स्टेट बैंक पर भी सवाल- आख़िर किस कारण से वो डेटा देने में देर कर रहा था ??
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स्टेट बैंक सोशल मीडिया पर मज़ाक़ का विषय बना हुआ है. चुनावी बॉन्ड का डेटा रिलीज़ करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को दो-दो बार सुनवाई करना पड़ी. लोगों ने लिखा कि स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट को भी चक्कर लगवा दिया जैसे बाक़ी ग्राहकों को लगाना पड़ता है. यह मज़ाक़ का विषय नहीं है. सवाल स्टेट बैंक पर भी उठ रहा है कि आख़िर किस कारण से वो डेटा देने में देर कर रहा था. जिस डेटा को मिलाने के लिए स्टेट बैंक तीन महीने का टाइम माँग रहा था उसे पत्रकारों ने 30 मिनट में मिला दिया.
पहले आप क्रोनोलॉजी समझिए
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के 57% भारत सरकार के पास है. कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है कि चुनाव से पहले सरकार डेटा रोकने की भरसक कोशिश की गई. सरकार का जवाब नहीं आया है लेकिन सवाल बना हुआ है कि स्टेट बैंक डेटा रोकना क्यों चाहता था? चुनाव से पहले वोटरों को जानने का अधिकार है कि वो जिसे वोट दे रहा है वो किस कंपनी या व्यक्ति से पैसे ले रहा है. ( With courtesy from Hisab Kitab Hindi Newsletter) |