ब्लॉगराष्ट्रीय

बुलेट ट्रेन की कहानी : चलनी थी गोली की माफिक पिछड़ रही कछुवे से भी

जयसिंह रावत

भारत में बुलेट ट्रेन परियोजना अपने नाम के अनुरूप गोली की माफिक चलने के बजाय जटिल परिस्थितियों के कारण कछुवा चाल चल रही है। डा0 मोहन सिंह सरकार का गोली की माफिक चलने वाली इस ट्रेन का सपना पहली बार तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी के 2009.210 के रेल बजट में नजर आया था। कुल 350 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली इस ट्रेन ने बुलेट ट्रेन के नाम से नहीं अपितु हाइ स्पीड ट्रेन के नाम से पुणे से अहमदाबाद के बीच दौड़ना था जिसको व्यवहार में बदलने के लिये भारतीय रेल और फ्रेंच नेशनल रेलवे के बीच 14 फरबरी 2013 को मेमोरेण्डम ऑफ अण्डरस्टेंडिंग पर हस्ताक्षर हुये थे। अधिक आर्थिक बोझ के कारण बाद में परियोजना में परिवर्तन कर इसे मुबई से अहमदाबाद के बीच निर्धारित कर दिया गया जिसके लिये वर्ष 2013 में ही भारत और जापान के बीच समझौता हुआ था और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डा0 मनमोहनसिंह और जापान के प्रधानमंत्री सिन्जो अबे ने इस पर 29 मई 2013 को एक संयुक्त बयान जारी किया था। जापान की तीन दिवसीय यात्रा पर गए  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12  नवम्बर 2016  को  भारत जापान  संबंधों को फास्ट ट्रैक पर लेन के लिए  टोक्यो में अपने जापानी समकक्ष शिंजो आबे के साथ प्रसिद्ध शिंकानसेन बुलेट ट्रेन की सवारी की।

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh and the President of the Republic of France, Mr. Francois Hollande, at the Joint Press Statement, in New Delhi on February 14, 2013.

चलनी थी 2022 से अब 2027  तक पिछड़ गयी 

केन्द्र में 2014 में सत्ता परिवर्तन होने पर जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की कमान संभाली तो उन्होंने इस महत्वपूर्ण परियोजना को वास्तव में गोली की माफिक आगे बढ़ाने की चुनौती को अपने हाथ में लिया और इस दिशा में वह निरन्तर प्रयासरत् भी करते रहे। इस परियोजना को शुरू में 2022 तक पूरा होना था और बाद में इसके पूर्ण होने की समय सीमा 2023 रखी गयी। मगर अब रेल मंत्रालय का कहना है कि यह 2027 तक ही पूर्ण हो पायेगी। अब रेल मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि 28 फरवरी 2023 तक कुल भौतिक प्रगति 26.33 प्रतिशत है। मंत्रालय ने उल्लेख किया है कि महाराष्ट्र ने समग्र कार्य का 13.72 प्रतिशत पूरा कर लिया है। दूसरी ओर गुजरात ने 52 प्रतिशत से अधिक सिविल कार्य पूरा कर लिया था और वहां कुल मिलाकर 36.93 प्रतिशत की वर्तमान पूर्णता दर है। मंत्रालय के अनुसार 257.06 किलोमीटर के हिस्से में पाइलिंग का काम पूरा हो चुका है। जबकि 155.48 किलोमीटर तक पियर का काम पूरा हो चुका है। संरचना का सपोर्ट करने के लिए 37.64 किमी गर्डर्स लॉन्च किए गए थे।

The Union Minister for Railways, Shri Pawan Kumar Bansal and the Minister for External Trade, Ms. Nicole Bricq & the Minister of Transportation, Sea and Fishing, France, Mr. Frederic Cuvillier signing an MoU on a Joint Statement to follow up and strengthen Cooperation in the Railway sector, in the presence of the Prime Minister, Dr. Manmohan Singh and the President of the Republic of France, Mr. Francois Hollande, in New Delhi on February 14, 2013.

रेल यातायात में होगी क्रन्तिकारी शुरुआत 

इस प्रयोग को भारत में बहुत तेज रफ्तार ट्रेनों के युग का सूत्रपात कहा जा सकता है। इसके साथ ही वाराणसी और दिल्ली के बीच एक और बुलेट ट्रेन परियोजना पर विचार किया जा रहा है। बहुत तेज गति ट्रनों से न केवल समय की बचत होगी बल्कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में भी बड़े बदलाव की उम्मीद है। लेकिन इसके मार्ग में दिक्कतें भी कम नहीं है। अगर काम आसान होता तो 2010 से लेकर अब तक कब के बुलेट ट्रेन दोड़ चुकी होती। केवल परियोजना का नाम बुलेट रखने से वह बुलेट की गति नहीं पकड़ सकती। जैसे उत्तराखण्ड के चारधाम मार्ग नवीनीकरण परियोजना का नाम ऑल वेदर रखने से वह सभी मौसमों में यातायात योग्य नहीं हो गयी।

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh and the Prime Minister of Japan, Mr. Shinzo Abe, at the delegation level talks, in Tokyo, Japan on May 29, 2013.

जिनकी जमीनें जाएँगी उनका क्या भविष्य ?

