ऋतु खण्डूड़ी ने विधानसभा की 228 अनियमित भर्तियों को किया निरस्त: सचिव सिंघलभी निलंबित, ऋतु खण्डूड़ी ने मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बना दी खास जगह

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–उषा रावत
देहरादून, 23 सितम्बर। उत्तराखण्ड विधानसभा की अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी ने कोटिया जांच समिति की रिपोर्ट मिलते ही 2012 से लेकर 2021 तक विधानसभा में अनियमित ढंग से हुयी 228 नियुक्तियों को रद्द कर करने की घोषणा कर दी है। इन नियुक्तियों के निरस्तीकरण आदेश को अनुमोदन के लिये उत्तराखण्ड शासन को भेजा जा रहा है। अनुमोदन मिलते ही इन सभी कर्मचारियों को हटा दिया जायेगा। जांच में विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल की भूमिका को भी संदिग्ध पाया गया है। इसलिये उन्हें भी पूरी जांच तक निलंबित कर दिया गया है।

यही नही 2021 में लखनऊ की विवादास्पद कंपनी द्वारा विधानसभा में शुरू की गयी 32 पदों की भर्ती प्रकृया को भी रद्द कर दिया गया है। कंपनी की भूमिका की भी अलग से जांच होगी। कोटिया समिति ने गुरुवार देर सांय अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी थी और नियक्तियां निरस्त करने की सिफारिश की थी। विपक्ष ने इस जांच को भेदभावपूर्ण्र बताया है।विपक्ष का अरोप कि जानबूझ कर 2007 से लेकर 2012 तक की नियुक्तियों को जांच के दायरे में नहीं रखा गया।

स्पीकर के इस ऐलान के बाद पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद  अग्रवाल जो वर्तमान में प्रदेश के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री हैं, नैतिकता के आधार पर मंत्री पद से  इस्तीफ़ा दे सकते हैं। प्रदेश में राजनीतिक भूचाल की भी संभावना है। क्योंकि स्पीकरों ने सत्ताधारी दल के ऊँची पहुँच वाले या पदधारी लोगों की शिफारिश पर ही ये बैकडोर नियुक्तियां की थीं । नौकरियों के इस खेल में सभी ने मौके का लाभ उठाया है। यहाँ ता की आरएसएस के लोगों के भी नाम आ रहे हैं।

राजनीतिक पंडितों के अनुसार  इस फैसले के बाद  ऋतु  अपने पिता  जनरल  भुवन चंद्र  खंडूड़ी  की राजनीतिक विरासत  की असली उत्तराधिकारी बनने के साथ ही   मुख्यमंत्री पद की दौड़ में  भी  उन्होंने अपनी  खास जगह बना दी है.  मीडिया में भी उनको पिता की उत्तराधिकारी  के रूप में  तबज्जो मिलनी शुरू हो गयी है.

*विधानसभा भर्ती प्रकरण की जांच रिपोर्ट पर प्रेस वार्ता के दौरान विधानसभा अध्यक्ष के बयान*

आप जानते हैं कि मैंने आपके माध्यम से अपनी मंशा प्रदेश के सामने रखी थी और कहा था कि युवाओं को निराश नहीं होना है और मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि मैं प्रदेश के युवाओं के आशाओं व अपेक्षाओं पर खरी उतरने का प्रयास करूगीं। मैंने यह भी कहा था कि मैं अनियमितताओं को लेकर कठोर निर्णय लेने में संकोच नहीं करूगीं ।

आज 23 सितम्बर है और ठीक बीस दिन पहले 03 सितम्बर को यहीं पर हम-आपने बातचीत की थी। तब मैने यह वादा भी किया था कि जल्दी ही आपसे फिर मुलाकात होगी।
मैं आप सबको सूचित करना चाहती हूँ कि मुझे कल देर रात विशेषज्ञ समिति से जॉच रिपोर्ट प्राप्त हो गयी है। समिति ने सराहनीय कार्य किया है और निर्धारित अवधि के पूर्व ही रिपोर्ट सौप दी है।

पूरी रिपोर्ट 214 पेज की है। लेकिन इसमे सलंग्नक भी शामिल हैं, जबकि केवल रिपोर्ट का अंश 29 पेज का है। समिति ने विधान सभा सचिवालय के रिकार्ड का परीक्षण करने पर यह पाया है कि वर्ष 2016 तक, वर्ष 2020 तथा वर्ष 2021 में जो तदर्थ नियुक्तियां की गयी उनमें अनियमितताए थीं तथा इन भर्तियों में विभिन्न पदों के लिये निर्धारित नियमों का पालन नहीं हुआ है। समिति ने विभिन्न न्यायालयों द्वारा नियम विरूद्ध भर्तियों के सम्बन्ध मे समय-समय पर दिये गये आदेशों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है कि निम्नलिखित कारणों से नियमों के विरूद्ध की गयी इन तदर्थ नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाए। समिति ने वर्ष 2016 तक 150 तदर्थ नियुक्तियों, वर्ष 2020 में 06 तदर्थ नियुक्तियों तथा वर्ष 2021 में 72 तदर्थ नियुक्तियों की पहचान कर उन्हें निरस्त करने की सिफारिश की है। समिति ने इस संबंध में जो कारण बताए हैं, वह इस प्रकार है:

