योगी आदित्यनाथ की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात के सियासी मायने !
नयी दिल्ली, 4 नवंबर। दिवाली के ठीक बाद रविवार को उत्तरप्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के अलग अलग मायने तलाशे जाने लगे हैं।
इस राजनीति में मुलाकात के बड़े मायने माने जा रहे हैं। विशेष तौर से वह मुलाकात जब देश के सबसे बड़े सूबे के CM और देश के प्रधानमंत्री के बीच हो। सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी से मिलकर सीएम योगी उपचुनाव की तैयारियों पर एक रिपोर्ट सौंपी है। प्रदेश में 9 सीटों पर 13 नवंबर को मतदान होना है। इसमें कोई कमी ना रहे। इसलिए भी यह मुलाकात काफी अहम थी। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में संगठन के चुनाव होने हैं। संगठन चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग और अन्य मुद्दों को लेकर बैठक के दौरान बातचीत होने की बात भी सामने आ रही है ।
संघ प्रमुख से की थी मुलाकात
पिछले दिनों मथुरा में सीएम योगी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान उपचुनाव में पार्टी की रणनीति और संघ की ओर से चलाए जाने वाले संपर्क अभियान को लेकर चर्चा हुई। इसके साथ ही सीएम योगी ने प्रदेश सरकार की योजनाओं से जुड़ी विस्तृत जानकारी भी संघ प्रमुख मोहन भागवत को दी थी।
संगठन और सरकार में सर्जरी संभव
ऐसे में सीएम योगी की पीएम मोदी और अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात यूपी उपचुनाव 2024 और संगठन के आगामी चुनाव को लेकर मानी जा रही है। इसके अलावा संगठन के कुछ बड़े चेहरे सरकार में समायोजित किए जा सकते हैं, वहीं कुछ चेहरों को संगठन में तरजीह दी जा सकती है। इनमें स्वतंत्र देव सिंह और केशव प्रसाद मौर्या का नाम सबसे ऊपर है। ये दोनों एक बार फिर संगठन में जा सकते हैं। जबकि भूपेंद्र चौधरी को एक बार फिर सरकार में जगह मिल सकती है। वहीं काफी लंबे समय से बीमार चल रहे नंद गोपाल नंदी की भी कैबिनेट से छुट्टी हो सकती है।
लोकसभा चुनाव में हुई थी बयानबाजी
UP में लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को बड़ा धक्का लगा था। पार्टी 2019 में जीती 62 सीटों से सिमटकर सिर्फ 33 सीटों पर आ गई थी। वहीं सपा ने अकेले दम पर 37 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि उनके गठबंधन ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि बीजेपी गठबंधन 35 सीटों पर सिमट गया था। इसके बाद पार्टी में बगावती बयान देखने को मिले। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने कैबिनेट मीटिंग में जाना बंद कर दिया और संगठन को सरकार से सर्वोपरि बताने लगे। उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने लखनऊ की बैठक में बयान भी दिया था।