जोशीमठ की दरारों की गहराई का आकलन कर रहा है वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान
देहरादून, 10 जनवरी ( उहि )। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक जोशीमठ की जियोफिजिकल स्टडी कर दरारों की गहराई का आकलन कर रहे हैं। वैज्ञानिकों की टीम ने जोशीमठ में आई दरारों का आकलन शुरू कर दिया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि, यह पता चल सके कि दरारें सतही हैं या फिर जमीन के अंदर तक चली गई हैं। इसके साथ ही जमीन के धंसने की प्रक्रिया और रफ्तार पर नजर रखने के लिए भी उपकरणों से निगरानी शुरू कर दी गई है। इस प्रक्रिया से संवेदनशील और सुरक्षित क्षेत्रों को चिह्नित करने में मदद मिलेगी।
वाडिया के निदेशक डॉ0 कालाचांद साईं के अनुसार जोशीमठ भूकंप के लिहाज से जोन फाइव में है। यह पुराने ग्लेशियर के मलबे से बनी ढलान पर स्थित है। ऐसे में जोशीमठ की दरारें चिंतित करने वाली हैं। आने वाले दिनों में बर्फबारी-बारिश की आशंका ने चिंता को बढ़ा दिया है। साईं ने कहा कि बारिश से दरारों में पानी जाएगा और भू-धंसाव में तेजी आ सकती है। ऐसे क्षेत्र में भूकंप का हल्का झटका आया तो भू-धंसाव के साथ भूस्खलन की घटनाएं बढ़ सकती हैं। वैज्ञानिक ये भी देखेंगे कि क्या जोशीमठ का कोई क्षेत्र ऐसा भी है, जो अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित है। कालाचांद साईं के अनुसार, जोशीमठ की घटना से सबक लेकर पहाड़ों में क्षमता के हिसाब से विकास करना बहुत जरूरी है। सतत विकास भी जरूरी है, लेकिन उसके लिए पर्यावरण को भी ध्यान में रखना होगा। जोशीमठ में बचाव का काम प्रशासन कर ही रहा है। लेकिन दीर्घकालीन योजना पर भी काम शुरू किया जाना चाहिए।