गुज्जर परिवारों के समक्ष अस्तित्व का संकट,उत्तराखंड सरकार ने चुगान और लौपिंग के परमिट देने बंद कर दिए
–उषा रावत —
देहरादून, 29 नवंबर। उत्तराखंड सरकार ने अपने पशुओं के साथ जंगलों में रहने वाले वन गुज्जरों को पशु चुगान और लौपिंग के परमिट देने बंद कर दिए हैं, जिससे सैकड़ों गुज्जर परिवारों के समक्ष अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है।
उत्तराखंड सभा के शीत कालीन सत्र के पहले दिन प्रश्नोत्तरकाल में कांग्रेस सदस्य अनुपमा रावत के एक प्रश्न के उत्तर में वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि गुज्जरों को पशु चुगान और लौपिंग के परमिट निर्गत किये जाते थे जो अब बंद कर दिए गए हैं।
परमिट वन मंत्री सुबोध उनियाल ने अब परमिट न दिये जाने का कारण बताते हुए कहा कि हरिद्वार वन प्रभाग के अन्तर्गत वनों में उपलब्ध चारे की कमी तथा वन गुज्जरों व उनके पशुओं में निरंतर हो रही वृद्धि तथा वनों पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव तथा एक ही परमिट पर कई लोगों के वन क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास, वन गुजरों के वन अपराध में संलिप्तता पाये जाने तथा वन एवं वन्यजीव प्रबन्धन में आ रही कठिनाईयों आदि के कारण वन गुज्जरों को परमिट निर्गत नहीं किये जा रहे हैं।
अनुपमा रावत ने जब पूछा कि क्या सरकार शीघ्र परमिट निर्गत करेगी ? इस प्रश्न के उत्तर ऐसा वो मंत्री का सीधा सा जवाब था, जी नहीं।
अनुपमा रावत ने फिर पूछा कि क्या , “यदि नहीं, तो उनके जीवन यापन हेतु क्या वैकल्पिक योजना सरकार द्वारा लायी जायेंगी ?” इस पर मंत्री का जवाब था, ”
गुज्जरों के पुर्नवास हेतु राज्य सरकार द्वारा राज्य सेक्टर के अन्तर्गत गूजर एवं अन्य प्रभावित पुनर्वास योजना संचालित है। वर्तमान तक राजाजी टाईगर रिजर्व के 1393 गूजर परिवारों को गेंडीखता एवं पथरी में पुर्नवासित किया गया है। अन्य गुज्जरों के संबंध में मा० उच्च न्यायालय में रिट याचिका सं० 140 / 2019 (PIL) विचाराधीन है।”