1 सेवा के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिये निर्धारित चयन समिति का गठन नहीं किया गया। इस प्रकार यह तदर्थ नियुक्तियां चयन समिति के माध्यम से नहीं की गयी है।

2 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु कोई विज्ञापन नहीं दिया गया और न ही कोई सार्वजनिक सूचना दी गयी और न ही रोजगार कार्यालय से नाम मंगाये गये।

3 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु इच्छुक अभ्यर्थियों से आवेदन पत्र नहीं मांगे गये, केवल व्यक्तिगत आवेदन पत्रों पर नियुक्ति प्रदान कर दी गयी।

4 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु कोई प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित नहीं की गयी ।

5 इन तदर्थ भर्तियों के लिये सभी पात्र एवं इच्छुक अभ्यर्थियों को समानता का अवसर प्रदान नही करके भारत के संविधान के अनुच्छेद-14 एवं अनुच्छेद-16 का उल्लंघन हुआ है ।

जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि कार्मिक विभाग के 06 फरवरी, 2003 के शासनादेश द्वारा विभिन्न विभागों के अन्तर्गत तदर्थ/संविदा/नियत वेतन / दैनिक वेतन पर की जाने वाली नियुक्तियों पर रोक लगाई गयी है। उक्त 06 फरवरी, 2003 के शासनादेश में व्यवस्था उपबन्धित है कि श्रेणी ग तथा घ के किसी भी पद पर दैनिक वेतन / तदर्थ / संविदा / नियत वेतन पर नियुक्ति नहीं की जायेगी। इस प्रकार की नियुक्तियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा ।

पत्रकार बंधुओ, इतनी विस्तृत जानकारी आपके साथ शेयर करने से यह लाभ होगा कि जांच समिति की सिफारिशों के अनुरूप विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैनें जो निर्णय लिये हैं, उनको समझने में आसानी रहेगी।

विधान सभा अध्यक्ष के रूप में जांच समिति की अनुशंसा को स्वीकार करते हुए वर्ष 2016 तक की 150 तदर्थ नियुक्तियों को, वर्ष 2020 की 06 तदर्थ नियुक्तियों को तथा वर्ष 2021 की 72 तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने का निर्णय लिया है।चूंकि इन तदर्थ नियुक्तियों को शासन का अनुमोदन प्राप्त है, अतः नियमानुसार इन तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने के लिये शासन का अनुमोदन लेना आवश्यक है। इन नियम विरूद्ध तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने के लिये अनुमोदन हेतु मैं शासन को तत्काल प्रस्ताव भेज रही हूँ। अनुमोदन प्राप्त होते ही नियम विरूद्ध तदर्थ नियुक्तियां तत्काल समाप्त कर दी जाएगी।इसी प्रकार उपनल द्वारा की गयी 22 नियुक्तियों को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर रही हूँ ।

मैं आपको यह जानकारी भी देना चाहती हूँ कि विधान सभा सचिवालय द्वारा वर्ष 2021 में 32 विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिये आवेदन पत्र मंगाये गये थे, जिसके लिये इस वर्ष 20 मार्च को लिखित परीक्षा भी आयोजित की गयी थी जिसका परिणाम अभी तक घोषित नहीं हुआ है। इस परीक्षा के लिये लखनऊ की एक प्राईवेट एजेंसी मैसर्स आर०एम०एस० टेक्नोसोल्यूशनस प्रा० लि० का चयन किया गया। इस एजेंसी के कार्यकलाप विवादों में रहे हैं और इस पर पेपरलीक के गंभीर आरोप भी लगे हैं जिसके चलते कम से कम 5 प्रतियोगिता परीक्षा शासन को रदद करनी पड़ी है और अनेक गिरफतारिया भी विधान सभा सचिवालय में नियमों/प्रावधानों का उल्लघंन करते हुए इस एजेंसी का चयन किया गया है इसमे अनेक वित्तीय अनियमितताए भी पायी गयी हैं । उपलब्ध जानकारी अनुसार इस एजेंसी को बिल प्राप्त होने के 02 दिन के अन्दर बैंक से 59 लाख रूपये का भुगतान भी जारी कर दिया गया जिसमें विधान सभा सचिव की भूमिका भी संदेहास्पद पायी गयी है।इस परिपेक्ष्य में विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैने यह निर्णय लिया है कि इन 32 पदों पर हुई परीक्षा को निरस्त किया जाता है तथा एजेंसी की भूमिका की जाँच की जाएगी तथा नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैने यह भी निर्णय लिया है कि इस पूरे प्रकरण में विधान सभा सचिव की संदिग्ध भूमिका की जांच की जाए। जांच पूरी होने तक श्री मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया जाता है, तत्संबंधी आदेश जारी किये जा रहे है।जॉच समिति की रिपोर्ट में दी गयी विभिन्न सिफारिशों सुझावों पर कार्रवाई जारी रहेगी।
इसमें विधान सभा सचिवालय में कर्मचारियों/अधिकारियों की right sizing, e-office, evidhan, पदोन्नति तथा सेवा नियमों में सुधार शामिल हैं।अंत में, मैं पुनः अवगत कराना चाहती हूँ कि वर्ष 2016 तक की 150 तदर्थ नियुक्तियों की वर्ष 2020 की 06 तदर्थ नियुक्तियों को तथा वर्ष 2021 की 72 तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने के मेरे निर्णय के अनुमोदन के लिये प्रस्ताव शासन को तत्काल भेज रही हूँ।

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