26 जनवरी 1950 को पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद का राष्ट्र के नाम पहला सम्बोधन
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“हमारे गणराज्य का उद्देश्य है इसके नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समता प्राप्त करना तथा इस विशाल देश की सीमाओं में निवास करने वाले लोगों में भ्रातृ–भाव बढ़ाना, जो विभिन्न धर्मों को मानते हैं, अनेक भाषाएं बोलते हैं और अपने विभिन्न रीति–रिवाजों का पालन करते हैं। हम सभी देशों के साथ मित्रता करके रहना चाहते हैं। हमारे भावी कार्यक्रमों में रोग, गरीबी और अज्ञान का उन्मूलन शामिल है।
हम उन सभी विस्थापित लोगों को फिर से बसाने तथा उन्हें फिर से स्थिरता देने के लिए चिंतित हैं जिन्होंने बड़ी मुसीबतें सही हैं और हानियां उठाई हैं और जो अभी भी मुसीबत में हैं। जो लोग किसी प्रकार के अधिकारों से वंचित हैं, उन्हें विशेष सहायता मिलनी चाहिए।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि हम उस स्वतंत्रता को सुरक्षित रखें, जो आज हमें प्राप्त है लेकिन राजनीतिक स्वतंत्रता के समान ही आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता भी समय की मांग है। वर्तमान हमसे अतीत की अपेक्षा भी अधिक निष्ठा और बलिदान मांग रहा है।
मैं आशा और प्रार्थना करता हूं कि हमें जो अवसर मिला है, हम उसका उपयोग करने में समर्थ हो सकेंगे। हमें अपनी सारी भौतिक और शारीरिक शक्तियां अपनी जनता की सेवा में लगा देनी चाहिए।
मैं यह भी आशा करता हूं कि इस शुभ और आनंदमय दिवस के आगमन पर खुशियां मनाती हुई जनता अपनी जिम्मेदारी का अनुभव करेगी और अपने आपको फिर उस लक्ष्य की पूर्ति के लिए समर्पित कर देगी जिसके लिए राष्ट्रपिता जिए, काम करते रहे और मर गए।“ (The document collected by Jay Singh Rawat )
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26 जनवरी 1950 की सुबह ठीक 10 बजकर 18 मिनट पर भारत को लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करते हुये भारत के अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपाचारी ने तत्कालीन गवर्नमेंट हाउस (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) के दरबार हॉल में आयोजित एक भव्य समारोह में अपने अंतिम संबोधन में कहा था कि,-
‘‘और जबकि उक्त संविधान द्वारा घोषित किया गया है कि भारत एक राज्यों का संघ होगा जिसमें भारतीय राज्य एवं मुख्य आयुक्तों के अधीन प्रान्त शामिल होंगे।’’
‘‘एतद् द्वारा घोषित किया जाता है कि 26 जनवरी 1950 को तथा इस तिथि से इंडिया जो कि भारत है, सम्प्रभुता सम्पन्न, लोकतांत्रिक गणतंत्र होगा और संघ तथा इसकी राज्य इकाइयां उक्त संविधान के प्रावधानों के अनुसार सरकार और प्रशासन की सभी शक्तियों और दायित्वों का प्रयोग करेंगी।’’