ट्रंप को बड़ी चुनावी चुनौती
श्रुति व्यास
राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनना अब डोनाल्ड ट्रंप के लिए आसान नहीं होगा। फ्लोरिडा के दक्षिणपंथी गवर्नर रोन डेसांटिस उनके खिलाफ मैदान में उतर आए है।उन्होने पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने के अपने अभियान की शुरुआत एकदम नए, मॉडर्न अंदाज़ में की है। वे ट्विटर के अरबपति मालिक एलन मस्क के साथ ट्विटर स्पेसेस पर लाइव हुए। एलन मस्क ने कहा कि चुनाव अभियान की यह शुरूआत अपनी तरह की एकदम अनोखी है।
ट्रंप में राह में केवल डेसांटिस ही रोड़ा नहीं है। भले ही जन सर्वेक्षणों में ट्रंप अपने प्रतिद्वंदियों से 30 पॉइंट आगे हों परन्तु उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बनने देने के लिए दृढ संकल्पित उनके प्रतिद्वंदियों की संख्या कम नहीं है।जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी ने तय कर लिया है कि राष्ट्रपति जो बाइडन उसकी तरफ से चुनाव मैदान में उतरेंगे। परन्तु नवंबर2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अपने उम्मीदवार का चयन रिपब्लिकन पार्टी प्राइमरी इलेक्शन्स के ज़रिये करेगी, जिनकी सीरिज अगले साल फरवरी से शुरू हो जाएगी।
जिस समय डेसांटिस गवर्नर पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनने के लिए प्राइमरी चुनाव में उतरे थे उस समय उनकी कोई ख़ास पहचान नहीं थी। अपने चुनाव अभियान में उन्होंने ट्रंप की इतनी ज्यादा खुशामद की कि मीडिया और जनता में उनका मजाक बनने लगा। परन्तु इसी कारण वे ट्रंप का समर्थन हासिल करने में सफल रहे।ट्रंप के चलते वे फ्लोरिडा के गवर्नर बन सके। ऐसा लग रहा था कि गवर्नर के रूप में वे उसी तरह काम करेंगे जैसे ट्रंप राष्ट्रपति के रूप में कर रहे थे। परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे लोगों को बांटने वाले नेता और अक्षम प्रशासक से मध्यमार्गी नेता और लोगों का ख्याल रखने वाले प्रशासक बन गए।
उनकी लोकप्रियता बढऩे लगी। कोविड महामारी के दौरान डेसांटिस देश के सबसे लोकप्रिय गवर्नरों में से एक थे। फ्लोरिडा जैसे ध्रुवीकृत प्रान्त में यह आसान नहीं था। उनकी अच्छी छवि के कारण वे 2022 में एक बार फिर फ्लोरिडा के गवर्नर चुने गए। तभी से उन्होंने राष्ट्रपति के चुनाव में उतरने का मन बनाया। परन्तु दूसरे कार्यकाल में उनका दूसरा रूप सामने आया। बंदूकों और गर्भपात पर उनके विचार, नस्लीय और लैंगिक समानता पर जोर देने वालों की खिलाफत, डिज्नी वर्ल्ड के साथ उनके लम्बे युद्ध और ‘विविधता, समानता और समावेशिता’ को सीमित करने के उनके प्रयासों के चलते उनकी रेटिंग्स गिरी हैं। यहाँ तक उनके कट्टर समर्थक भी हैरान हैं कि वे किस हद तक जा रहे हैं। उन्होंने लैंगिक पहचान और लिंग भेद पर चर्चा पर तीसरी क्लास (आयु 7-8 साल) तक प्रतिबन्ध लगाने वाले कानून को बारहवीं क्लास (आयु 17-18 साल) तक बढाने का प्रस्ताव किया। इस कानून को उनके आलोचक ‘डोंट से गे’ बिल कहते हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि डेसांटिस,ट्रंप के नक्शेकदम पर चलकर शाबाशी और तालियाँ हासिल करना चाहते हैं और हाँ, लोकप्रियता भी। यूक्रेन पर उनके विचार भी चौंकाने वाले हैं। उन्होंने यूक्रेन को अमेरिका के समर्थन को गलत बताया है। उनकी दृष्टि में यूक्रेन में चल रहा युद्ध केवल “ज़मीन का झगड़ा” है। ऐसा लगता है डेसांटिस ही डोनाल्ड ट्रंप के लिए सबसे बड़ी और सबसे कठिन चुनौती हैं। जाहिर है कि उन्हें हर संभावित ट्रंप-विरोधी वोटर को अपने साथ लेना होगा। इपसोस द्वारा करवाए एक सर्वेक्षण से सामने आया है कि अधिक सम्भावना यही है कि डेसांटिस का समर्थन करने वाला मतदाता चाहेगा कि रूस के खिलाफ युद्ध में अमरीका मजबूती से यूक्रेन का साथ दे, यह न माने कि 2020 के चुनाव में गड़बडिय़ाँ हुईं थीं और प्रगतिशील नीतियों का विरोध करे।