दरअसल इस परियोजना की भौतिक और आर्थिक व्यवहार्यता के संबंध में कुछ आशंकाएं जरूर रही हैं। परियोजना की लागत लगभग 1.1 ट्रिलियन रुपये होने का अनुमान है, और इतना वित्तीय बोझ सरकार पर भारी पड़ सकता है। खास कर तब जब कि परियोजना अपनी लागत को पूरा करने के लिए पर्याप्त राजस्व उत्पन्न न कर पाये। परियोजना के निर्माण के दौरान लोगों के विस्थापन और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर भी चिंता जताई गई है। परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण भी आसान नहीं है। तेज रेल के लिये आम किसान की आजीविका छिन जायेगी। इसक पर्यावरणीय पहलू की भी अनदेखी नहीं की जा सकती। हालांकि रेल मंत्रालय का दावा है कि अब तक लगभग 8000 बड़े वृक्षों को उठा कर दूसरी जगह स्थापित करने के साथ ही 83,600 नया वृक्षारोपण कर दिया गया है।

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh and the Prime Minister of Japan, Mr. Shinzo Abe signed the documents on a Joint statement strengthening the strategic and global partnership between Japan and India beyond the 60th Anniversary of Diplomatic Relations, in Tokyo, Japan on May 29, 2013.

11  खरब की है बुलेट परियोजना 

भारत बुलेट ट्रेन पर 1,10,000 करोड़ रुपये 5 साल में खर्च करेगा यानी सालाना 20,000 करोड़। और इस 1,10,000 करोड़ में 88,000 करोड़ रुपये भारत को कर्ज के तौर पर जापान दे रहा है। इस कर्ज पर ब्याज भी नहीं के बराबर है और ये कर्ज भारत को 50 साल में जापान को चुकाना है। 0.1 प्रतिशत के ब्याज को जोड़कर गणना करें तो 88.000 करोड़ के कर्ज के बदले भारत को जापान को 90,500 करोड़ रुपये चुकाने होंगे यानी केवल 2500 करोड़ रुपये ज्यादा।

The Prime Minister, Shri Narendra Modi and the Prime Minister of Japan, Mr. Shinzo Abe on-board the Shinkansen bullet train to Kobe, in Japan on November 12, 2016.

 2 घंटे में पूरी होगी कुल 7 घंटे की दूरी

पहले चरण में बुलेट ट्रेन मुबंई और अहमदाबाद के बीच की 508 किलोमीटर की दूरी सिर्फ दो घंटे सात मिनट में तय होगी। मुंबई और अहमदाबाद के बीच 12 स्टेशन प्रस्तावित हैं. बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स, ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरुच, वडोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती। इस रूट पर बुलेट ट्रेन की ऑपिरेटिंग स्पीड होगी 320 किलोमीटर प्रतिघंटा और अधिकतम स्पीड होगी 350 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। कुल 508 किमी लम्बे इस रूट पर 468 किलोमीटर लंबा ट्रैक एलिवेडेट होगा, 27 किलोमीटर सुरंग के अंदर और बाकी 13 किलोमीटर जमीन पर होगा।  जापान की कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार इस ट्रेन में 750 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। भविष्य में इसे 16 कार इंजन वाली बुलेट ट्रेन में तब्दील करने का प्रस्ताव भी इस रिपोर्ट में है। 16 कार इंजन वाली बुलेट ट्रेन में 1200 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। रिपोर्ट के अनुसार शुरुआत के दिनों में हर दिन 36,000 लोग बुलेट ट्रेन में सफर करेंगे और 30 साल यानी बाद 2053 तक इसमें सफर करने वालों की तादाद रोजाना 1,86,000 तक पहुंचने की उम्मीद जताई गई है। शुरुआत में इस रुट पर हर दिन एक दिशा में 35 ट्रेन चलेंगी, जिसे 30 साल बाद यानी 2053 तक बढ़ाकर 105 ट्रेन प्रतिदिन करने की योजना है।

The Prime Minister, Shri Narendra Modi and the Prime Minister of Japan, Mr. Shinzo Abe boarding the Shinkansen bullet train to Kobe from at Tokyo Station, in Japan on November 12, 2016.

आम आदमी की हैसियत से बाहर होगी बुलेट की सवारी 

इसका किराया बाकी रेल किराये के मुकाबले मंहगा है, जो कि रेलवे के मौजूदा एसी प्रथम श्रेणी के किराये से भी डेढ़ गुना ज्यादा हो सकता है। मुंबई से अहमदाबाद तक के सफर के लिए एक यात्री को 2700 से 3000 रुपये के बीच किराया अनुमानित है। अगर इस रुट पर हवाई जहाज के किराए की बात करें तो वो 3500 से 4000 रुपये के बीच बैठता है । जबकि उसमें यात्रियों को बीच रास्ते में कहीं उतरने की सुविधा नहीं होती। मुंबई से अहमदाबाद के बीच लक्जरी बस का किराया भी 1500 से 2000 रुपये के आसपास है।

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh and the Prime Minister of Japan, Mr. Shinzo Abe signed the documents on a Joint statement strengthening the strategic and global partnership between Japan and India beyond the 60th Anniversary of Diplomatic Relations, in Tokyo, Japan on May 29, 2013.
The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh and the Prime Minister of Japan, Mr. Shinzo Abe, exchanged the signed documents of the Joint statement strengthening the strategic and global partnership between Japan and India beyond the 60th Anniversary of Diplomatic Relations, in Tokyo, Japan on May 29, 2013.
The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh met the Leader of the Democratic Party of Japan, Mr. Banri Kaieda, in Tokyo, Japan on May 29, 2013.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!