सब्जियाँ बोने का समय निकल गया मगर कास्तकारों को अभी बीज नहीं मिले
–गौचर से दिगपाल गुसाईं —
सब्जियों के बोने का समय निकल जाने के बाद भी सरकार कास्तकारों को अभी तक सब्जियों का बीज उपलब्ध ही नहीं करा पाई है इससे कास्तकारों को बाजारों से महंगे दामों पर बीज खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।
सरकार भले ही कास्तकारों की आय दोगुनी करने की बात करते थकती न हो लेकिन हकीकत कुछ ही बयां कर रही है। कास्तकारों को रियायती दरों पर बीज उपलब्ध कराने का जिम्मा उद्यान विभाग के पास है। लेकिन इस बार सब्जियों के बोने का समय निकल जाने के बाद भी अभी तक सब्जियों के बीज उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। इससे कास्तकारों को बाजारों से महंगे दामों पर बीज खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इससे सरकार की कास्तकारों की आय दोगुनी करने के वायदे की हवा निकलती भी नजर आने लगी है।इस बार,मूली के अलावा कोई भी अन्य बीज कास्तकारों को उपलब्ध नहीं कराया जा सका है।
बताया जा रहा है कि बाजारों में हल्दी,अदरक के के दामों में भारी बढ़ोतरी होने की वजह से सरकार ने इन बीजों को खरीदने से हाथ पीछे खींच लिए हैं। उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विभाग ने इसका दूसरा तरीका अपनाया है जो भी कास्तकार हल्दी व अदरक का बीज बाजार से खरीदता है विभाग उसके खाते में सरकारी मानक के हिसाब से पैसा डालेगी। लेकिन कास्तकार विभाग की इन बातों पर विश्वास कर करने को तैयार ही नहीं है। प्रगतिशील कास्तकार विजया गुसाईं, कंचन कनवासी, ताजबर कनवासी, जशदेई कनवासी, आदि का कहना है कि इस बार सब्जियों का बीज उपलब्ध न होने से उनको बाजारों से महंगे दामों पर बीज खरीदने को मजर होना पड़ रहा है। इससे सब्जियों के बोने का रकवा भी कम करने का निर्णय लिया है।
यही हाल कृषि विभाग का भी है यहां भी वर्षों से वहीं धान के घिसे पिटे बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ताजुब तो इस बात का है कि बाजारों में विभिन्न प्रकार के चावल 40 से 100 रुपए किलो के दामों पर बिक रहे हैं आखिर इनके बीज क्यों कास्तकारों को उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं।यह भी सोचनीय विषय है।जिन धान के बीजों को कृषि विभाग वर्षों से उपलब्ध करा रहा है उसकी कई बार कास्तकार शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।