यात्रा सीजन के साथ ही शुरू हो जाती है पहाड़ों में स्थानीय लोगों की मुशीबतें
–रिखणीखाल से प्रभुपाल रावत की रिपोर्ट —
यात्रा सीजन के चलते सम्पूर्ण गढ़वाल के साथ ही पौड़ी जिले के रिखणीखाल के पैनो घाटी में यातायात के साधनों का भारी आभाव हो गया है। बसों के क्षेत्रीय बेड़े तीर्थ यात्रियों को ढोने में लग जाने से लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचना आसान नहीं रह गया है। प्राइवेट टैक्सियों की पौ बारह हो गयी है मगर गरीब के लिए छोटी सी दूरी तय करना बहुत भारी पड़ रहा है ।
यात्रा सीजन के प्रारम्भ होने से रिखणीखाल की पैनो घाटी में गढ़वाल मोटर्स ओनर्स यूनियन लिमिटेड की बसों का हर साल टोटा पड़ जाता है। लगभग 75% बसें यात्रा सीजन के लिए आरक्षित की जाती है,जिससे पैनो घाटी की रोजाना की यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है।आम जनमानस के लिए कोटद्वार बाजार तक रोजमर्रा की चीजें खरीदने बाजार आना जाना व बाहरी प्रदेशों से अपने घर लौट रहे नौकरी पेशा वालों को परेशानी हो जाती है। इस क्षेत्र के लिए दिनभर में केवल दो बसें चलती हैं।एक कोटद्वार रिखणीखाल दूसरी कोटद्वार- तोल्योडाडा हैं।वो भी कोटद्वार- तोल्योडाडा कभी कभार बन्द कर देते हैं।
आजकल पहाड़ों में शादी-ब्याह ,पूजा-पाठ,कौथिक व अच्छा मौसम आदि के लिए लोग पहाड़ों का रुख करते हैं,लेकिन देखा गया है कि ये लोग यातायात के अभाव में पैदल ही अपना झोला पीठ पर लटकाये चलते हैं।
अब रही बात प्राइवेट टैक्सियों की वे भी इस सीजन में शादी-ब्याह,हरिद्वार स्नान आदि कार्यों के लिए बुकिंग पर रहते हैं।यदि कभी सुलभ हो भी गये तो ये भी मनमाफिक किराया भाड़ा राहगीरों से वसूलने में पीछे नहीं रहते।ये भी आठ सवारी की जगह पन्द्रह बीस सवारी ढोकर चलते हैं।इनकी छतों पर भी लोग सफर करते पाये जाते हैं। जैसे गाडियू पुल से द्वारी का किराया पांच सौ रुपए दूरी मात्र सात किलोमीटर,द्वारी से नावेतल्ली किराया चार सौ रुपए दूरी मात्र पांच किलोमीटर, कोटडीसैण से रजबौ मल्ला किराया पांच सौ रुपए दूरी मात्र पांच किलोमीटर इसी प्रकार सिलगाव, क्वीराली,चैड चैबाडा आदि।अब आमजन क्या करे। मजबूरी में जाना ही पड़ता है।इसी का फ़ायदा उठाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते।वैसे भी इस इलाके में बाघ का आतंक जग जाहिर है,अगर अकेला या रात हो गयी तो फिर जान भी जा सकती है।
अब बाहरी लोग जो नौकरी पेशा पर हैं,घर जायें तो कैसे जायें।प्रवासी बन्धु अपने गाँव जाने के लिए उत्सुक रहते हैं लेकिन जब यातायात की समुचित व्यवस्था न हो तो वे भी पाँव पीछे खींच लेते हैं।इस पैनो घाटी की यातायात व्यवस्था चरमराई हुई है।कोई सुधार लेने वाला नहीं है।खासकर इन गाँवो को ज्यादा परेशानी है, द्वारी, नावेतल्ली,नावेमल्ली,गवाणा,टान्डियू,सतगरिया,क्वीराली,चैड चैबाडा, तोल्योडाडा, सिलगाव,चिलाऊ आदि।
द्वारी- भौन सड़क मार्ग को बने हुए बीस साल हो गये है लेकिन यह भी आधा तक ही वाहन च ने लायक है।ये भी अधूरा ही है।न जाने कब तक बनेगा।अब ऐसे में नम्बर वन राज्य का दर्जा कैसे मिल पायेगा।अभी भविष्य के गर्भ में है।
यात्रा सीजन में कमोवेश यह स्थिति गढ़वाल में हर जगह है। शासन प्रशासन भी इस सीजन में स्थानीय यात्रियों को भूल जाता है। वाहनों के अभाव में लोग 7 या 8 सवारियों की अधिकतम क्षमता वाले वाहन में दोगुने से अधिक लोग बैठ जाते हैँ जिस कारण दुर्घटनाये हो जाती हैँ । लेकिन इस गंभीर समस्या की ओर शासन प्रशासन का ध्यान नहीं जाता।