यटन से सम्बन्धित अनेक गतिविधियों से पर्यटकों का ध्यानाकर्षण किया है। स्थानीय स्तर पर दयारा बुग्याल के आधार शिविर गांव बार्सू व रैथल से पर्यटकों की आवाज़ाही के लिए सभी सुबिधायें उपलब्ध है, और आगे भी अनेक विकास कार्य होने प्रस्तावित है।

ग्रामीणों कहना है कि इसी कड़ी मे वर्ष 2020 मे भरनाला मे स्की लिफ्ट की स्थापना किये जाने की शासन द्वारा स्वीकृति प्रदान कर निविदा भी जारी की गई। लेकिन बार्सू के नजदीकी भरनाला मे स्की लिफ्ट स्वीकृति पर रैथल गांव के प्रधान एवं ग्रामवासियों द्वारा उपरोक्त विकास कार्य मे बाधा पहुँचाने के लिए अनेक प्रकार की भ्रामक सूचनाएं शासन को प्रेषित की। जिसमे मुख्य रूप से पर्यटन विभाग की कार्यशेली एवं विशेषज्ञ एजेंसियों की निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह खड़े किये गये। ऐसी भ्रामक सूचनाओं के परिणाम स्वरूप भरनाला स्की लिफ्ट योजना शासन द्वारा निरस्त की गई। जबकि ग्राम बार्सू जो दयारा बुग्याल का आधार शिविर गांव है, जहाँ से दयारा बुग्याल की दूरी मात्र 6 किमी० है, इसके मध्य मे गांव से 3 किमी० की दूरी पर बैस कैंप भरनाला स्थित है जहाँ दर्शनीय तालाब एवं शीतकालीन खेलों हेतु आदर्श प्रशिक्षण स्थल मौजूद है। जहाँ पर स्की लिफ्ट लगाए जाने की योजना स्वीकृत थी और निविदा भी जारी की गई थी लेकिन उक्त स्थल और ग्राम बार्सू के बारे मे रैथल के ग्रामीणों द्वारा शासन को भ्रामक सूचनाएं प्रेषित की गई, जिस पर समस्त ग्रामीणों मे रोष व्याप्त है और शीतकालीन खेलों का आनंद लेने वाले पर्यटन प्रेमी भी आहत है।

इसी कड़ी मे आज बार्सू गाँव के ग्रामीणों द्वारा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर वास्तुस्थिति से अवगत कराया, ज्ञापन मे इनके द्वारा अवगत कराया गया कि उनके अथक प्रयासों से पूर्व मे अनेकों बार विशेषज्ञ एजेंसियों के माध्यम से इस क्षेत्र मे सर्वे व विस्तृत अध्ययन किये जाने के उपरांत तत्कालीन मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह व तत्कालीन पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर द्वारा बार्सू- भरनाला, बार्सू- दयारा के अलावा रैथल -गोई – दयारा का स्थलीय निरीक्षण किया गया। जिनके निर्देश पर विशेषज्ञों द्वारा बार्सू – भरनाला स्की लिफ्ट सर्वेक्षण किया गया और सम्पूर्ण औपचारिकताओं के बाद उचित स्थान के रूप मे बैस कैंप भरनाला को पाया गया । भरनाला मे शीतकालीन खेलों हेतु प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण देने की शासन द्वारा योजना भी बनाई गयी। जिस उपरांत शासन द्वारा इस स्थान पर स्की लिफ्ट योजना की स्वीकृति भी प्रदान कर निविदा भी जारी की गई। लेकिन इस उपरांत रैथल गांव के ग्रामीणों द्वारा इस विषय मे शासन मे भ्रामक तथ्य प्रेषित कर इस योजना पर रोक लगवा दी जिससे बार्सू गांव के ग्रामीण आक्रोशित है।

ज्ञापन देने वालों मे ग्राम प्रधान बार्सू श्रीमती देविंता रावत, ब्लॉक प्रमुख विनीता रावत, कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष जगमोहन सिंह रावत , भाजपा नेता जगमोहन रावत, पूर्व क्षेत्र पंचायत रामचंद्र रावत, स्थानीय ग्रामीण सत्य सिंह रावत, धर्मेंद्र रावत, भूपेश रावत, भागवत रावत, नवीन रावत, राजवीर रावत, बलबेन्द्र रावत, गजवेन्द्र रावत, दीपचंद रावत, शिवेंद्र रावत, कपिल रावत, यजवेन्द्र रावत, शैलेन्द्र रावत सहित अनेक ग्रामीण मौजूद रहे।

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