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भारी भरकम उधारी पर टिका है उत्तराखण्ड का सालाना बजट: अपनी आमदनी से अधिक कर्ज चुकाने पर होंगे खर्च

By- Jay Singh Rawat
देहरादून, 27 फरवरी। उत्तराखण्ड के वित्त मंत्री प्रेम चन्द अग्रवाल ने आज मंगलवार को प्रदेश के वित्तीय वर्ष 2024-25 का वार्षिक 89,230.07 करोड़ का बजट पेश किया जिसमें 88597.11 करोड़ की राजस्व प्राप्तियों का अनुमान है। बजट में 9416.43 करोड़ का राकोषीय घाटा तथा 2779.99 करोड़ का प्रारम्भिक घाटा दिखाया गया है। चुनावी वर्ष होने के कारण कोई नया प्रत्यक्ष कर प्रस्तावित नहीं है। लेकिन भारी भरकम उधारी सरकार की माली हालत और आय से कहीं अधिक खर्चों को परिलक्षित करती है।

राज्य विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन आज मंगलवार को पूर्व निर्धारित समयानुसार वित्त मंत्री अग्रवाल ने राज्य का सालाना बजट पढ़ना शुरू किया। अपेक्षानुसार बजट में पूर्व वर्ष की तुलना में बजट राशि अधिक रखी गयी है। जबकि विभिन्न श्रोतों से अनुमानित आय खर्च से कहीं कम होने के कारण उधारी और देयताओं के मद में 27920 करोड़ की अनुमानित राशि रखी गयी है। बजकि पिछले साल के बजट में 19460 करोड़ की उधारी का प्रावधान रखा गया था।


इस बजट में कुल 89230.07 करोड़ के खर्चे और विभिन्न श्रोतों से 88,597.11 करोड़ की आय का अनुमान दशार्या गया है। आय के श्रोतों में कर राजस्व से 36,146.47 करोड़ और करेत्तर राजस्व से 24,406.43 करोड़ का राजस्व अनुमानित है। इस प्रकार दोनों मुख्य श्रोतों से सरकार को कुल 60,552.90 करोड़ का राज्स्व प्राप्त होने का अनुमान है। जो कि प्रस्तावित खचों से बहुत कम है। इस आय के अलावा सरकार ने पूंजी प्राप्तियों से 28,044.21 करोड़, ऋणों की वसूली से 24.21 करोड़ और अन्य प्राप्तियों से 100 करोड़ की आय की उम्मीद लगायी है। इस प्रकार प्रेम चन्द अग्रवाल के बजट में सरकार को कुल 60,677.11 करोड़ मिलने का अनुमान लगाया गया है। जो कि प्रस्तावित खर्चों की मद से बहुत कम याने कि 28,552.96 करोड़ कम है। इस कमी को पूरा करने के लिये 27,920 करोड़ की उधारी का सहारा राज्य सरकार को है। गौरतलब है कि सरकार को जितनी आय की उम्मीद होती है, उतनी सामान्यतः प्राप्त नहीं हो पाती है। खास कर केन्द्रीय करों और अपेक्षित अनुदान के मद में केन्द्र से अपेक्षित हिस्सा नहीं मिल पाता है। जबकि सरकार का अनुमानित खर्च हमेशा ही अनुमान से कही ज्यादा हो जाता है। जिसके लिये सरकार को कभी-कभी दो बार अनुपूरक बजट पेश करना होता है।

 


राज्य पर बढ़ते जा रहे कर्ज के बोझ के कारण सरकार ने ब्याज के रूप् में भारी भरकम रकम खर्च करनी पड़ती है। इस बजट अनुमान के अनुसार राज्य सरकार को कर्ज के  मूलधन को चुकाने में 19136.53 करोड़ की रकम खर्च करनी पड़ेगी।

इसके अलावा सरकार  को 6,657  करोड़ केवल कर्ज के ब्याज के रूप में चुकाने होंगे।  इस प्रकार ब्याज और मूलधन मिला 25793.53 करोड़ की रकम उत्तराखंड की सरकार को इस बजट के अनुसार लौटानी होगी जो कि राज्य की अपनी आय से अधिक है।  जबकि  राज्य का अपना कर राजस्व केवल  Rs. 22509,32,06,000 है। पिछले साल सरकार को कर्ज अदायगी पर 15,727 करोड़ और उससे पहले साल 11,227 करोड़ अदा करने पड़े थे। वर्ष 2022-23 में तो कर्ज अदायगी केवल 8474.77 करोड़ थी। इससे प्रदेश के वित्तीय प्रबंधन और आय से अधिक फिजूलखर्ची तथा सस्ती लोकप्रियता के लिये कर्ज लेकर दरियादिली दिखाने की असलियत सामने आ जाती है। जीएसटी के कारण भी राज्य सरकार को प्रति वर्ष लगभग 5हजार करोड़ की हानि उठानी पड़ती है।

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