लगातार हो रही बेमौसमी बारिश ने कास्तकारों की पेशानी पर बल डाल दिया
–गौचर से दिगपाल गुसाईं ––
क्षेत्र में लगातार हो रही बेमौसमी बारिश ने कास्तकारों की पेशानी पर बल डाल दिया है। उन्हें इस बात की चिंता सताने लगी है कि अभी भी मौसम का मिजाज नहीं सुधरा तो उनको भारी नुक़सान उठाना पड़ सकता है।
इस बार यह पहला मौका है जब जाड़ों का पूरा सीजन निकल जाने के बाद भी बारिश न होने की वजह से कास्तकारों को अपनी फसल बचाने का घोर संकट पैदा हो गया था। अमूमन गेहूं की बुवाई का काम नवंबर के महीने पूरा हो जाता है। इसके बाद जाड़ों की बारिश का सिलसिला भी शुरू हो जाता था जो फरवरी माह के अंत तक चलता रहता था। इसलिए गेहूं की फसल की सिंचाई की आवश्यकता भी ज्यादा नहीं पड़ती थी। लेकिन इस बार यह पहला मौका है जब जाड़ों का पूरा सीजन निकल जाने के बाद बारिश न होने से कास्तकारों के सामने अपनी फसल बचाने का घोर संकट पैदा हो गया था।
सिंचाई व्यवस्था के कुप्रबंधन ने भी भी कटे में नमक छिड़कने का काम किया। नौबत यहां तक आ गई कि ऊसर वाली जमीन की फसलें सूखने के कगार पर पहुंच गई है।अब जब तलाऊ वाली जमीन में गेहूं की फसल पकने के कगार पर पहुंच गई है तो बेमौसमी बारिश ने कास्तकारों को परेशानी में डाल दिया है।कास्तकारों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि समय रहते मौसम का मिजाज नहीं सुधरा तो उन्हें नुक़सान झेलना पड़ सकता है।