उधमसिंहनगर का यह पूरा शहर नानकमत्ता साहिब कहलायेगा: सोलहवीं सदी में पहुंचे थे गुरुनानक देव यहाँ

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—उषा रावत —

देहरादून,25 सितम्बर। उधमसिंहनगर जिले के नानकमत्ता शहर के धार्मिक महत्व को देखते हुये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहर का नाम नानकमत्ता साहिब रखने की घोषणा कर दी है। अब तक केवल गुरुद्वारा को ही नानकमत्ता साहिब पुकारा जाता है। नानकमत्ता साहिब के नाम से इस कस्बे का नाम नानकमत्ता पड़ा था और इसके निकट के जलाशय को नानक सागर नाम दिया गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डेरा कार सेवा पहुंचकर बाबा हरबंश सिंह, बाबा फौजा सिंह, बाबा टहल सिंह की श्रद्धांजलि सभा में पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की तथा हाथ जोड़कर नमन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने नानकमत्ता शहर का नाम  नानकमत्ता साहिब करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि नानकमत्ता साहिब में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के आवागमन हेतु हेली सेवा शुरू करने की संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है।


धामी ने कहा कि धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा में हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले गुरुओं के पराक्रम, तपस्या, त्याग एवं बलिदान तथा उनके संस्कार व व्यक्तित्व की युवा पीढ़ी में झलक हो, इसलिए हमें अपने गुरुओं को याद करना होगा और उनके इतिहास का स्मरण करना होगा।

उत्तराखण्ड में स्थित हेमकुंड साहिब, गुरूद्वारा श्री रीठा साहिब और नानकमत्ता साहिब प्रमुख सिख तीर्थ स्थान हैं. गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब के समीप ही नानक सागर डेम स्थित है, जिसे नानक सागर के नाम से भी जाना जाता है।गुरुद्वारा नानाकमता साहिब के नाम से ही इस कस्बे का नाम पड़ा “नानकमत्ता”। नानकमत्ता का पुराना नाम “सिद्धमत्ता” था। सिखों के प्रथम गुरू नानकदेव जी अपने कैलाश यात्रा के दौरान यहाँ रुके थे और बाद में सिखों के छठे गुरू हरगोविन्द साहिब के चरण भी यहाँ पहुंचे । गुरू नानकदेव जी सन् 1508 में अपनी तीसरी कैलाश यात्रा जिसे तीसरी उदासी भी कहा जाता है के समय रीठा साहिब से चलकर भाई मरदाना जी के साथ यहाँ रुके थे। उन दिनो यहाँ जंगल हुआ करते थे और यहाँ गुरू गोरक्षनाथ के शिष्यों का निवास हुआ करता था । गुरु शिष्य और गुरुकुल के चलन के कारण योगियों ने यहाँ गढ़ स्थापित किया हुआ था जिसका नाम “गोरखमत्ता” हुआ करता था ।

 

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