विधानसभा भर्तियों की जाँच कमेटी पर प्रदेश कांग्रेस ने उठाये सवाल 

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देहरादून, 15  सितम्बर (उ  हि )।   उत्तराखण्ड विधानसभा में जिस तरह सरकार की नाक के नीचे गुपचुप भर्तियां कर दी गयी उस पर प्रदेश कांग्रेस  के अध्यक्ष करन माहरा ने विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खण्डूडी द्वारा तीन सदस्यीय समिति के गठन पर सवाल उठाए।

करन माहरा ने कहा कि जहॉ एक ओर हमारे पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा में लगभग 543 कर्मचारी है वहीं हमारे उत्तराखण्ड प्रदेश की छोटी सी 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 560 से अधिक कर्मचारी कार्यरत होना अपने आप में नियुक्तियों में हुई बंदरबाट की ओर ईशारा करता हैं।

करन माहरा ने कहा कि उत्तराखण्ड विधानसभा में राज्य गठन (वर्ष 2000) के उपरान्त विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों पर आरोप लगाये जा रहे हैं कि राजनेताओं एवं जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा विधानसभा में अपने परिजनों तथा रिश्तेदारों की भर्तियां की गई हैं। इन आरोपों के मद्देनजर सरकार द्वारा विधानसभा में विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों की जांच हेतु तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।
माहरा ने कहा कि विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच हेतु जिस तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है उसमें श्री डी0के0 कोटिया, आई.ए.एस. (वर्तमान में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा पूर्व में लोक सेवा अभिकरण के अध्यक्ष), श्री अवनेन्द्र सिंह नयाल, (वर्तमान में लोक सेवा आयोग के सदस्य), एवं श्री सुरेन्द्र सिंह रावत (पूर्व सूचना आयुक्त) को सदस्य बनाया गया है। जबकि विधानसभा एक संवैधानिक संस्था है जिसके किसी भी मामले की जांच का अधिकार केवल मा0 उच्च न्यायालय अथवा मा0 सर्वोच्च न्यायालय में निहित होता है। ऐसे में सरकार के अधीन कार्य करने वाले लोक सेवकों द्वारा की जाने वाली जांच की निष्पक्षता संदेहास्पद है।

माहरा ने कहा कि राज्य विधानसभा द्वारा भर्तियों की जांच हेतु गठित समिति की जांच पूरी होने से पूर्व ही जांच से सम्बन्धित सूचनाओं का सार्वजनिक होना जांच समति की निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह खडा करता है।

माहरा ने कहा कि चूंकि विधानसभा एक संवैधानिक संस्था है तथा इसके चलते कमेटी की जांच मे यह सुनिश्चित किया जाना नितांत आवश्यक है कि विधानसभा में हुई भर्तियों मे कानून का पालन होने के साथ-साथ नैतिकता का पालन किया गया है अथवा नहीं तथा इन भर्तियों की जांच जनहित में होनी चाहिए। साथ ही विधानसभा में हुई सभी प्रकार की भर्तियों की जांच वर्ष 2012 के उपरान्त नहीं अपितु वर्ष 2000 से की जानी चाहिए।

माहरा ने कहा कि उत्तराखण्ड विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस पार्टी सरकार द्वारा भर्तियों की जांच हेतु समिति के गठन पर असंतोष व्यक्त करते हुए मांग करती है कि विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच मा0 उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की देखरेख में कार्रवाई जाय।

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