गौचर के 7 गावों की आराध्या कालिंका देवी की उत्सव डोली 31 को पनाई मंदिर लाई जाएगी
–गौचर से दिग्पाल गुसांईं —
तीन दिनों की पूजा अर्चना के लिए पालिका क्षेत्र के सात गांवों के लोग अपनी आराध्य मां कालिंका ध्याण की उत्सव डोली 31अगस्त को पनाई सेरे में स्थित मायके के मंदिर में लाई जाएगी। इस उत्सव को लेकर क्षेत्र में अभी से खुशी का माहौल दिखाई देने लगा है।
क्षेत्र के सात गांवों की आराध्य देवी कालिंका का मूल मंदिर भटनगर गांव की सीमा पर अलकनंदा के किनारे में अवस्थित है तथा मायके का मंदिर पनाई सेरे में अवस्थित है। पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार पनाई मल्ली,तल्ली,रावलनगर मल्ला,तल्ला, बंदरखंड गांव देवी के मायके पक्ष के माने जाते हैं।शैल गांव के शैली पंडित देवी के गुरु तथा भटनगर गांव निवासी ससुराल पक्ष के माने जाते हैं। पूर्व में मायके पक्ष के लोग अपनी आराध्य देवी ध्याण को नंदा अष्टमी के पर्व पर मायके के मंदिर में लाकर तमाम प्रकार की समूण व भैंसे के साथ अष्टवलि देकर क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते थे।इसी दिन मायके पक्ष के सभी गांवों के लोग देवी के भाई माने जाने वाले भूमियाल रावल देवता की पूजा अर्चना करते थे।
इस दिन पूरा पालिका क्षेत्र भक्ति सराबोर रहता था।1975 के दौरान आए सामाजिक बदलाव के बाद यहां भी अष्टवलि प्रथा पर रोक लगने पश्चात इस आयोजन को पूजा हवन में तब्दील कर दो दिन का आयोजन किया गया। लेकिन लगातार श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए कुछ साल से इस आयोजन को तीन दिनों का किया जाने लगा है।इन तीन दिनों में सिर्फ अष्टवलि बंद की गई बाकी की पंरपरा पहले जैसी ही रखी गई है। देवी की उत्सव डोली लाने का दिन नंदाष्टमी के हिसाब से कर्मकांडी पंडितों द्वारा तय किया जाता है।
इस बार मायके पक्ष के लोग 31 अगस्त को पूर्व की परंपरा के अनुसार अपनी आराध्य मां कालिंका को ध्याण के रूप में गाजे बाजे के साथ मायके के मंदिर में लाकर तीन दिनों तक पूजा अर्चना हवन के साथ ही तमाम प्रकार की समूण, श्रृंगार अर्पित कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना कर नंदाष्टमी के पर्व पर मूल मंदिर के लिए विदा कर दी जाएगी। क्षेत्र में इस धार्मिक यात्रा को लेकर अभी से खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है।